वैसे तो भारत की रैंकिंग बहुत सी चीजों में बढ़ रही है जैसे सबसे ज्यादा भूखों में, कुपोषितों में, अंधों में ( दोनों तरह के अंधों में, आँख के भी और अक्ल के भी ) , अनपढ़ों में इत्यादि इत्यादि। लेकिन इन पर बात करना कोई पसंद नहीं करता। सरकार तो बिलकुल नहीं करती। लेकिन एक रैंकिंग ऐसी है जिस पर रोज बयान आते हैं, टीवी चैनलों में कार्यक्रम होते हैं और एक दूसरे की पीठ थपथपाई जाती है वो Ease of doing Business की रैंकिंग। इसका मतलब होता है की अब भारत में व्यापार करना आसान हो गया है।
जब हम किसी चीज के आसान होने की बात करते हैं तो उसका मतलब ये होता है की अब उसके नियम कायदे या तो आसान हो गए हैं या फिर हटा लिए गए हैं। भारत में कई चीजें पहले भी आसान रही हैं। जैसे राजनीती करना। इस पर कोई नियम कायदा लागु नहीं होता है। आप किसी भी तरह राजनीती कर सकते हैं। जिन चीजों पर राजनीती करना संविधान के अनुसार नहीं है आप उन पर भी राजनीती कर सकते हैं। आप जाति के नाम पर, धर्म के नाम पर, इलाके के नाम पर और परिवार के नाम पर भी राजनीती कर सकते हैं। आप वोट खरीद सकते हैं, लूट सकते हैं, डालने देने से मना कर सकते हैं। आप किसी भी तरह की राजनीती कर सकते हैं। आप चाहें तो दंगे करवा कर वोट ले सकते हैं और आप चाहें तो सरकारी खर्चे पर लैपटॉप बाँट कर भी वोट ले सकते हैं। यानि हमारे देश में Ease of doing Politics पहले से है।
लेकिन लोगों का मानना है की Ease of doing Business भी बहुत पहले से है। भारत में व्यापार करने में किस चीज की मुस्किल है? यहां तो बहुत पहले से सारी सुविधाएँ मौजूद हैं। आप कोई फैकट्री चलाते हैं तो आपके लिए कतई जरूरी नहीं है की आप मजदूरों के नाम रजिस्टर में लिखें। आप उनको न्यूनतम मजदूरी दें ऐसा भी कोई कानून ( प्रभावशाली ) नहीं हैं। काम के घंटे भी तय नहीं हैं। आप टैक्स देते हैं या नहीं देते हैं ये भी आपकी मर्जी पर छोड़ा हुआ है। आप बैंकों से कर्ज लेकर वापिस करना चाहें तो आपकी मर्जी वर्ना आप को इसके लिए संवैधानिक सुरक्षा हासिल है। लोग पूछ रहे हैं की आखिर वो कौनसी सुविधा थी जो पहले हासिल नहीं थी और अब दे दी गई है। यहां तो आप बोर्ड आश्रम का लगा सकते हैं और नूडल्स बेच सकते हैं।
मुझे तो लगता है की इसके लिए या तो रैंकिंग अब शुरू की गई है या फिर वर्ल्ड बैंक ने हमारे देश पर ध्यान ही नहीं दिया था। सबसे पहले जब ललित मोदी सैंकड़ों करोड़ लेकर यहां से निकल गए तो वर्ल्ड बैंक ने हमारी रैंकिग बढ़ाई। जब विजय माल्या हजारों करोड़ लेकर निकल गए तो हमारी रैंकिंग में तेजी से सुधार हुआ। अब जब भी कोई ऐसी खबर आती है तो हमारी रैंकिंग सुधर जाती है। इसके लिए सरकार ललित मोदी और विजय माल्या की शुक्रगुजार है।
