NSG की सदस्यता नहीं मिलने पर इतना हो-हल्ला पता नहीं क्यों हो रहा है। NSG की सदस्यता एक तकनीकी मुद्दा था जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी नाक का सवाल बना लिया। उसके बाद उनके भक्तों ने ये मान लिया था की इसमें अब कोई अड़चन नहीं डाल सकता, खासकर तब जब अमेरिका उनके साथ खड़ा हो। इसलिए मोदी भक्तों ने इसे इतना बड़ा मुद्दा बना दिया ताकि उसकी कामयाबी को राजनैतिक तौर पर भुनाया जा सके। लेकिन उल्टा हो गया। नाक कट गई। अब बीजेपी और उसकी सरकार इसे इस तरह पेश कर रही है जैसे ये केवल चीन द्वारा की गई धोखाधड़ी है। जबकि असलियत ये है की भारत की सदस्यता के ऊपर सवाल उठाने वाले दूसरे नौ देश भी है और जिसमे वो देश भी शामिल हैं जो कल तक नरेंद्र मोदी के साथ फोटो खिंचवा थे, जैसे स्विट्जरलैंड। अब इसे केवल चीन के विरोध का स्वरूप देना अपनी कूटनीतिक विफलता को छिपाने की कोशिश है।
जहां तक चीन का सवाल है तो हमे कुछ चीजें ध्यान में रखनी चाहियें। पहली ये की 1962 के युद्ध के बाद भारत चीन सीमा हमारी सबसे शान्त सीमा है। उस पर 50 साल में कभी एक गोली तक नहीं चली। उसके अलावा भारत चीन का व्यापार लगातार बढ़ रहा है। अमेरिका और वर्ल्ड बैंक जैसे संगठनों का मुकाबला करने के लिए चीन और भारत BRICS जैसे संगठनों का निर्माण कर रहे हैं और विकसित देशों के दबाव का सामना सफलता पूर्वक कर रहे हैं। लेकिन हमारे देश में कुछ अमेरिका समर्थक लगातार चीन को भारत का सबसे बड़ा दुश्मन पेश करते रहते हैं। उसे लगातार इस बात के लिए गालियां दी जाती हैं की उसके पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते हैं। लेकिन दूसरी तरफ हमारा चीन के प्रति क्या रुख है ? सालों से ढलाई लामा भारत में बैठकर चीन विरोधी कार्यवाहियां करता रहा है। एक तरफ भारत तिब्ब्त को चीन का हिस्सा मानता है और दूसरी तरफ भारत में तिब्ब्त की निर्वासित सरकार चलाने की इजाजत देता है। जापान, चीन का शत्रु देश है और अभी दक्षिण चीन सागर में चीन के दावे को लेकर उसके और जापान, फिलीपींस इत्यादि कई देशों का विरोध है। ठीक उसी समय जब हम चीन से NSG में समर्थन की मांग करते हैं, ठीक उसी समय हम जापान और अमेरिका के साथ मिलकर दक्षिण चीन सागर में युद्धाभ्यास करते हैं। आरएसएस और बीजेपी के सोशल मिडिया पर बैठे भक्त चीन को लगातार गालियां देते हैं और बीजेपी समर्थक टीवी चैनल चीन के खिलाफ लगातार कार्यक्रम प्रसारित करते हैं। उसके बाद हम चीन से सहयोग की उम्मीद करते हैं ये कितनी हास्यासपद बात है। बीजेपी ने विदेश निति और कूटनीति को क्या समझ रक्खा है ? क्या उसे लगता है की चीन उसके दबाव में आकर उसे समर्थन दे देगा। जो देश अमेरिका के दबाव में नहीं आता उससे ये अपेक्षा करना हद दर्जे की मूर्खता ही मानी जाएगी।
ठीक इसी तरह की नीति GST के सवाल पर कांग्रेस के साथ अपनाई जाती है। जब भी संसद सत्र की शुरुआत होती है बीजेपी का कोई नेता गांधी परिवार पर निजी हमला करता है। गाली गलौज करता है और समर्थन की मांग करता है। बीजेपी को लगता है की कांग्रेस उसके दबाव में आकर GST का समर्थन कर देगी। लेकिन क्या हुआ। बीजेपी ने कांग्रेस को गालियां देने के अलावा GST के लिए एक सर्वदलीय मीटिंग तक नहीं बुलाई।
