Showing posts with label poor. Show all posts
Showing posts with label poor. Show all posts

Tuesday, September 22, 2015

Vyang -- दिल्ली पर हमले के लिए डेंगू के मच्छरों की मीटिंग


 डेंगू के मच्छरों की एक गुप्त मीटिंग दिल्ली के एक पॉस इलाके की पानी की खाली टंकी में हो रही थी। सुरक्षा का  पूरा ध्यान रक्खा गया था। यहां मीटिंग करने के पहले इस जगह की कई दिन रेकी की गयी थी और जब पूरा विश्वास हो गया तभी ये जगह फाइनल की गयी थी। इस मीटिंग में मच्छरों के एक बड़े केंद्रीय नेता पहुंच रहे थे। इस नेता  ने पूरा एक सत्र संसद भवन में गुजारा था।उसने अलग अलग पार्टियों के नेताओं का खून पीकर इंसान की फितरत को ठीक तरीके से समझा था और वही आज अपने अनुभव बाँटने यहां पहुंचे थे। सही समय पर मीटिंग शुरू हुई।
नेताजी ने बात शुरू की। " हम लोग मिलकर डेंगू का अगला बड़ा हमला दिल्ली पर ही करेंगे। क्योंकि सुरक्षा की दृष्टि से भी ये ज्यादा ठीक रहेगा। दूसरा फायदा ये होगा की दिल्ली पर हमला होने से हमे मीडिया कवरेज भी भरपूर मिलेगी। मैंने इतने दिन में ये अच्छी तरह जान लिया है की हमारे मीडिया के लोग दिल्ली से बाहर निकलने में बिलकुल दिलचस्पी नही रखते। वो ज्यादातर मुख्य समाचार यहीं बैठे बैठे बनाते हैं। फिर चाहे वो समाचार डेंगू का हो या सनी लिओन का। दूसरा फायदा ये है की यहां सरकार के तीनो विभाग आपस में इतनी बुरी तरह से लड़ रहे हैं की वो हमारे खिलाफ कोई असरदार फैसला ले ही नही सकते। सरकारें वैसे भी काम करने में कम ही विश्वास रखती हैं और यहां तो ये हालत है की अगर केजरीवाल कुछ करना चाहेंगे तो केंद्र की सरकार नही करने देगी और MCD कुछ करना चाहे तो केजरीवाल नही करने देंगे।
                    दूसरा कारण ये है की दिल्ली के स्वास्थ्य पर प्राइवेट हस्पतालों का कब्जा है। डेंगू के मरीज को आठ-दस दिन रखना  पड़ता है और उसमे कोई ओपरेसन वगैरा होता नही है तो बिल भी बहुत ज्यादा नही बन सकता। इसलिए ये हस्पताल इन मरीजों को रखेंगे नही। उन्हें तो ऐसे मरीज चाहियें जो चार-पांच दिन में चार-पांच लाख का बिल देकर बाहर हो जाएँ।
                      अगली बात ये है की इस बार डेंगू का हमला पॉस इलाकों में भी पूरी ताकत से होना चाहिए। क्योंकि इन इलाकों के लोग खुद कोई काम करने में विश्वास नही रखते। इस बार MCD उनके यहां मच्छर मारने आएगी नही और वो खुद मार सकते नही। इसलिए इन इलाकों को भी टारगेट किया जाये इससे मीडिया में भी अच्छी सुर्खियां बनेगी।
                      अब किसी को कोई सवाल पूछना हो तो पूछ सकता है। " ये कहकर उसने अपनी बात समाप्त की।
                लेकिन मरने वाले तो सभी आदमी ही होंगे। इसलिए सभी लोग कैसे इकट्ठे नही होंगे ? -- एक जवान मच्छर ने पूछा।
               नेताजी एकबार जोर से हँसे। फिर बोले ," तुम इन आदमियों को नही जानते। तुमने आदमियों के मुंह से ही ये बात हजारों बार सुनी होगी की आदमी ईश्वर की सबसे बढ़िया कृति है। फिर भी  आदमी भूख से मरते हैं , कपड़े नही हैं, घर नही हैं।  किसी दूसरे जानवर को आज तक भूखे सोते देखा है ? दुनिया के सभी प्राणियों में केवल आदमी ही है जो भूखा सोता है। और इसका कारण कोई दूसरा प्राणी नही है, खुद आदमी ही हैं जिन्होंने ऐसे हालात पैदा किये हैं की करोड़ों दूसरे आदमियों को भूखा सोना पड़ता है। मैं तो कहता हूँ की आदमी ने खुद को प्रकृति की सबसे निकृष्ट कृति बना लिया है। सो तुम उनकी एकता की बात मत करो और आराम से हमले की तैयारी करो। "
                लेकिन राजधानी पर हमले से बहुत जोर से बात मीडिया में आएगी और  वो तुरंत हमे मार डालेंगे। ----एक दूसरे मच्छर ने आशंका जताई।
               " कुछ नही होगा। हफ्तों तक वो एक दूसरे पर आरोप लगाते रहेंगे। बात ब्यायालय तक जाएगी। वो  नोटिस जारी करेगा। आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी रहेगा और तब तक हमारा स्वाभाविक मरने का समय यानि सर्दी आ जाएगी। वो आरोप लगाते हुए जनता की अदालत में जाने की बात करेंगे और जनता बिस्तर पर पड़ी होगी। "  नेता जी ने मुस्कुराते हुए कहा।
                        और अगले दिन मच्छरों ने दिल्ली पर हमला कर दिया। और आदमी सचमुष वैसा ही कर रहे हैं जैसा मच्छरों के नेता ने कहा था।

