Tuesday, October 22, 2019

हरियाणा विधानसभा चुनाव एग्जिट पोल - साजिश है या गलती है ?

           इसमें दोनों संभावनाएं हैं।
एक तरफ देश का एक बड़ा वर्ग ये मानता है की EVM को हैक करके नतीजों को बदला जाता है। उसके हिसाब से पहले भाजपा के नेता सीटों की संख्या का प्रचार करते हैं, फिर मीडिया अपने ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल के जरिये उसे वैधता प्रदान करता है और उसके बाद EVM में पहले से फिक्स किये गए नतीजे घोषित कर दिए जाते हैं। इन नतीजों पर कोई सवाल खड़ा न करे इसलिए एग्जिट पोल का उपयोग किया जाता है।
            इस स्थिति का सबसे खराब पहलु ये है की खुद चुनाव आयोग का रवैया इस पर ऐसा रहा है जो भरोसा पैदा करने की बजाय शक पैदा करता है। VVPAT की पर्चियों का मिलान EVM से किया जाये तो इस पर एक हद तक भरोसा पैदा हो सकता था लेकिन केवल भाजपा को छोड़ कर बाकि सभी दलों की न्यूनतम 25 % मशीनो की पर्चियों के मिलान की बात भी चुनाव आयोग ने ठुकरा दी। और इसके लिए बहुत ही लचर तर्क दिया गया की इसमें समय बहुत लगेगा। पहले तो सभी चुनाव बैलेट पेपर से होते थे और उनके रुझान दोपहर तक आने शुरू हो जाते थे और अगले दिन तक सभी नतीजे घोषित हो जाते थे। फिर केवल 25 % मशीनो के मिलान पर आयोग ने कहा की इसमें पांच दिन की देरी होगी जो की हास्यास्पद है। आयोग का ये रुख EVM पर लोगों का भरोसा कम करता है। इसके बाद आयोग ने EVM  पर सवाल उठाने वालों के खिलाफ धाक धमकी का सहारा लिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी आयोग को कोई भरोसे लायक निर्देश देने में कोताही की। जबकि होना ये चाहिए था की चुनाव आयोग सभी राजनैतिक दलों के साथ सलाह मशविरा करके कोई रास्ता निकालता ताकि लोगों का भरोसा चुनाव प्रणाली पर बना रहे।
              इसलिए लोग इन एग्जिट पोल को एक साजिश की तरह देखते हैं।
               दूसरी तरफ वो लोग हैं जो EVM में किसी तरह की टैम्परिंग की संभावना को ख़ारिज करते हैं। लेकिन एग्जिट पोल के नतीजों पर हैरान हैं। मेरी हरियाणा चुनाव से सीधे जुड़े बहुत से लोगों से चुनाव से पहले और बाद में राजनैतिक हालात पर चर्चा हुई। इसमें लगभग आधे लोगों का मानना है की भाजपा हरियाणा में हार रही है , और बाकी आधे लोगों का मानना है की भाजपा की सरकार बन सकती है लेकिन बहुमत से नहीं। 90 % लोगों का मानना है की हरियाणा में हंग असेम्ब्ली की संभावना ज्यादा है। लेकिन एग्जिट पोल के नतीजों से वो भी हैरान हैं। एक बार अगर ये मान लिया जाये की एग्जिट पोल के नतीजे किसी साजिश का हिस्सा नहीं है तो फिर क्या ये गणितीय भूल है ?
                 ऐसा हो सकता है। ये किस तरह हो सकता है इसे इस तरह समझिये। मान लो पुरे हरियाणा के स्तर पर कोई एग्जिट पोल के लिए सैंपल इकट्ठे करता है और उसके सैंपलों का परिणाम इस प्रकार आता है - भाजपा 40 %, कांग्रेस 32 % और जजपा 28 % . तो तिकोने मुकाबले में भाजपा की दोनों पार्टियों से 8 से लेकर 12 % तक की बढ़त है। इतनी बड़ी बढ़त के दम पर 75 सीटें लेना बहुत ही आसान है और कोई भी स्टैटिटिक्स का जानकर इससे यही नतीजा निकालेगा।
                  लेकिन अगर धरातल पर सीट बाई सीट कांग्रेस और जजपा की बढ़त अलग अलग है जैसे जिस सीट पर जजपा मजबूत है वहां उसका वोट प्रतिशत 42 -43 % हो जाता है और जहाँ कांग्रेस मजबूत हैं वहां उसका वोट प्रतिशत 40 % को पार कर लेता है और बाकि सीटों पर इन दोनों पार्टियों का वोट प्रतिशत कम रहता है तो भाजपा आराम से हार सकती है। लोग भी यही कह रहे हैं। लोगों का कहना है की जहाँ कांग्रेस का उम्मीदवार मजबूत था वहां भाजपा विरोधी वोटों का धुर्वीकरण उसके पक्ष में हो गया और जहाँ जजपा मजबूत थी वहां उसके पक्ष में। इस तरह के हालात में पुरे प्रदेश के पैमाने पर गिना गया वोट प्रतिशत हमेशा गलत नतीजे देगा। कोई भी सफ़ॉलोजिस्ट बिना एक एक सीट के अलग सर्वे के सही नतीजे नहीं निकाल सकता। इसलिए एग्जिट पोल के नतीजे और असल नतीजे अलग अलग हो सकते हैं। 

