Friday, December 4, 2015

Comment-- महिला के छूने से अपवित्र हुई शनि की मूर्ति को दूध से धोने का क्या फायदा ?

कई दिन पहले ये खबर आई की एक महिला ने शिगनापुर के शनि मंदिर में घुसकर शनि देव की मूर्ति पर तेल चढ़ा दिया। सदियों से इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी है। इस महिला द्वारा किये गए इस काम से मंदिर के प्रबंधन के अनुसार अपवित्र हो चुकी शनि की मूर्ति को फिर से पवित्र करने के लिए उसे दूध से धोया गया।
             हमारे देश में और भी सैंकड़ों मंदिर हैं जो महिला के प्रवेश से अपवित्र हो जाते हैं और उनमे भी अपवित्र हो गयी मूर्ति को दूध से धोकर पवित्र किया जाता है। इस पर मुझे एक सवाल पूछना है।
              मेरा सवाल ये है की दूध तो केवल मादा जानवर देते हैं जो की दूसरे शब्दों में महिला की श्रेणी में ही आते हैं। तो फिर एक महिला के छूने से अपवित्र हुई मूर्ति दूसरी मादा के दूध से धोने पर पवित्र कैसे हो जाती है। क्या हमारे धर्म के ठेकेदार महिला को मादा जानवर से भी नीचे का दर्जा देते हैं ?
               मैं ये चाहता हूँ की जब तक महिलाओं के छूने से मूर्तियां अपवित्र होती रहें, तब तक इन प्रबंधकों को किसी पुरुष पदार्थ का इस्तेमाल इन्हे शुद्ध करने में करना चाहिए और दूध के तो मंदिर प्रवेश पर ही पाबंदी लगा देनी चाहिए। फिर मुझे याद आया की अगर ये लोग मादा उत्पादों पर पाबंदी लगाते हैं तो इनके दिए जलने बंद हो जायेंगे और शायद इन्हे याद आ जाये की ये खुद भी एक महिला या मादा की ही उपज हैं।

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