शाम का समय, मोहल्ले के चबूतरे पर हम दस बारह लोग बैठे हुए थे। PNB घोटाला चर्चा का विषय था। तभी सामने से शर्माजी आते हुए दिखाई दिए। सब उनका इंतजार करने लगे। शर्माजी PNB में काम करते हैं। शर्माजी ने भी देख लिया। वो भी निपटने की मुद्रा में आ गए। जैसे ही वो नजदीक आये, एक आदमी बोला,
क्यों शर्माजी, बैंको में कोई नियम कायदा होता है की नहीं ?
किसी को भी और कितना ही पैसा यूँ आँख बंद करके दे देते हो। दूसरा बोला।
कोई गारंटी वारंटी भी लेते हो की नहीं ? तीसरा बोला।
क्या गारंटी ली थी जो इतना पैसा दे दिया ? चौथा बोला।
शर्माजी उखड़ गए। बोले, तुमने क्या गारंटी ली थी जब पूरा देश दे दिया था ?
क्या मतलब ? चौथा आदमी बोला।
मतलब क्या ? हमने एक मोदी पर, उसकी बातों पर भरोसा करके पैसे दे दिए। तुमने भी तो एक मोदी पर भरोसा करके पूरा देश दे दिया। क्या वापिस आया अब तक ? शर्माजी बोले।
वो तो पंद्रह साल से गुजरात चला रहे थे। पूरा मीडिया वहां के विकास के गुण गा रहा था। पहला आदमी बोला।
तो वो भी इससे ज्यादा साल से कंपनियां चला रहा था पुरे देश में। और सारे फ़िल्मी एक्टर उसके साथ फोटो खिंचवाने जाते थे। वो भी कोई ऐरा गेरा नहीं था। शर्माजी ने जवाब दिया।
लेकिन तुमने साल दो साल उसका व्यवहार देख लिया था तो फिर उसके LOU रिवाइज क्यों किये ? एक आदमी ने प्रतिवाद किया।
तो तुमने भी तो साल दो साल देख लिया था उसके बाद भी विधानसभाओं में उसके LOU रिवाइज क्यों किये ? शर्माजी पूरी तैयारी में थे।
लेकिन वो तो अभी बाकी कामों को पूरा करने की कह ही रहे हैं। दूसरा आदमी बोला।
कहने को तो हमारे वाला भी छह महीने में सारा पैसा चुकाने की कह रहा है, तुम्हारे वाला तो 2022 की बात कर रहा है जबकि उसका समय 2019 में खत्म हो रहा है। शर्माजी ने पलटकर कहा।
अब किसी को कुछ सूझ नहीं रहा था।
आखिर में हथियार डालते हुए एक आदमी बोला, चलो ये बताओ की रिकवरी के लिए क्या कर रहे हो ?
शर्माजी ने एक लपेटे हुए पोस्टर को खोलकर दिखाया। जिसमे लिखा हुआ था -
तलाश है नीरव मोदी की
11500 करोड़ बैंक घोटाले के आरोपी
अंतिम बार प्रधानमंत्री मोदीजी के साथ दावोस में देखे गए
ये क्यों लिख रहे हो। मोदीजी का जिक्र क्यों कर रहे हो। ये तो गलत बात है। एक आदमी ने एतराज किया।
तो तुम बता दो उसके बाद कहां देखा था वहां का नाम लिख देते हैं। शर्माजी मुस्कुराये।
इतना कह कर शर्माजी आगे चल पड़े और रुक कर बोले, अरे हाँ, तुम चार साल की रिकवरी के लिए क्या कर रहे हो ?
क्यों शर्माजी, बैंको में कोई नियम कायदा होता है की नहीं ?
किसी को भी और कितना ही पैसा यूँ आँख बंद करके दे देते हो। दूसरा बोला।
कोई गारंटी वारंटी भी लेते हो की नहीं ? तीसरा बोला।
क्या गारंटी ली थी जो इतना पैसा दे दिया ? चौथा बोला।
शर्माजी उखड़ गए। बोले, तुमने क्या गारंटी ली थी जब पूरा देश दे दिया था ?
क्या मतलब ? चौथा आदमी बोला।
मतलब क्या ? हमने एक मोदी पर, उसकी बातों पर भरोसा करके पैसे दे दिए। तुमने भी तो एक मोदी पर भरोसा करके पूरा देश दे दिया। क्या वापिस आया अब तक ? शर्माजी बोले।
वो तो पंद्रह साल से गुजरात चला रहे थे। पूरा मीडिया वहां के विकास के गुण गा रहा था। पहला आदमी बोला।
तो वो भी इससे ज्यादा साल से कंपनियां चला रहा था पुरे देश में। और सारे फ़िल्मी एक्टर उसके साथ फोटो खिंचवाने जाते थे। वो भी कोई ऐरा गेरा नहीं था। शर्माजी ने जवाब दिया।
लेकिन तुमने साल दो साल उसका व्यवहार देख लिया था तो फिर उसके LOU रिवाइज क्यों किये ? एक आदमी ने प्रतिवाद किया।
तो तुमने भी तो साल दो साल देख लिया था उसके बाद भी विधानसभाओं में उसके LOU रिवाइज क्यों किये ? शर्माजी पूरी तैयारी में थे।
लेकिन वो तो अभी बाकी कामों को पूरा करने की कह ही रहे हैं। दूसरा आदमी बोला।
कहने को तो हमारे वाला भी छह महीने में सारा पैसा चुकाने की कह रहा है, तुम्हारे वाला तो 2022 की बात कर रहा है जबकि उसका समय 2019 में खत्म हो रहा है। शर्माजी ने पलटकर कहा।
अब किसी को कुछ सूझ नहीं रहा था।
आखिर में हथियार डालते हुए एक आदमी बोला, चलो ये बताओ की रिकवरी के लिए क्या कर रहे हो ?
शर्माजी ने एक लपेटे हुए पोस्टर को खोलकर दिखाया। जिसमे लिखा हुआ था -
तलाश है नीरव मोदी की
11500 करोड़ बैंक घोटाले के आरोपी
अंतिम बार प्रधानमंत्री मोदीजी के साथ दावोस में देखे गए
ये क्यों लिख रहे हो। मोदीजी का जिक्र क्यों कर रहे हो। ये तो गलत बात है। एक आदमी ने एतराज किया।
तो तुम बता दो उसके बाद कहां देखा था वहां का नाम लिख देते हैं। शर्माजी मुस्कुराये।
इतना कह कर शर्माजी आगे चल पड़े और रुक कर बोले, अरे हाँ, तुम चार साल की रिकवरी के लिए क्या कर रहे हो ?
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