Monday, October 21, 2019

व्यंग - रहिये पानीदार अब पाकिस्तान के पानी से।

               बहुत पहले रहीम ने कहा था ,
रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून,
पानी गए न ऊबरै, माटी, मानुस, चून।
लेकिन लोगों में पानी नहीं बचा। जिन लोगों पर पानी का इंतजाम करने का जिम्मा था, उनमे तो बिलकुल ही नहीं बचा। इसलिए सब जगह पानी की लिए त्राहिमाम मचा हुआ है।
इसी बीच प्रधानमंत्री ने घोषणा कर दी की पाकिस्तान से पानी लाएंगे। मीडिया ने नदियां बहा दी जिससे कुछ जगहों में दुबारा बाढ़ आ गयी। बिना मौसम की बाढ़। लोगों को समझ नहीं आ रहा। अरे भाई ये प्रधानमंत्री और मीडिया की लाई हुई बाढ़ है जो कभी भी आ सकती है।
लोग उत्साहित हैं। अब पानी आएगा भले ही पाकिस्तान से आये। एक बूढ़े आदमी ने तो अपने लड़कों को बुलाकर साफ साफ कह दिया की उनके मुंह में गंगाजल की जगह पाकिस्तान का पानी डाला जाये। पहले दो पानी मशहूर थे, एक गंगाजल और दूसरा आबे जमजम। अब तीसरा भी मशहूर हो गया , पाकिस्तान का पानी। किसी भी चीज की कीमत उसके उत्पादन पर होने वाली मेहनत और जोखिम पर आधारित होती है, इस हिसाब से हिंदुस्तान में सबसे कीमती पानी पाकिस्तान का पानी ही हो सकता है।
तो ये पानी मिलेगा कहाँ ?
इसे आप अमेज़ॉन या फ्लिपकार्ट से खरीद सकते हैं। होम डिलीवरी की सुविधा के साथ। अगर आपको भुगतान की परेशानी है तो किस्तें भी बनवा सकते हैं। इससे व्यापार के नए अवसर पैदा होंगे। नए रोजगार पैदा होंगे। अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का कितना आसान रास्ता निकल आया। फालतू में अभिजीत बैनर्जी को नोबल पकड़ा दिया जबकि उसका असली हकदार तो कोई और था।
लेकिन ये पानी आएगा कैसे ? बातचीत से ? शटअप। जब तक आतंकवाद बंद नहीं होता तुम  बातचीत का सोच भी कैसे सकते हो ? जब तक पाकिस्तान से ज्यादा बड़ा इमोशनल मुद्दा दूसरा नहीं मिल जाता बातचीत की कोई संभावना नहीं है। मतलब इसकी कोई संभावना ही नहीं है।
फिर कैसे आएगा पानी ? आएगा और जरूर आएगा। प्रधानमंत्री इसे उसी तरह लाएंगे जैसे प्रोमेथियस स्वर्ग से अग्नि लेकर आया था। प्रधानमंत्री अपने देश के लोगों के लिए कुछ भी कर सकते हैं ट्रम्प के लिए चुनाव प्रचार तक। लेकिन इसमें दो समस्या हैं। पहली ये की कैमरामैन कैसे जायेगा ? अगर कैमरामैन नहीं जायेगा तो प्रधानमंत्री भी नहीं जायेंगे। प्रधानमंत्री तो बिना कैमरामैन के बीच से कचरा तक नहीं उठाते फिर पाकिस्तान से पानी लाने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। दूसरी समस्या ये है की किसी ने उन्हें बता दिया की प्रोमेथियस को दी गयी सजा के तौर पर जब गिद्ध उनका मांस नोच रहा था तो लोग हंस रहे थे। कितने नाशुक्रे लोग हैं, अच्छा है की हमने लोगों के लिए कुछ नहीं किया वरना ये हम पर भी हँसते। अब तो हम इन पर हँसते हैं।
तो फिर कैसे आएगा पानी ?
प्रधानमंत्री की अध्यक्ष्ता में कैबिनेट की मीटिंग में इस पर चर्चा हुई।
सर समस्या ये नहीं है की पानी कैसे आएगा, समस्या ये है की पानी हरियाणा में कैसे आएगा ? क्योंकि पाकिस्तान और हरियाणा के बीच में पंजाब पड़ता है जो पानी को हरियाणा जाने नहीं देगा। पहले भी अकाली एक नहर को रेत से भर चुके हैं।
सर हमे अकालियों को साफ साफ कह देना चाहिए की पानी को हरियाणा जाने दें।
हूँ, लेकिन जब तक अकाली हमारे सहयोगी हैं तब तक प्रकाश सिंह बादल नेल्सन मंडेला हैं, जिस दिन वो हमसे अलग होंगे उस दिन वो भी वैसा ही लुटेरा परिवार हो जायेंगे जैसे बाकि राज्यों में हुआ। लेकिन तब तक कोई दूसरा रास्ता निकालो।
अब अमित शाह ने बोलना शुरू किया तो बाकि लोग पहले ही उनके समर्थन में सर हिलाने लगे।  अमित शाह ने कहा की पंजाब और हरियाणा दोनों को मिलाकर एक केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दो। मैं उससे पहले सबको उठवा लेता हूँ। मीडिया को आदेश दे देते हैं की पाकिस्तान पंजाब में ड्रोन भेज रहा था और हमारे पास पक्की खुफ़िआ सूचना है की वो इन  ड्रोन में परमाणु बम भेजने वाला था।
नहीं, अभी कश्मीर का मामला भी नहीं सुलझा है और मुझे महीने में बीस दिन विदेश में रहना होता है, वहां बहुत मुश्किल होती है।
तभी किसी ने याद दिलाया की हरियाणा का चुनाव तो निपट चुका है अब इस पर माथा पच्ची करने की क्या जरूरत है।
और हम फिर बेपानी रह गए।