Friday, September 11, 2015

हमारी सरकार गरीबों की सरकार है---ये रहा हमारा प्लान

हमें ये बात बार बार दोहरानी पड़ती है क्योंकि अभी तक गरीब इस बात पर भरोसा ही नही करते। परन्तु हम जो कहते हैं वो करते हैं ये हमारा रिकार्ड रहा है। इसलिए जब हमने कह दिया की हमारी सरकार गरीबों की सरकार है तो गरीबों को हम पर भरोसा करना चाहिए। हम उन्हें ताकत देना चाहते हैं। कुछ लोगों को ये हजम नही हो रहा की कैसे एक चायवाला प्रधानमंत्री बन गया। लेकिन हम हर कीमत पर गरीबों को ताकत देकर रहेंगे। ऐसा मैंने अपनी लगभग हर रैली में कहा है। आज मैं अपना प्लान लोगों के सामने रखूंगा ताकि उन्हें हमारी ईमानदारी और वायदों पर भरोसा हो सके। गरीबों को ताकत देने का हमारा प्लान इस प्रकार है।
ताकत का मतलब है संख्या -------- 
                                                          हम ये मान कर चलते हैं की किसी भी तबके की ताकत उसकी संख्या पर निर्भर करती है। हमारा दल आरएसएस का हिस्सा है इसलिए हम हिन्दुओं के हितों का खास ख्याल रखते हैं। कुछ लोग तो यहां तक भी कहते हैं की हम केवल हिन्दुओं के हितों का ही ख्याल रखते हैं। कुछ लोग ये भी कहते हैं की हम केवल हिन्दू हित की बात करते हैं और असलियत में हम केवल कुछ उच्च जाती के हिन्दुओं का ही ख्याल रखते हैं। पर ये सच नही है। इस देश में लाखों हिन्दू किसानो ने आत्महत्या कर ली पर हमने कुछ नही किया, लाखों हिन्दू नौजवान रोजगार के लिए धक्के खा रहे हैं लेकिन हमने कुछ नही किया और हजारों हिन्दू भुखमरी से मर रहे हैं पर हमारे कानो पर जूं भी नही रेंगी। ये सब आरोप हैं। हमने इस पर जो जो किया वो मैं आपके सामने रखता हूँ। जैसे ही हिन्दुओं की संख्या 80 % से 1 % नीचे आई हमने कितनी हाय तौबा मचाई आपने देखा ही होगा। हमने हिन्दुओं की जनसंख्या बढ़ाने के लिए हेल्पलाइन तक शुरू करने की बात कही । हम मानते हैं की भले ही हिन्दू कितनी ही बुरी हालत में रहें लेकिन उनकी संख्या नही घटनी चाहिए। यही समझ हमारी गरीबों के प्रति है। हमारा हर कदम गरीबों की संख्या बढ़ाने पर लगा हुआ है। हमारी सरकार आने के बाद बेरोजगारी का प्रतिशत 9 से बढ़कर 17 हो गया इस पर किसी ने ध्यान दिया। इससे गरीबों की संख्या में कितनी बढ़ौतरी हुई होगी और गरीबों की ताकत में कितनी बढ़ौतरी हुई होगी ये देखा किसी ने। हमने गरीबों की संख्या में कमी करने वाले पहले से चले आ रहे मनरेगा जैसे कार्यक्रमों का क्या हाल कर दिया ये देखा किसी ने। हम गरीबों को ताकत दे रहे हैं बिलकुल हिन्दुओं की तर्ज पर, और ये हमारे विरोधियों से बर्दाश्त नही होता।
