मंत्रीजी कई दिन से भाषण देने की सोच रहे थे। आज उन्हें देश में सूखे की स्थिति पर भाषण देने का अवसर मिल ही गया। उन्होंने अपने भाषण को पूरी तरह विद्व्तापूर्ण बनाने के लिए उसमे कई महत्त्वपूर्ण तथ्यों का समावेश किया। उनका भाषण इस प्रकार है। -
" मित्रो, जैसा की आप सब को मालूम नहीं होगा की हमारे देश में सूखा पड़ा है। और मैंने जब गूगल पर सर्च किया तो पता चला की बहुत भारी सूखा पड़ा है। इसलिए मैं सरकार की तरफ से ये घोषणा करता हूँ की हमारे देश में सुखा पड़ा है। जहां तक सूखे का सवाल है उसमे कुछ खास चीजें होती हैं। हमने इन चीजों का बहुत ही विस्तारपूर्वक अध्ययन किया है और उसमे जो निष्कर्ष हमारे सामने आये हैं वो मैं आप सब के सामने रखना चाहता हूँ। "
उसके बाद उन्होंने अपनी जेब से एक कागज निकाला , जिस पर नोट लिखे हुए थे। फिर मुस्कुरा कर लोगों की तरफ देखा और बोले ," हमारे देश में अब भी कागज पर ही भाषण के नोट लिखने का रिवाज है। वर्ना विदेशों में तो बिना दिखाई देने वाला एक शीशा आपके सामने रहता है और उस पर पूरा भाषण लिखा होता है जो आपके पढ़ने के साथ साथ आगे चलता रहता है और किसी को मालूम भी नहीं पड़ता की आप लिखा हुआ देख कर पढ़ रहे हैं। लेकिन हमारे यहां यह सुविधा अभी सबको उपलब्ध नहीं है। खैर जाने दीजिये, सवाल सूखे का था। तो उसकी जो खास बातें हम आपको बताना चाहते हैं आप वो ध्यान से सुनिए।
1. पहली बात ये है की सूखा हमेशा गर्मियों में पड़ता है।
2. दूसरी बात ये है की गर्मियों में कुंए और तालाब सूख जाते हैं।
3. जब कुंए और तालाब सूख जाते हैं तो उसे सूखा कहते हैं।
4. जब सूखा पड़ता है तो कुछ लोगों को पीने का पानी नहीं मिलता जिसके कारण ठंडे पेय पदार्थ बनाने वाली कम्पनियों के काम में तेजी आती है और देश का विकास होता है।
5. जब सूखा पड़ता है तो सूखा राहत के लिए योजनाएं बनाई जाती हैं ताकि अफसर और नेता ठंडे पेय पदार्थ खरीद सकें।
6. सूखा हर बार और सबके लिए नुकशान का कारण नहीं होता। हर मौसम की तरह ये कुछ लोगों का नुकशान करता है और कुछ लोगों का फायदा करता है। इसलिए इस पर बहुत हायतौबा मचाने की जरूरत नहीं होती है।
7. अर्थव्यवस्था की दृष्टि से सूखा अमीरी का प्रतीक होता है जैसे आप अरब देशों को देख सकते हैं। फर्क केवल ये है की वहां तेल निकलता है। इसलिए हमने भी उन जगहों पर भी तेल की खोज के ठेके दिए हैं जहां तेल मिलने की कोई सम्भावना नहीं है। इसका प्रमाण आप CAG की रिपोर्ट से प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए सरकार सूखे पर गम्भीर नहीं है ये कहना सही नहीं है।
8. सरकार ने इसके लिए कुछ योजनाएं भी बनाई हैं। जैसे हमने तीन संस्कृत विष्वविद्यालय बनाने की घोषणा की है। ताकि वेद मंत्रो का सही उच्चारण करके इंद्र देवता को प्रसन्न करके बारिश करवाई जा सके। कुछ लोगों का मानना है की बारिश होने से सूखे का नुकशान कम किया जा सकता है। लेकिन इस बात पर सरकार में मतभेद हैं और कुछ लोग कह रहे हैं की उससे सूखे से होने वाले लाभ भी कम हो जायेंगे। सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति की रचना की है जो अगले साल अपनी रिपोर्ट देगी।
9. मैं अपनी बात यहीं समाप्त करना चाहूंगा क्योंकि मुझे एक सूखा प्रभावित क्षेत्र के दौरे पर जाना है जहां सूखे के कारण आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों ने उस क्षेत्र में पानी की ट्रेन भेजने के लिए मुझे सम्मानित करने का फैसला लिया है। "
