गोरखपुर में ऑक्सीजन के बिना हुई बच्चों की मौत के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है ? ये एक ऐसा सवाल बना दिया गया जैसे की ये बहुत बड़ा रहस्य हो। गनीमत है की केंद्रीय गृहमंत्रालय ने FBI को जाँच के लिए नहीं बुलाया। पूरी बीजेपी और उसके चैनल इस पर थूक बिलो रहे हैं और हाथ झाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इसी बीच में कल योगीजी का बयान आया की इसके लिए पिछली सरकार जिम्मेदार है। देश को उनसे ऐसी ही उम्मीद थी। वैसे भी ऐसे लोगों को जिन्होंने मुख्यमंत्री चुना है, उन्होंने कोई विज्ञानं की खोज के लिए थोड़ा न चुना है। इसी तरह की बातें करने के लिए चुना है। किसी पढ़े लिखे को चुन लेते तो उसको ऐसा कहने में दिक्क्त हो सकती थी। इसलिए बीजेपी ने हरियाणा से उत्तरप्रदेश तक हर जगह ऐसे लोगों को ही बिठाया है ताकि कल कोई असुविधा न हो।
कल हमारे मुहल्ले के चबूतरे पर इस पर गहन विचार विमर्श हुआ। उसमे व्यक्त किये गए विचार इस प्रकार हैं। -
एक बुजुर्ग ने कहा की भाई जिसे ऑक्सीजन का प्रबंध करना था और जिस सरकार को निगरानी करनी थी उनकी जिम्मेदारी बनती है। बस फिर क्या था। भक्तों में कोहराम मच गया। एक भक्त ने कहा की ये बुड्ढा तो पुराना कांग्रेसी है इसलिए ऐसा कह रहा है। ये बात कोई भी टीवी चैनल नहीं कह रहा।
दूसरे भक्त ने हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा की कोई डॉक्टर कफील है जो इसके लिए जिम्मेदार है। उस पर पहले रेप का आरोप लगा है।
एक दूसरे आदमी ने कहा की ये कोई छेड़खानी का मामला है क्या जो पिछले रेप का उदाहरण दे रहे हो।
इस पर एक भक्त चिल्लाया, ये देशद्रोही है , मैंने इसे पाकिस्तान और इंग्लैंड के मैच में पाकिस्तान की टीम का समर्थन करते देखा है।
तभी एक आचार्यजी ने वहां प्रवेश किया जो सीधे संघ के बौद्धिक से पधार रहे थे। भक्तों ने उसके लिए अतिरिक्त सम्मान का परिचय देते हुए उनको इस विषय पर विशेष कमेंट करने के लिए कहा।
आचार्यजी ने इधर उधर देखा और कहा , आज संघ के बौद्धिक में इस विषय पर गहन विचार विमर्श हुआ है। इसके सभी पहलुओं की बारीकी से छानबीन करने के बाद ये निष्कर्ष निकला है। -
जैसे योगी जी ने कहा की इसके लिए पिछली सरकार जिम्मेदार है, उससे संघ सहमत है। लेकिन पिछली सरकार से मतलब अखिलेश की सरकार से नहीं है। इसकी जड़ें काफी गहरी हैं। उसके लिए हमे उस आंदोलन तक जाना होगा जिसे देश के कुछ लोग आजादी का आंदोलन कहते हैं। हम उसे आजादी का आंदोलन नहीं कहते, और इसीलिए हमने उसमे हिस्सा नहीं लिया था। हम अंग्रेजो की उस बात से सहमत थे की हिंदुस्तानिओं को शासन करना नहीं आता। और अंग्रेज इस देश को सभ्य बनाने के लिए आये हैं। लेकिन उस समय की कांग्रेस और दूसरे लोगों ने मिलकर अंग्रेजों की इस योजना पर पानी फेर दिया। उस समय तक केवल संघ से जुड़े लोग ही सभ्य हो पाए थे और बाकी सारा देश असभ्य ही था। लेकिन जवाहरलाल नेहरू के सत्ता के लालच ने अंग्रेजों को अपना सभ्यता का मिशन बीच में ही छोड़कर वापिस जाने के लिए मजबूर कर दिया। वरना अब तक अंग्रेज राज कर रहे होते और हम इस घटना की जिम्मेदारी उन पर डाल सकते थे। लेकिन नेहरू गाँधी परिवार और कांग्रेस के सत्ता के लालच के चलते ऐसा नहीं हो पाया। इसलिए संघ इस घटना के लिए राहुल गाँधी को जिम्मेदार मानता है और उससे देश से माफ़ी मांगने की मांग करता है।
