PNB घोटाले के बाद माननीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह का बयान आया है की अगर जरूरत पड़ी तो नीरव मोदी को खींच कर लायेंगे। मैं कहता हूँ की जरूरत नहीं पड़ेगी। ये कोई भूखे नंगों का देश है क्या ? क्यों खींच कर लाएंगे और अपनी बेइज्जती करवाएंगे। बाकी दुनिया हमारे बारे में क्या सोचेगी ? कहेगी, देखो कैसा निर्लज्ज देश है जो इतनी सी बात के लिए खींच कर ले गए। 130 करोड़ की आबादी वाला देश इतना प्रबंध भी नहीं कर सका। कैसे विजय माल्या के बाद हमने मिनिमम बैलेंस ना होने पर चार्ज लगा कर नुकशान की भरपाई कर ली थी। अब हम उसको दुगना कर सकते हैं। वरना 5000 रूपये बैलेंस न होने पर 100 रूपये जुर्माना लगा सकते हैं और होने पर 150 रूपये लगा सकते हैं। कोई भी नहीं बच पायेगा। साथ ही हम ये भी कह सकते हैं की गरीबों की सरकार है। जो गरीब लोग 5000 का बैलेंस नहीं रख सकते उन पर तो केवल 100 रूपये ही लगाया है और जो अमीर लोग रख सकते हैं उन पर 150 लगाया है। सबका साथ सबका विकास।
इसके अलावा हमारी एक संस्कृति है परम्परा है जो हमे विश्व गुरु बनाती है। इस तरह की तुच्छ बात के लिए हम अपनी हजारों साल पुरानी परम्परा का त्याग तो नहीं कर सकते। हमने ललित मोदी के लिए ऐसा कह दिया था। बाद में याद आया की मानवता भी कोई चीज होती है सो हमने अपनी परम्परा की इज्जत रख ली। कहने को तो हमने दाऊद इब्राहिम को भी खींच कर लाने की बात कही थी। लेकिन दाऊद ने एक बार भी नहीं कहा की हमे खींच कर ले चलो। सो हम क्या करें? हम किसी को जबरदस्ती तो खींच कर नहीं ला सकते। छोटा राजन ने जरूर हमे कहा की अब मैं दाऊद से बचने के लिए इंतजाम करने की पोजीशन में नहीं हूँ, इसलिए इससे पहले की दाऊद मुझे टपका दे, मुझे खींच कर ले चलो। और हम खींच लाये।
ऐसा ही मामला हाफिज सईद का है। पाकिस्तान हमे इजाजत ही नहीं दे रहा है की खींच ले जाओ, वरना तो कब का खींच लाते। हमने विजय माल्या को भी खींच कर लाने के लिए मनाने की कोशिश की थी लेकिन उसने भी मना कर दिया। सो हम कोई दूसरा ढूंढ रहे हैं।
कुछ लोग तो इतने निर्लज्ज हैं की भागे ही नहीं। यहीं मौज़ कर रहे हैं। सो उनको तो खींच कर ला नहीं सकते। इटली के मरीन सैनिकों के मामले में तो हमारी संस्कृति का पतन होते होते बचा। वो तो अच्छा हुआ की हमने इटली की सरकार की बात मानकर उन्हें वहीं रहने की इजाजत सुप्रीम कोर्ट से दिलवा दी वरना कुछ देशविरोधी तत्व तो उनको भी खींच कर लाने की बात करने लगे थे। जो लोग देश की परम्परा और हमारी महान संस्कृति को नहीं समझते, उनके मुंह लगना हमने छोड़ दिया है।
हाँ तो हम नीरव मोदी की बात कर रहे थे। सो हम माननीय राजनाथ सिंह को विश्वास दिलाते हैं की उसे खींच कर लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अरे कुल रकम ही कितनी होती है। जो लोग पूरा दिन एक बार खाना खाकर रहते हैं वो कुछ दिन दो दिन में एक बार खाकर रह लेंगे तो कोई पहाड़ थोड़ा न टूट पड़ेगा। आखिर देश के लिए किसी न किसी को तो क़ुरबानी देनी ही होती है। पिछले दिनों में बैंको ने ढाई लाख करोड़ माफ़ कर दिया , वित्त मंत्री ने बैंको में दूसरा ढाई लाख करोड़ डालने की घोषणा कर दी। हमने दोनों की रक्षा कर ली, घोटालेबाजों की भी और हमारी महान परम्परा की भी। इस देश में अब