सरकार ने बजट पेश करने की तारीख को 28 फरवरी से बदल कर 1 फरवरी कर दिया है। सरकार के इस कदम का पुरे विपक्ष ने विरोध किया है। खासकर जब चुनाव आयोग ने चार फरवरी को चुनाव की तिथि घोषित कर दिया है। सरकार का कहना है की बजट को चुनाव से नही जोड़ना चाहिए। इस पर विपक्ष का कहना है की चुनाव को बजट से विपक्ष नही सरकार जोड़ रही है। वरना सालों पुराणी परम्परा को बदलने का कोई खास कारण सरकार नही बता पाई। इस पर विपक्ष ने जो सवाल उठाये हैं वो इस तरह हैं। -
१. चार फरवरी को चुनाव है और दो फरवरी को चुनाव प्रचार बन्द हो जायेगा। इसलिए बजट में लोगों के मुद्दों पर बहस ही नही हो पायेगी। और सरकार बजट की कुछ योजनाओं को लोगों के हित की योजनाओं के रूप में पेश कर सकती है जो सही नही होगा।
२. चुनाव घोषित होने पर आचार सहिंता लागु हो जाती है, जिसके बाद सरकार ऐसा कोई काम या घोषणा नही कर सकती जो लोगों को लुभाने और द्वारा चुनाव को प्रभावित कर सकती हो। इस सूरत में चुनाव से दो दिन पहले बजट पेश करना एक तरह से चुनाव आचार सहिंता का उलन्घन माना जाना चाहिए।
३. एक फरवरी को बजट पेश करने पर माकपा नेता सीताराम येचुरी का कहना है की साल का चौथा क्वार्टर एक जनवरी से शुरू होता है और आर्थिक सर्वेक्षण 31 जनवरी को पेश करना पड़ेगा। इस सर्वेक्षण में साल के अंतिम क्वार्टर में नोटबन्दी से हुए नुकशान के आंकड़े शामिल नही होंगे। सरकार नोटबन्दी के नुकशान को लोगों के सामने आने से पहले ही चुनाव और बजट पेश करना चाहती है ताकि जुबानी तौर पर नोटबन्दी को देश और लोगों के हित में होने का गलत प्रचार कर सके।
इन सारी चीजों को देखते हुए चुनाव आयोग ने इस पर विचार करने का आश्वासन दिया है।
१. चार फरवरी को चुनाव है और दो फरवरी को चुनाव प्रचार बन्द हो जायेगा। इसलिए बजट में लोगों के मुद्दों पर बहस ही नही हो पायेगी। और सरकार बजट की कुछ योजनाओं को लोगों के हित की योजनाओं के रूप में पेश कर सकती है जो सही नही होगा।
२. चुनाव घोषित होने पर आचार सहिंता लागु हो जाती है, जिसके बाद सरकार ऐसा कोई काम या घोषणा नही कर सकती जो लोगों को लुभाने और द्वारा चुनाव को प्रभावित कर सकती हो। इस सूरत में चुनाव से दो दिन पहले बजट पेश करना एक तरह से चुनाव आचार सहिंता का उलन्घन माना जाना चाहिए।
३. एक फरवरी को बजट पेश करने पर माकपा नेता सीताराम येचुरी का कहना है की साल का चौथा क्वार्टर एक जनवरी से शुरू होता है और आर्थिक सर्वेक्षण 31 जनवरी को पेश करना पड़ेगा। इस सर्वेक्षण में साल के अंतिम क्वार्टर में नोटबन्दी से हुए नुकशान के आंकड़े शामिल नही होंगे। सरकार नोटबन्दी के नुकशान को लोगों के सामने आने से पहले ही चुनाव और बजट पेश करना चाहती है ताकि जुबानी तौर पर नोटबन्दी को देश और लोगों के हित में होने का गलत प्रचार कर सके।
इन सारी चीजों को देखते हुए चुनाव आयोग ने इस पर विचार करने का आश्वासन दिया है।
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