अब भी सोशल मीडिया पर भक्त लोग चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का कार्यक्रम चला रहे हैं और अरुण जेटली बीजिंग में चीन से निवेश की अपील कर रहे हैं। अजीब कन्फ्यूज संगठन है। कम से कम घर के अंदर तो सलाह कर लो की क्या करना है। अपनी मूर्खताओं से देश का कितना नुकशान और फजीहत करवाओगे। हर किसी को धमकाना न तो कूटनीति होती है और न ही राजनीती होती है, खासकर तब जब सामने वाला आपसे ताकतवर हो।
जहां तक चीन का सवाल है तो हमे कुछ चीजें ध्यान में रखनी चाहियें। पहली ये की 1962 के युद्ध के बाद भारत चीन सीमा हमारी सबसे शान्त सीमा है। उस पर 50 साल में कभी एक गोली तक नहीं चली। उसके अलावा भारत चीन का व्यापार लगातार बढ़ रहा है। अमेरिका और वर्ल्ड बैंक जैसे संगठनों का मुकाबला करने के लिए चीन और भारत BRICS जैसे संगठनों का निर्माण कर रहे हैं और विकसित देशों के दबाव का सामना सफलता पूर्वक कर रहे हैं। लेकिन हमारे देश में कुछ अमेरिका समर्थक लगातार चीन को भारत का सबसे बड़ा दुश्मन पेश करते रहते हैं। उसे लगातार इस बात के लिए गालियां दी जाती हैं की उसके पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते हैं। लेकिन दूसरी तरफ हमारा चीन के प्रति क्या रुख है ? सालों से ढलाई लामा भारत में बैठकर चीन विरोधी कार्यवाहियां करता रहा है। एक तरफ भारत तिब्ब्त को चीन का हिस्सा मानता है और दूसरी तरफ भारत में तिब्ब्त की निर्वासित सरकार चलाने की इजाजत देता है। जापान, चीन का शत्रु देश है और अभी दक्षिण चीन सागर में चीन के दावे को लेकर उसके और जापान, फिलीपींस इत्यादि कई देशों का विरोध है। ठीक उसी समय जब हम चीन से NSG में समर्थन की मांग करते हैं, ठीक उसी समय हम जापान और अमेरिका के साथ मिलकर दक्षिण चीन सागर में युद्धाभ्यास करते हैं। आरएसएस और बीजेपी के सोशल मिडिया पर बैठे भक्त चीन को लगातार गालियां देते हैं और बीजेपी समर्थक टीवी चैनल चीन के खिलाफ लगातार कार्यक्रम प्रसारित करते हैं। उसके बाद हम चीन से सहयोग की उम्मीद करते हैं ये कितनी हास्यासपद बात है। बीजेपी ने विदेश निति और कूटनीति को क्या समझ रक्खा है ? क्या उसे लगता है की चीन उसके दबाव में आकर उसे समर्थन दे देगा। जो देश अमेरिका के दबाव में नहीं आता उससे ये अपेक्षा करना हद दर्जे की मूर्खता ही मानी जाएगी।
ठीक इसी तरह की नीति GST के सवाल पर कांग्रेस के साथ अपनाई जाती है। जब भी संसद सत्र की शुरुआत होती है बीजेपी का कोई नेता गांधी परिवार पर निजी हमला करता है। गाली गलौज करता है और समर्थन की मांग करता है। बीजेपी को लगता है की कांग्रेस उसके दबाव में आकर GST का समर्थन कर देगी। लेकिन क्या हुआ। बीजेपी ने कांग्रेस को गालियां देने के अलावा GST के लिए एक सर्वदलीय मीटिंग तक नहीं बुलाई।
अब भी सोशल मीडिया पर भक्त लोग चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का कार्यक्रम चला रहे हैं और अरुण जेटली बीजिंग में चीन से निवेश की अपील कर रहे हैं। अजीब कन्फ्यूज संगठन है। कम से कम घर के अंदर तो सलाह कर लो की क्या करना है। अपनी मूर्खताओं से देश का कितना नुकशान और फजीहत करवाओगे। हर किसी को धमकाना न तो कूटनीति होती है और न ही राजनीती होती है, खासकर तब जब सामने वाला आपसे ताकतवर हो।
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