" मित्रो, जैसा की आप सब को मालूम नहीं होगा की हमारे देश में सूखा पड़ा है। और मैंने जब गूगल पर सर्च किया तो पता चला की बहुत भारी सूखा पड़ा है। इसलिए मैं सरकार की तरफ से ये घोषणा करता हूँ की हमारे देश में सुखा पड़ा है। जहां तक सूखे का सवाल है उसमे कुछ खास चीजें होती हैं। हमने इन चीजों का बहुत ही विस्तारपूर्वक अध्ययन किया है और उसमे जो निष्कर्ष हमारे सामने आये हैं वो मैं आप सब के सामने रखना चाहता हूँ। "
उसके बाद उन्होंने अपनी जेब से एक कागज निकाला , जिस पर नोट लिखे हुए थे। फिर मुस्कुरा कर लोगों की तरफ देखा और बोले ," हमारे देश में अब भी कागज पर ही भाषण के नोट लिखने का रिवाज है। वर्ना विदेशों में तो बिना दिखाई देने वाला एक शीशा आपके सामने रहता है और उस पर पूरा भाषण लिखा होता है जो आपके पढ़ने के साथ साथ आगे चलता रहता है और किसी को मालूम भी नहीं पड़ता की आप लिखा हुआ देख कर पढ़ रहे हैं। लेकिन हमारे यहां यह सुविधा अभी सबको उपलब्ध नहीं है। खैर जाने दीजिये, सवाल सूखे का था। तो उसकी जो खास बातें हम आपको बताना चाहते हैं आप वो ध्यान से सुनिए।
1. पहली बात ये है की सूखा हमेशा गर्मियों में पड़ता है।
2. दूसरी बात ये है की गर्मियों में कुंए और तालाब सूख जाते हैं।
3. जब कुंए और तालाब सूख जाते हैं तो उसे सूखा कहते हैं।
4. जब सूखा पड़ता है तो कुछ लोगों को पीने का पानी नहीं मिलता जिसके कारण ठंडे पेय पदार्थ बनाने वाली कम्पनियों के काम में तेजी आती है और देश का विकास होता है।
5. जब सूखा पड़ता है तो सूखा राहत के लिए योजनाएं बनाई जाती हैं ताकि अफसर और नेता ठंडे पेय पदार्थ खरीद सकें।
6. सूखा हर बार और सबके लिए नुकशान का कारण नहीं होता। हर मौसम की तरह ये कुछ लोगों का नुकशान करता है और कुछ लोगों का फायदा करता है। इसलिए इस पर बहुत हायतौबा मचाने की जरूरत नहीं होती है।
7. अर्थव्यवस्था की दृष्टि से सूखा अमीरी का प्रतीक होता है जैसे आप अरब देशों को देख सकते हैं। फर्क केवल ये है की वहां तेल निकलता है। इसलिए हमने भी उन जगहों पर भी तेल की खोज के ठेके दिए हैं जहां तेल मिलने की कोई सम्भावना नहीं है। इसका प्रमाण आप CAG की रिपोर्ट से प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए सरकार सूखे पर गम्भीर नहीं है ये कहना सही नहीं है।
8. सरकार ने इसके लिए कुछ योजनाएं भी बनाई हैं। जैसे हमने तीन संस्कृत विष्वविद्यालय बनाने की घोषणा की है। ताकि वेद मंत्रो का सही उच्चारण करके इंद्र देवता को प्रसन्न करके बारिश करवाई जा सके। कुछ लोगों का मानना है की बारिश होने से सूखे का नुकशान कम किया जा सकता है। लेकिन इस बात पर सरकार में मतभेद हैं और कुछ लोग कह रहे हैं की उससे सूखे से होने वाले लाभ भी कम हो जायेंगे। सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति की रचना की है जो अगले साल अपनी रिपोर्ट देगी।
9. मैं अपनी बात यहीं समाप्त करना चाहूंगा क्योंकि मुझे एक सूखा प्रभावित क्षेत्र के दौरे पर जाना है जहां सूखे के कारण आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों ने उस क्षेत्र में पानी की ट्रेन भेजने के लिए मुझे सम्मानित करने का फैसला लिया है। "
बहुत ही बढ़िया। करारा व्यंग छेड़ा है आपने ...आपको हिंदी के एक सशक्त मंच के सृजन एवं कुशल संचालन हेतु बहुत-बहुत बधाई !!!
ReplyDeleteखास बात ये है की आपके हर आर्टिक्ल मे कुछ नयी और बेहद मनोरंजक जानकारी या कहानी होती है ।
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- प्रियंका शर्मा