Friday, May 27, 2016

व्यंग -- सरकार के दो साल, शादी के गीतों में सच्चाई कहां होती है।

               मोदी सरकार को दो साल पूरे हो गए और उसके समारोह चल रहे हैं। इन समारोहों में भाषण हो रहे हैं।  भाषणों में कशीदे पढ़े जा हैं। पीठ थपथपाई जा रही हैं। एक दूसरे को गुलाल लगाए जा रहे हैं और मीडिया को इसमें शामिल करने के लिए करोड़ों के विज्ञापन बांटे जा रहे हैं।
                लेकिन एक लफड़ा है। विपक्ष के लोग सरकार के दावों को झूठा बता रहे हैं। और इस मामले में कुछ पत्रकार और आम लोग भी विपक्ष से मिल गये हैं। हमने उनको लाख समझाया की भाई शादी के गीतों में सच्चाई क्यों ढूंढ रहे हो ? शादी के गीतों में तो काने दूल्हे को भी हरियाला बन्ना बताया जाता है। दुल्हन को दादाजी के बागों की सैर करवाई जाती है भले ही दादा दूसरे के खेतों में मजदूरी करते मरा हो। लेकिन लोग हैं की मानते ही नहीं हैं। सरकार के हर बयान पर सवाल उठा देते हैं। कैसा देश हैं ? शादी, मेरा मतलब है की समारोह भी ख़ुशी से नहीं करने देता। दूसरों के समारोह में टांग अड़ाना ठीक नहीं होता।
               सुबह सुबह मेरे पड़ोसी आ गए। आते ही बोले, क्यों देश को मुर्ख बना रहे हो। दो साल में क्या काम कर दिया सरकार ने ?
               मुझसे सरकार हालत देखी नहीं गई। सो मैं तुरंत सरकार के बचाव में आ गया। मैंने कहा की दो  साल से भृष्टाचार मुक्त सरकार चल रही है।
               मेरे पड़ोसी की आँखे चौड़ी हो गई। तपाक से बोले, " अच्छा, तो ये व्यापम क्या है? छतीशगढ का चावल से लेकर नमक तक के घोटाले क्या हैं ? पनामा पेपर में मुख़्यमंत्री के लड़के का नाम आया है वो  क्या है ? वसुंधरा  के लड़के का घोटाला क्या है ? के जी बेसिन का घोटाला क्या है ? अनार पटेल का घोटाला क्या है ? "
                 मैंने उसे बिच में ही रोका। वर्ना पट्ठा इतने घोटाले याद किये था की अगर लोगों को याद रह जाएँ तो जमानत भी ना बचे। मैंने कहा, " ये सब बिजनेस ट्रांजेक्सन हैं। "
                 " बहुत अच्छे ! तो फिर घोटाले किसे कहते हैं ?" वो फ़ैल गया।
                  मैंने कहा, " देखो, घोटाले वो होते हैं जो विपक्ष के लोग करते हैं। विपक्ष के लोगों की बिजनेस ट्रांजेक्सन भी घोटालों के दायरे में आती हैं। उन पर जाँच बिठाई जा सकती है। एक जाँच खत्म हो जाये तो दूसरी बिठाई जा सकती है, तीसरी बिठाई जा सकती है। आखिर पांच साल ही तो निकालने होते हैं। वैसे भी तुम घोटालों के आरोप कैसे लगा सकते हो ? तुम्हारे पास क्या सबूत हैं ?"
                  " पहली नजर में दिख रहा है की घोटाला है। बाकि सबूत जाँच करने पर मिलेंगे। आखिर जाँच सबूत ढूंढने के लिए ही तो होती है। तुम जाँच क्यों नहीं करवा रहे ?" पड़ोसी ने ललकारते हुए कहा।
                 " सरकार के पास फालतू कामो के लिए टाइम नहीं है। तुम देश के विकास में रोड़े अटका रहे हो। दुनिया में देश की छवि खराब कर रहे हो। तुम देश विरोधी हो। " मैंने उसे धमका दिया।
                  " मैं तुम्हे देख लूंगा। " पड़ोसी ने कहा और चला गया /
                   मेरी पत्नी रसोई से दौड़ी हुई आई और बोली, "  ये तुम क्या कर रहे हो ? भला कोई पड़ोसी से इस तरह बात करता है ?"
                  " तुमने देखा नहीं की विपक्ष कैसे धमकी देने लगा है। ये लोग अलोकतांत्रिक हैं। इनसे सरकार बर्दाश्त नहीं हो रही। सरकार हमारी है, समारोह हमारा है, हम सरकार को कितनी ही अच्छी बताएं, ये कौन होते हैं हमारे उत्सव में खलल डालने वाले ?" मेरा स्वर ऊँचा हो गया।
                    मेरी पत्नी ने मुझे बाजू पकड़ कर झंझोड़ा। और बोली, "तुम्हारे बेटे की शादी नहीं है। "

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