लेकिन कुछ और काम भी हैं जिन्हे करने में बहुत मुश्किलें आ रही हैं। सरकार से गुजारिश है की इन चीजों के लिए भी कुछ कर दे। हमारे देश में खेती करना आसान नहीं है, मजदूरी करना आसान नहीं है, पढ़ना आसान नहीं है, नौकरी मिलना और करना आसान नहीं है, इलाज करवाना आसान नहीं है और सम्मान से जीना तो लगभग असम्भव सा ही है। मैंने कुछ चीजें बताई हैं वर्ना तो अब कुछ कहना भी आसान नही है।
जब हम किसी चीज के आसान होने की बात करते हैं तो उसका मतलब ये होता है की अब उसके नियम कायदे या तो आसान हो गए हैं या फिर हटा लिए गए हैं। भारत में कई चीजें पहले भी आसान रही हैं। जैसे राजनीती करना। इस पर कोई नियम कायदा लागु नहीं होता है। आप किसी भी तरह राजनीती कर सकते हैं। जिन चीजों पर राजनीती करना संविधान के अनुसार नहीं है आप उन पर भी राजनीती कर सकते हैं। आप जाति के नाम पर, धर्म के नाम पर, इलाके के नाम पर और परिवार के नाम पर भी राजनीती कर सकते हैं। आप वोट खरीद सकते हैं, लूट सकते हैं, डालने देने से मना कर सकते हैं। आप किसी भी तरह की राजनीती कर सकते हैं। आप चाहें तो दंगे करवा कर वोट ले सकते हैं और आप चाहें तो सरकारी खर्चे पर लैपटॉप बाँट कर भी वोट ले सकते हैं। यानि हमारे देश में Ease of doing Politics पहले से है।
लेकिन लोगों का मानना है की Ease of doing Business भी बहुत पहले से है। भारत में व्यापार करने में किस चीज की मुस्किल है? यहां तो बहुत पहले से सारी सुविधाएँ मौजूद हैं। आप कोई फैकट्री चलाते हैं तो आपके लिए कतई जरूरी नहीं है की आप मजदूरों के नाम रजिस्टर में लिखें। आप उनको न्यूनतम मजदूरी दें ऐसा भी कोई कानून ( प्रभावशाली ) नहीं हैं। काम के घंटे भी तय नहीं हैं। आप टैक्स देते हैं या नहीं देते हैं ये भी आपकी मर्जी पर छोड़ा हुआ है। आप बैंकों से कर्ज लेकर वापिस करना चाहें तो आपकी मर्जी वर्ना आप को इसके लिए संवैधानिक सुरक्षा हासिल है। लोग पूछ रहे हैं की आखिर वो कौनसी सुविधा थी जो पहले हासिल नहीं थी और अब दे दी गई है। यहां तो आप बोर्ड आश्रम का लगा सकते हैं और नूडल्स बेच सकते हैं।
मुझे तो लगता है की इसके लिए या तो रैंकिंग अब शुरू की गई है या फिर वर्ल्ड बैंक ने हमारे देश पर ध्यान ही नहीं दिया था। सबसे पहले जब ललित मोदी सैंकड़ों करोड़ लेकर यहां से निकल गए तो वर्ल्ड बैंक ने हमारी रैंकिग बढ़ाई। जब विजय माल्या हजारों करोड़ लेकर निकल गए तो हमारी रैंकिंग में तेजी से सुधार हुआ। अब जब भी कोई ऐसी खबर आती है तो हमारी रैंकिंग सुधर जाती है। इसके लिए सरकार ललित मोदी और विजय माल्या की शुक्रगुजार है।
लेकिन कुछ और काम भी हैं जिन्हे करने में बहुत मुश्किलें आ रही हैं। सरकार से गुजारिश है की इन चीजों के लिए भी कुछ कर दे। हमारे देश में खेती करना आसान नहीं है, मजदूरी करना आसान नहीं है, पढ़ना आसान नहीं है, नौकरी मिलना और करना आसान नहीं है, इलाज करवाना आसान नहीं है और सम्मान से जीना तो लगभग असम्भव सा ही है। मैंने कुछ चीजें बताई हैं वर्ना तो अब कुछ कहना भी आसान नही है।
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