तक इतने घोटाले हुए, कुछ लोग भाग गए और कुछ लोग यहीं रह गए, लेकिन हमारा कुछ बिगड़ा ? नहीं बिगड़ सकता। आखिर कवि ने ऐसे ही तो नहीं लिखा था की "कुछ बात है की हस्ती मिटती नहीं हमारी " . कवि पहले से जानता था की भले ही गजनवी और गौरी न आएं, भले ही अंग्रेज चले जाएँ, लेकिन हमारे महान देश में लूट की सनातन परम्परा हमेशा जारी रहेगी और हमारा कुछ नहीं बिगड़ेगा। इसलिए हमे नीरव मोदी को खींच कर लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
इसके अलावा हमारी एक संस्कृति है परम्परा है जो हमे विश्व गुरु बनाती है। इस तरह की तुच्छ बात के लिए हम अपनी हजारों साल पुरानी परम्परा का त्याग तो नहीं कर सकते। हमने ललित मोदी के लिए ऐसा कह दिया था। बाद में याद आया की मानवता भी कोई चीज होती है सो हमने अपनी परम्परा की इज्जत रख ली। कहने को तो हमने दाऊद इब्राहिम को भी खींच कर लाने की बात कही थी। लेकिन दाऊद ने एक बार भी नहीं कहा की हमे खींच कर ले चलो। सो हम क्या करें? हम किसी को जबरदस्ती तो खींच कर नहीं ला सकते। छोटा राजन ने जरूर हमे कहा की अब मैं दाऊद से बचने के लिए इंतजाम करने की पोजीशन में नहीं हूँ, इसलिए इससे पहले की दाऊद मुझे टपका दे, मुझे खींच कर ले चलो। और हम खींच लाये।
ऐसा ही मामला हाफिज सईद का है। पाकिस्तान हमे इजाजत ही नहीं दे रहा है की खींच ले जाओ, वरना तो कब का खींच लाते। हमने विजय माल्या को भी खींच कर लाने के लिए मनाने की कोशिश की थी लेकिन उसने भी मना कर दिया। सो हम कोई दूसरा ढूंढ रहे हैं।
कुछ लोग तो इतने निर्लज्ज हैं की भागे ही नहीं। यहीं मौज़ कर रहे हैं। सो उनको तो खींच कर ला नहीं सकते। इटली के मरीन सैनिकों के मामले में तो हमारी संस्कृति का पतन होते होते बचा। वो तो अच्छा हुआ की हमने इटली की सरकार की बात मानकर उन्हें वहीं रहने की इजाजत सुप्रीम कोर्ट से दिलवा दी वरना कुछ देशविरोधी तत्व तो उनको भी खींच कर लाने की बात करने लगे थे। जो लोग देश की परम्परा और हमारी महान संस्कृति को नहीं समझते, उनके मुंह लगना हमने छोड़ दिया है।
हाँ तो हम नीरव मोदी की बात कर रहे थे। सो हम माननीय राजनाथ सिंह को विश्वास दिलाते हैं की उसे खींच कर लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अरे कुल रकम ही कितनी होती है। जो लोग पूरा दिन एक बार खाना खाकर रहते हैं वो कुछ दिन दो दिन में एक बार खाकर रह लेंगे तो कोई पहाड़ थोड़ा न टूट पड़ेगा। आखिर देश के लिए किसी न किसी को तो क़ुरबानी देनी ही होती है। पिछले दिनों में बैंको ने ढाई लाख करोड़ माफ़ कर दिया , वित्त मंत्री ने बैंको में दूसरा ढाई लाख करोड़ डालने की घोषणा कर दी। हमने दोनों की रक्षा कर ली, घोटालेबाजों की भी और हमारी महान परम्परा की भी। इस देश में अब तक इतने घोटाले हुए, कुछ लोग भाग गए और कुछ लोग यहीं रह गए, लेकिन हमारा कुछ बिगड़ा ? नहीं बिगड़ सकता। आखिर कवि ने ऐसे ही तो नहीं लिखा था की "कुछ बात है की हस्ती मिटती नहीं हमारी " . कवि पहले से जानता था की भले ही गजनवी और गौरी न आएं, भले ही अंग्रेज चले जाएँ, लेकिन हमारे महान देश में लूट की सनातन परम्परा हमेशा जारी रहेगी और हमारा कुछ नहीं बिगड़ेगा। इसलिए हमे नीरव मोदी को खींच कर लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।