Friday, November 30, 2018

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव के बाद तनाव में क्यों है भाजपा।

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में वोट डालने का काम खत्म हो चुका है। अब सभी को 11 दिसंबर का इंतजार है। लेकिन चुनाव की समाप्ति के बाद भाजपा के नेता तनाव में दिख रहे हैं। कुछ दिन पहले तक जिन राज्यों को भाजपा के लिए आसान माना जा रहा था, वहां स्थिति बदल चुकी है। कुछ संकेत भाजपा नेताओं को लगातार परेशान कर रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस के खेमे में शान्ति और निश्चिन्तता दिखाई दे रही है। इसकी एक झलक कांग्रेस नेता कमलनाथ के उस जवाब में भी दिखाई देती है। जब उनसे चुनाव के बाद अपना आकलन बताने को कहा गया तो उनका जवाब था, " दो चीजें एकदम आसानी से निपट गयी, एक चुनाव और दूसरी भाजपा। "
                वैसे भाजपा के तनाव की कुछ ख़ास वजहें भी हैं। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों प्रदेशों में भाजपा 15 साल की एंटी-इंकम्बैंसी से मुकाबिल थी जो किसी के लिए भी चिंता का कारण हो सकती हैं। लेकिन दोनों प्रदेशों में कांग्रेस ने कोई मुख्यमंत्री का चेहरा प्रस्तुत नहीं किया था जिसे भाजपा  अपने लिए फायदे का सौदा मान रही थी। दूसरा उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के प्रचार पर बहुत भरोसा था। लेकिन इस बार कांग्रेस ने मोदीजी को कोई मौका दिया। मोदीजी ने हमेशा की तरह,  मेरी माँ को गाली दी , जैसे वाक्यों में प्रचार को लपेटने की कोशिश जरूर की लेकिन इस बार वो कामयाब नहीं हुए। मोदीजी के जिस करिश्मे का भाजपा को भरोसा था वो इस बार गायब था।
                भाजपा नेताओं की चिंता का दूसरा कारण इस बार किसानो और बेरोजगारी के सवालों का इलेक्शन पर हावी होना था। इस बार हिंदुत्व और गाय जैसे मुद्दों की जगह किसानो की समस्याएं केंद्र में थी। कांग्रेस के कर्जमाफी के वायदे के बाद जिस तरह किसानो ने चुनाव से पहले फसल बेचना बंद कर दिया वो अपने आप में हैरान कर देने वाला है।  जब किसान मंडी में अपनी फसल बेचता है तो फसल की कीमत उसके बैंक खाते में जमा होती है। बैंक इस में से अपनी राशी काट लेता है। इसलिए किसान अपनी फसल लेकर मंडी में ही नहीं जा रहे। वो राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने और कर्जमाफी का  इंतजार कर रहे हैं।
               इसके अलावा जो सबसे बड़ा कारण भाजपा नेताओं को चिंता में डाले हुए है वो है 2019  मोदीजी को होने वाली मुश्किल के अनुमान का। असल में चुनाव वाले तीनो भाजपा शासित राज्यों में भाजपा राजस्थान को पहले ही कमजोर मान कर चल रही है। इन तीनो राज्यों में कांग्रेस ने किसी को भी मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। अगर इनमे नतीजे भाजपा के खिलाफ आ जाते हैं तो 2019 के चुनाव में उसके सबसे बड़े मुद्दे की हवा निकल जाएगी। ये मुद्दा है मोदी के सामने कौन? लोग ये मान लेंगे की चुनाव जीतने के लिए चेहरा कोई अनिवार्य शर्त नहीं है। यही है भाजपा की चिंता का सबसे बड़ा कारण। 





Wednesday, November 7, 2018

हमारी नई पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र

देश के हालात और दुर्दशा से चिंतित होकर हमने एक नई राजनैतिक पार्टी बनाने का निर्णय किया है।  उसके लिए हमने बहुत सोच विचार कर एक घोषणा पत्र तैयार किया है जो आपके सामने प्रस्तुत है। वैसे तो मोदी सरकार ने आखरी छह महीनो में कुछ तेजी दिखाई है और योगी जी ने भी उसमे सहयोग दिया है, लेकिन संत समाज और महा राष्ट्रवादी लोग उससे संतुष्ट नहीं हैं। इसलिए हमने इस काम को जरूरी समझा। हमारे घोषणा पत्र के मुख्य बिंदु निम्न प्रकार से हैं।
१. हमारी पार्टी का नाम " राष्ट्रवादी सनातनवादी पुरातनवादी आर्यवर्तीय पार्टी " होगा।
२. हम हर महीने कम से कम पांच जगहों का नाम बदलेंगे।
३. हम हर प्रदेश में विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा स्थापित करेंगे। इसकी घोषणा प्रदेश अनुसार चुनावों के समय       की जाएगी।
४. बहुमत की आस्था के अनुसार काम को संविधान के दिशा निर्देशक सिद्धांतों में शामिल किया जायेगा।
५. हमने महसूस किया है की पिछले पांच साल में किये गए सभी प्रयासों के बावजूद कुछ संस्थाओं में एकाध           दुष्ट आत्माएँ  अभी भी मौजूद हैं जो समय समय पर सरकार के कामकाज में टांग अड़ाती हैं। इसलिए सभी       ऐसी संस्थाओं जैसे, चुनाव आयोग, रिज़र्व बैंक, मानवाधिकार आयोग, सुचना आयोग इत्यादि का                     संवैधानिक दर्जा समाप्त कर दिया जायेगा।
६. सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति करने वाले कोलेजियम में कोई जज नहीं होगा।
७.  इज आफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए सभी सरकारी स्कूलों और हस्पतालों को बंद कर दिया               जायेगा ताकि नए बिजनेस के अवसर खुल सकें।
८. सरकारी नौकरियों पर पूर्णतया पाबंदी लगाई जाएगी ताकि प्रतिमाओं और धार्मिक आयोजनों के लिए धन        उपलब्ध  हो सके।
९. अगली दिवाली पर अयोध्या में तीन करोड़ दीप जलाए जायेंगे और उसके लिए धन GST पर नया सेस                 लगाकर उगाहा जायेगा।
१०. एक सीमा से ज्यादा पढ़ने लिखने को देशद्रोह घोषित किया जायेगा।
११. भारत रत्न सहित सभी पदम् पुरस्कारों की घोषणा करने वाली समिति में केवल तीन सदस्य होंगे जो संघ,        अखिल भारतीय अखाडा परिषद और गीता प्रेस द्वारा नामित किये जायेंगे।
१२. डार्विन इत्यादि के सिद्धांतों को सेलेबस से हटाया जायेगा।  ये हमारी भावनाओं को आहत करते हैं।
१३. महिलाओं का प्रवेश केवल मंदिरों से ही नहीं, बल्कि संसद और विधानसभाओं में भी प्रतिबंधित किया                 जायेगा।
१४. सभी कृषि विश्वविद्यालयों को गौशालाओं में परिवर्तित किया जायेगा।
१५. सभी सरकारी पदों पर नियुक्तियां वर्ण व्यवस्था के हिसाब से की जाएँगी। 

सभी राष्ट्रवादी नागरिकों से सहयोग की अपील है।