Tuesday, October 1, 2019

डरावने आंकड़े आ रहे हैं अर्थ व्यवस्था के।

            पिछले कई क़्वार्टर से अर्थ व्यवस्था बैक गियर में जा रही है। अब ये स्पष्ट हो चूका है की ये गिरावट किसी क़्वार्टर की किसी खास वजह से नहीं है बल्कि एक लगातार जारी ढलान की तरफ और ढांचागत कारणों से है। अब तो इसको लगभग सरकार ने भी मान लिया है भले ही दबी जुबान में सही। लेकिन सरकार और उसके कुछ खास लोगों को अब भी उम्मीद है की ये अपने आप ठीक हो जाएगी। इसके लिए सरकार ने कुछ कदमो की घोषणा भी की लेकिन जानकारों का मानना है की सरकार के कदमो से कॉरपोरेट सैक्टर को आर्थिक लाभ तो मिलेगा लेकिन इन कदमो से बाजार में मांग पैदा नहीं होगी और लिहाजा अर्थ व्यवस्था में कोई सुधार नहीं होगा।
              जानकारों का मानना है की अर्थ व्यवस्था में मंदी लोगों की क्रय शक्ति कम होने के चलते मांग में आयी गिरावट की वजह से है और जिस पर इन कदमो का कोई असर होने वाला नहीं है। फिर भी एक आशावादी तबके को सुधार की उम्मीद है और वो इसका इंतजार कर रहे हैं।
                 लेकिन जब भी अर्थ व्यवस्था से संबंधित कोई भी आंकड़ा सामने आता है तो उसमे बीमारी के बढ़ने के संकेत हैं न की घटने के। अब इस क्रम में जो ताज़ा आंकड़े आये हैं वो तो बहुत ही डरावने हैं। 30 सितम्बर 2019 को जारी आंकड़ों के अनुसार अर्थ व्यवस्था की हालत निम्न अनुसार है।

१. देश का फिस्कल डेफिसिट 5538.40 B  डॉलर हो गया जो पिछले महीने से करीब 62 B डॉलर ज्यादा है।

२. भारत का चालू खाता घाटा -14.30 B डॉलर हो गया जो  पहले -4.60  B  डॉलर था।

३.  भारत का चालू खाता घाटा जीडीपी के -2.00 % हो गया जो पहले -0.70 % था।

४.  भारत का भुगतान संतुलन -46.20  B  डॉलर हो गया जो पिछली अवधी में। 35.20  B  डॉलर था।

५.  सबसे भयानक बात ये की भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर आउटपुट -0.5 % हो गया जो 52 महीने का निचला स्तर है और जो पिछली अवधि में 2.7 % था।

            इसका सीधा सा मतलब ये है की औद्योगिक उत्पादन तेजी से गिर रहा है , भुगतान संतुलन बिगड़ रहा है और घाटा बढ़ रहा है। इसका सीधा असर ये होता है की सरकार इ हस्तक्षेप करने की क्षमता घट जाती है और सुधार की उम्मीद फीकी होती चली जाती है।