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Friday, May 6, 2016

Vyang -- सरकार का सरकार के खिलाफ धरना।

                  अच्छा मजाक चल रहा है। हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है सो उसे बाकी दुनिया को रास्ता भी दिखाना होता है। ये उसकी नैतिक जिम्मेदारी है। हम भारतीय नैतिक जिम्मेदारी से कभी पीछे नहीं हटते। हमारा हर काम ऐतिहासिक और दुनिया को रास्ता दिखाने का होता है।
                      जैसे पिछले हफ्ते खबर आई की देश में डॉकटरों की बेहद कमी है। ये खबर कई दिन लगातार आती रही। हमे लगा की अब हमे दुनिया को रास्ता दिखाना चाहिए। अगले ही दिन केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने तीन नए संस्कृत विश्विद्यालय बनाने की घोषणा कर दी। कई लोगों को बात समझ में नहीं आई। अरे भई, हम विश्व गुरु हैं। सीधे सीधे मेडिकल कालेज बनाते तो बाकि दुनिया में और हमारे में क्या फर्क रह जाता। हमने संस्कृत विष्वविद्यालय बनाए ताकि हम वेदों और पुराणों के अनुसार लोगों को ये समझा सकें की वर्तमान में तुम्हे जो रोग हुआ है वो तुम्हारे पिछले जन्मों का फल है। मालूम पड़ा आपको की हम विश्व गुरु क्यों हैं।
                       पिछले कई महीनों से दुनिया को संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। सरकारों का काम करने का पुराना तरीका जो अब तक दुनिया अपनाए हुए है उसे हम बदल रहे हैं।जैसे पिछले दिनों हमारे पठानकोट एयरबेस पर हमला हुआ। लोगों ने कहा की जाँच करो। हमने कहा की हमे मुर्ख समझा है क्या ? जब हमला हमने नहीं किया है तो जाँच हम क्यों करें। जिसने हमला किया है वो जाँच करेगा। उसके बाद हमने पाकिस्तान को मजबूर किया की वो जाँच करे और उसको करनी पड़ी। इसे कहते हैं विश्व गुरु।
                        विश्व गुरु होने के प्रमाण आपको हमारी आर्थिक नीतियों में भी मिलेंगे। हमारे प्रधानमंत्री जब से प्रधानमंत्री बने हैं तब से लगातार विदेश दौरे पर हैं। देश के अंदर प्रधानमंत्री के पास वैसे भी कोई काम नहीं होता है। वो ना तो सूखे को रोक सकता है, ना बाढ़ को रोक सकता है। किसानों की आत्महत्या उसके बस से बाहर हैं तो दलितों की हत्या भी उसके बस से बाहर हैं। इसलिए यहां बैठकर टाइम खराब करने से अच्छा है की विदेश घूम लिया जाये। पता नहीं कब ऐसा समय आ जाये जब वीजा ना मिले। लेकिन ये विदेश दौरे देश की अर्थव्यवस्था के लिए किये गए हैं। जब भी हमारे प्रधानमंत्री किसी विदेशी यात्रा से वापिस आये उस महीने का निर्यात पहले से घटकर सामने आया। पिछले दो साल गवाह हैं की जितने ही प्रधानमंत्री विदेश घूमे उतना ही निर्यात कम हुआ। दुनिया का कोई दूसरा देश ऐसा करके दिखा दे तो हम मान जाएँ।
                        हमारा अगला रिकार्ड लोकतंत्र के मामले में है। हम मानते हैं की लोक और तंत्र दो विरोधी चीजें होती हैं। जिस किसी ने भी इन्हे मिलाकर इकट्ठा किया है उसने भारी भूल की है। हमे इस बात का गर्व है की ये भूल हमने नहीं की है। आज कांग्रेस ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रदर्शन किया। गलत चीज के लिए किया। हम पहले ही कहते थे की कांग्रेस हमेशा गलत चीज के लिए प्रदर्शन करती है और मजबूरी में हमसे भी करवाती है। सो हमारे लोगों ने बोला की हम भी करेंगे। सुनने वालों ने कहा की सरकार आपकी है तो आप किसके खिलाफ प्रदर्शन करोगे ? हमने कहा की हम महात्मा गांधी के खिलाफ करेंगे। क्योंकि लोकतंत्र नाम की इस बीमारी को देश पर थौंपने में उसका बहुत बड़ा हाथ है। सो सरकार ने संसद की गांधी प्रतिमा के सामने धरना दे दिया। गांधी को जवाब नहीं आया। चुपचाप खड़ा रहा। हमने नारे लगाए की हेलीकॉप्टर सौदे में पैसा खाने वालों के नाम बताओ। दो तीन लोग पास से हंस कर निकले और बोले की ये पता लगाना तो तुम्हारा काम है, तुम किस से पूछ रहे हो ? हमने कह दिया की अगर हम बताने लगे तो कल तुम हमसे पंजाब का गेहूं खा जाने वालों का नाम पूछोगे, फिर छत्तीस गढ़ का चावल खा जाने वालों का नाम पूछोगे, फिर माल्या और ललित मोदी के बारे में पूछोगे, हमे क्या बेवकूफ समझा है। हम सामने वाले से पूछेंगे। आखिर विश्व गुरु जो ठहरे।

Saturday, April 30, 2016

News Comment -- मोदीजी की डिग्री और शासन की जिम्मेदारी

खबरी -- आजकल मोदीजी की डिग्री पर बहुत सवाल उठ रहे हैं ?

गप्पी -- मोदीजी और स्मृति ईरानी जी की डिग्री पर शुरू से सवाल उठ रहे हैं। हमारे देश में मंत्री बनने और चुनाव लड़ने के लिए तो कोई शर्त है नहीं। उसके बावजूद इन दोनों नेताओं का अपनी डिग्री को छुपाना उनकी हीनभावना का परिचायक है। वर्ना देश में उनसे कम पढ़े लेकिन बहुत ही कामयाब और उचे दर्जे के नेता रहे हैं। इन दोनों नेताओं को हीन भावना से बाहर निकलना चाहिए।

खबरी -- अगुस्ता डील पर बीजेपी नेता कह रहे हैं की कांग्रेस बताए की पैसा किसने खाया ?

गप्पी -- बीजेपी के नेता भी कमाल के लोग हैं। अगुस्ता डील में पैसा किसने खाया ये कांग्रेस बताए, JNU में नारे लगे उसे कन्हैया रोके, पठानकोट हमला किसने किया ये पाकिस्तान बताए, माल्या को लोन क्यों दिया ये उस समय की सरकार बताए तो फिर तुम लोग कुर्सी पर घास छीलने के लिए बैठे हो। चुनाव से पहले तो बड़ी ढींगे हांकते थे की चौकीदारी करेंगे।