भक्तों ने तालियां बजाई और आचार्यजी देश की बाकी समस्याओं पर प्रवचन देने लगे।
कल हमारे मुहल्ले के चबूतरे पर इस पर गहन विचार विमर्श हुआ। उसमे व्यक्त किये गए विचार इस प्रकार हैं। -
एक बुजुर्ग ने कहा की भाई जिसे ऑक्सीजन का प्रबंध करना था और जिस सरकार को निगरानी करनी थी उनकी जिम्मेदारी बनती है। बस फिर क्या था। भक्तों में कोहराम मच गया। एक भक्त ने कहा की ये बुड्ढा तो पुराना कांग्रेसी है इसलिए ऐसा कह रहा है। ये बात कोई भी टीवी चैनल नहीं कह रहा।
दूसरे भक्त ने हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा की कोई डॉक्टर कफील है जो इसके लिए जिम्मेदार है। उस पर पहले रेप का आरोप लगा है।
एक दूसरे आदमी ने कहा की ये कोई छेड़खानी का मामला है क्या जो पिछले रेप का उदाहरण दे रहे हो।
इस पर एक भक्त चिल्लाया, ये देशद्रोही है , मैंने इसे पाकिस्तान और इंग्लैंड के मैच में पाकिस्तान की टीम का समर्थन करते देखा है।
तभी एक आचार्यजी ने वहां प्रवेश किया जो सीधे संघ के बौद्धिक से पधार रहे थे। भक्तों ने उसके लिए अतिरिक्त सम्मान का परिचय देते हुए उनको इस विषय पर विशेष कमेंट करने के लिए कहा।
आचार्यजी ने इधर उधर देखा और कहा , आज संघ के बौद्धिक में इस विषय पर गहन विचार विमर्श हुआ है। इसके सभी पहलुओं की बारीकी से छानबीन करने के बाद ये निष्कर्ष निकला है। -
जैसे योगी जी ने कहा की इसके लिए पिछली सरकार जिम्मेदार है, उससे संघ सहमत है। लेकिन पिछली सरकार से मतलब अखिलेश की सरकार से नहीं है। इसकी जड़ें काफी गहरी हैं। उसके लिए हमे उस आंदोलन तक जाना होगा जिसे देश के कुछ लोग आजादी का आंदोलन कहते हैं। हम उसे आजादी का आंदोलन नहीं कहते, और इसीलिए हमने उसमे हिस्सा नहीं लिया था। हम अंग्रेजो की उस बात से सहमत थे की हिंदुस्तानिओं को शासन करना नहीं आता। और अंग्रेज इस देश को सभ्य बनाने के लिए आये हैं। लेकिन उस समय की कांग्रेस और दूसरे लोगों ने मिलकर अंग्रेजों की इस योजना पर पानी फेर दिया। उस समय तक केवल संघ से जुड़े लोग ही सभ्य हो पाए थे और बाकी सारा देश असभ्य ही था। लेकिन जवाहरलाल नेहरू के सत्ता के लालच ने अंग्रेजों को अपना सभ्यता का मिशन बीच में ही छोड़कर वापिस जाने के लिए मजबूर कर दिया। वरना अब तक अंग्रेज राज कर रहे होते और हम इस घटना की जिम्मेदारी उन पर डाल सकते थे। लेकिन नेहरू गाँधी परिवार और कांग्रेस के सत्ता के लालच के चलते ऐसा नहीं हो पाया। इसलिए संघ इस घटना के लिए राहुल गाँधी को जिम्मेदार मानता है और उससे देश से माफ़ी मांगने की मांग करता है।
भक्तों ने तालियां बजाई और आचार्यजी देश की बाकी समस्याओं पर प्रवचन देने लगे।
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