जितनी निगाहें इस बार के गुजरात चुनाव के ऊपर लगी हुई हैं उतनी शायद ही किसी राज्य के विधानसभा चुनाव पर लगी हों। इसका एक कारण गुजरात में पाटीदार आंदोलन के चुनाव पर असर को जानने की उत्सुकता भी है और GST के बाद गुजरात के व्यापारियों के मूड को देखने की उत्सुकता भी है।
इस बात में कोई दो राय नहीं हैं की GST के कारण व्यापारियों का एक बड़ा तबका सरकार से नाराज है। सूरत में खासकर टेक्सटाइल से जुड़े व्यापारी खासे नाराज हैं। इसका एक कारण तो GST नेटवर्क की मुश्किलियाँ भी हैं और दूसरी तरफ टेक्सटाइल पर GST का मौजूदा स्वरूप उसके आधारभूत तर्क के ही खिलाफ है। अबाधित इनपुट क्रेडिट को टेक्सटाइल के मामले में लागु नहीं किया गया है। इसलिए लोगों को इस बात की उत्सुकता है की व्यापारी अपनी नाराजगी वोट के वक्त जाहिर करते हैं या नहीं।
पिछले एक महीने में बहुत से लोगों से इस बारे में बातचीत हुई। इसमें दो विरोधी चीजें निकल कर सामने आयी। पहली ये की हर आदमी ये मानता है की लोग सरकार से नाराज हैं। दूसरी बात ये की लोगों को इस बात का अंदेशा है की जीत तो बीजेपी की ही होगी। इसके बारे में लोगों का कहना है की प्रधानमंत्री मोदी चुनाव के आखरी दौर में कुछ न कुछ ऐसा मुद्दा निकाल कर ले आएंगे की लोग बीजेपी को वोट कर देंगे। दूसरी बात जो लोग कहते हैं वो ये है की पूरे मीडिया में केवल बीजेपी ही दिखाई देती है बाकी कुछ दिखाई ही नहीं देता। एक और बात लोग कहते हैं की बीजेपी इस चुनाव को मोदी और राहुल के बीच भाषण प्रतियोगिता में बदल देगी और लोग मोदीजी के भाषण पर तालियां बजाते हुए बीजेपी को वोट कर देंगे। लेकिन इसमें एक विरोधी बात भी निकल कर आयी।
जब मैंने लोगों से ये पूछा की पिछले तीन चुनावों के दौरान बीजेपी और कांग्रेस के बीच वोटों का अंतर् लगभग 9 % का रहा है। और ये तीनो चुनाव एकतरफा माने जाते थे। अगर केवल 5 % वोट की स्विंग बीजेपी से कांग्रेस के पक्ष में हो जाती है तो बाजी पलट सकती है और बीजेपी हार सकती है। इस पर लोगों की प्रतिक्रिया आश्चर्यजनक थी। लोगों का कहना था की क्या वाकई में पांच प्रतिशत से बाजी पलट सकती है ? फिर वो कहते की इस बार स्विंग तो पांच प्रतिशत से ज्यादा होगी। अगर इतनी ही स्विंग से बीजेपी हार सकती है तो इस बार उसके हारने के चान्स ज्यादा हैं।
असल में मीडिया की एकतरफा कवरेज ने लोगों की सोचने समझने की शक्ति और सही जानकारी होने की क्षमता को भारी नुकशान पहुंचाया है। इसका असर बीजेपी के विरोधियों पर ही नहीं बल्कि उसके समर्थकों पर भी पड़ता है और उन्हें चारों तरफ हरा हरा ही नजर आने लगता है और नतीजे इण्डिया शाइनिंग जैसे आ सकते हैं। गुजरात चुनाव में मुकाबला केवल ये है की क्या कांग्रेस अपने पक्ष में केवल पांच प्रतिशत की स्विंग करवा सकती है नहीं। और इस बार के हालात देखकर ये बहुत सम्भव लगता है और इसे हर आदमी स्वीकार करता है।
इस बात में कोई दो राय नहीं हैं की GST के कारण व्यापारियों का एक बड़ा तबका सरकार से नाराज है। सूरत में खासकर टेक्सटाइल से जुड़े व्यापारी खासे नाराज हैं। इसका एक कारण तो GST नेटवर्क की मुश्किलियाँ भी हैं और दूसरी तरफ टेक्सटाइल पर GST का मौजूदा स्वरूप उसके आधारभूत तर्क के ही खिलाफ है। अबाधित इनपुट क्रेडिट को टेक्सटाइल के मामले में लागु नहीं किया गया है। इसलिए लोगों को इस बात की उत्सुकता है की व्यापारी अपनी नाराजगी वोट के वक्त जाहिर करते हैं या नहीं।
पिछले एक महीने में बहुत से लोगों से इस बारे में बातचीत हुई। इसमें दो विरोधी चीजें निकल कर सामने आयी। पहली ये की हर आदमी ये मानता है की लोग सरकार से नाराज हैं। दूसरी बात ये की लोगों को इस बात का अंदेशा है की जीत तो बीजेपी की ही होगी। इसके बारे में लोगों का कहना है की प्रधानमंत्री मोदी चुनाव के आखरी दौर में कुछ न कुछ ऐसा मुद्दा निकाल कर ले आएंगे की लोग बीजेपी को वोट कर देंगे। दूसरी बात जो लोग कहते हैं वो ये है की पूरे मीडिया में केवल बीजेपी ही दिखाई देती है बाकी कुछ दिखाई ही नहीं देता। एक और बात लोग कहते हैं की बीजेपी इस चुनाव को मोदी और राहुल के बीच भाषण प्रतियोगिता में बदल देगी और लोग मोदीजी के भाषण पर तालियां बजाते हुए बीजेपी को वोट कर देंगे। लेकिन इसमें एक विरोधी बात भी निकल कर आयी।
जब मैंने लोगों से ये पूछा की पिछले तीन चुनावों के दौरान बीजेपी और कांग्रेस के बीच वोटों का अंतर् लगभग 9 % का रहा है। और ये तीनो चुनाव एकतरफा माने जाते थे। अगर केवल 5 % वोट की स्विंग बीजेपी से कांग्रेस के पक्ष में हो जाती है तो बाजी पलट सकती है और बीजेपी हार सकती है। इस पर लोगों की प्रतिक्रिया आश्चर्यजनक थी। लोगों का कहना था की क्या वाकई में पांच प्रतिशत से बाजी पलट सकती है ? फिर वो कहते की इस बार स्विंग तो पांच प्रतिशत से ज्यादा होगी। अगर इतनी ही स्विंग से बीजेपी हार सकती है तो इस बार उसके हारने के चान्स ज्यादा हैं।
असल में मीडिया की एकतरफा कवरेज ने लोगों की सोचने समझने की शक्ति और सही जानकारी होने की क्षमता को भारी नुकशान पहुंचाया है। इसका असर बीजेपी के विरोधियों पर ही नहीं बल्कि उसके समर्थकों पर भी पड़ता है और उन्हें चारों तरफ हरा हरा ही नजर आने लगता है और नतीजे इण्डिया शाइनिंग जैसे आ सकते हैं। गुजरात चुनाव में मुकाबला केवल ये है की क्या कांग्रेस अपने पक्ष में केवल पांच प्रतिशत की स्विंग करवा सकती है नहीं। और इस बार के हालात देखकर ये बहुत सम्भव लगता है और इसे हर आदमी स्वीकार करता है।
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.