खबरी -- नारायणमूर्तीने अभी-अभी उद्योगपतियों के एक सम्मेलन में सभी विपक्षी पार्टियों को प्रधानमंत्री के पीछे खड़े होने को कहा है।
गप्पी -- इनफ़ोसिस के मालिक नारायणमूर्ति ने अपने भाषण में कई मार्के की बातें कही हैं जो मुझ जैसे क्षुद्र बुद्धि के लोगों के ज्ञान लाभ के लिए बहुत जरूरी थी। उन्होंने देश की समस्याओं पर जो प्रकाश डाला वो अदभुत है। हमारे जैसे छोटी बुद्धि के बहुत से लोग अब तक बेरोजगारी और महंगाई जैसी समस्याओं को देश की प्रमुख समस्या मन कर चल रहे थे, उन्होंने हमारा ज्ञान लाभ करते हुए बताया की देश की मुख्य समस्या बेरोजगारी नही है बल्कि पिछले प्रभाव से लगने वाला टैक्स (RETROSPECTIVE TAX) है। अब जब सरकार को देश की मुख्य समस्या पता ही नही है तो वो उसे हल क्या खाक करेगी।
दूसरी बात उन्होंने देश की सभी पार्टियों को प्रधानमन्त्री के पीछे उसी तरह खड़ा होने को कहा है जिस तरह ओबामा के आगे देश के सारे उद्योगपति लाइन लगा कर खड़े थे। इसके लिए उन्होंने कारण बताते हुए कहा है की पिछले एक साल में कई अच्छे काम हुए हैं, परन्तु एक अच्छे वक्ता की तरह उन्होंने उन कामों का खुलासा नही किया। अगर वो खुलासा करते तो उन्हें बताना पड़ता की उद्योग जगत मनरेगा में, बच्चों के दोपहर के भोजन में और दूसरी कल्याणकारी योजनाओं में कटौती को अच्छा काम समझता है। और ये खुलासा आगे चलकर बड़ी समस्याएं पैदा कर सकता था। सो वे इससे बच कर निकल गए।
तीसरी महत्वपूर्ण बात जो उन्होेने कही वो ये की सरकार को एकदम पारदर्शी होना चाहिए। लेकिन हमे तो लगता है की सरकार कुछ ज्यादा ही पारदर्शी है , जब कोई सरकार को देखना चाहता है तो पारदर्शी शीशे की तरह वो दिखाई ही नही देती। लोगों तब मालूम पड़ता है की यहां सरकार है जब वो उससे टकरा कर सिर फ़ुड़वा लेते हैं। लेकिन उन्होंने इस पारदर्शिता का खुलासा किया। उन्होंने कहा की सरकार ने एक बार जो टैक्स और नीति की घोषणा कर दी उस पर कायम रहना चाहिए। खासकर जो टैक्स दर उसने निर्धारित कर दी उसे बदलना नही चाहिए भले ही कॉरपोरेट में बैठे लोग उसकी गलत व्याख्या करके या उसमे जानबूझ कर छोड़ दिए गए छिद्रों का उपयोग करके रिलायंस की तरह सालों तक जीरो टैक्स कम्पनी बने रहें या वोडाफोन की तरह एक रुपया टैक्स न दें .
मुझे इस पूरे भाषण में केवल एक चीज की कमी दिखाई दी वो ये थी की उन्होंने सरकार को ये नही बताया की वो इन पारदर्शी उद्योगपतियों से बैंकों का वो लाखों करोड़ रुपया कैसे वसूल करे जिसे ये उद्योगपति बाप का मॉल समझ कर हजम कर गए। ये पैसा तो इन्हे एकदम नगद दिया गया था और इस पर लगने वाले ब्याज से लेकर वापिस करने की तारीखों तक सबकुछ पारदर्शी था।
अन्त में मै तो उनको केवल ये ही कह सकता हूँ की इस देश की समस्याएं तो नारायण को भी समझ नही आ रही तो नारायणमूर्ती क्या चीज हैं।
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