                           हम गरीबों को ताकत देने के लिए जो प्रयास करते हैं उसका ढिंढोरा नही पीटते। हमारे हर कार्यक्रम को अगर आप ध्यान से देखोगे तो हर कार्यक्रम में गरीबों को ताकत देने और उनकी संख्या बढ़ाने पर हमारा जोर रहा है। हम जब उद्योगपतियों की मीटिंग बुलाते हैं तो उनको भी इसके लिए प्रेरित करते हैं की वो गरीबों की संख्या बढ़ाने और उन्हें ताकत देने के काम में सरकार का सहयोग करें। हालाँकि हम ये भी जानते हैं की उद्योग जगत इस पर पहले से ही बहुत योगदान कर रहा है।
                          हमने प्याज जैसी चीज 90 रूपये किलो बिकवा दी कोई अनुमान कर सकता था ? जब हम दाल 150 रूपये किलो बिकवाते हैं तो उसके पीछे भी हमारा उद्देश्य गरीबों को ताकत देने का ही होता है। और हम ये ताकत देते रहेंगे। हमारी सरकार अपने मिशन से पीछे नही हटेगी। जो लोग इसमें अड़ंगा डाल रहे हैं उन्हें हम कामयाब नही होने देंगे। हम इस देश के सभी हिन्दुओं और सभी गरीबों को ताकत दे कर रहेंगे। बल्कि सही तरीके से कहा जाये तो हम हिन्दुओं और गरीबों के बीच का फासला ही मिटा देंगे। हमारी सलाह के अनुसार अगर हिन्दू अपनी आबादी बढ़ाने जैसे काम करते रहेंगे तो ये फासला बहुत जल्दी मिट जायेगा।
                           अभी हमने देश के पूर्वी हिस्से पर फोकस किया है। मैंने कहा है की जब तक पूर्वी भारत का विकास नही होगा बाकि देश का विकास नही हो सकता। ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि पूर्वी हिस्से में गरीबों की तादाद पहले ही ज्यादा है और उसके कारण भी हमारे से पहले ही मौजूद हैं। वहां गरीबों की संख्या और ताकत को बढ़ाना बाकि देश की अपेक्षा ज्यादा आसान है। इसलिए गरीबों को ताकत देने का हमारा मिशन बिहार अब पुरे जोर शोर से शुरू होने वाला है। हमारी हर हिन्दू और हर गरीब से ये विनती है की वो विरोधियों की बात पर ध्यान ना दें। ये सरकार आपको ताकत दे कर रहेगी।

Sunday, August 30, 2015

आरक्षण विरोधियों के दिल से फिर गरीबों के लिए खून टपक रहा है !

peoples gathering

आरक्षण विरोधियों के दिल से फिर गरीबों के लिए खून टपक रहा है। जब जब आरक्षण की बात होती है तब तब आरक्षण विरोधियों के दिल से खून टपकने लगता है, कभी टेलेंट के नाम पर और कभी गरीबों के नाम पर। अपर क्लास के कुछ लोगों को कभी भी आरक्षण हजम नही हुआ। जहां भी उन्हें लगता है की उनका सामाजिक और आर्थिक आधिपत्य प्रभावित हो रहा है, उनके दिल से खून टपकने लगता है। मंडल आयोग ने जब OBC के लिए 27 % आरक्षण की सिफारिश की थी तब इसके विरोध में इन लोगों ने बहुत बड़े पैमाने पर उत्पात मचाया था। तब ये आरक्षण का विरोध कर रहे थे। और उस समय बहाना था मेरिट का। उस समय तरह तरह के कुतर्क सुनाई देते थे, जैसे 40 % नंबरों से दाखिला लेने वाले किसी डाक्टर से कौन अपना आपरेशन करवाना चाहेगा। क्या किसी ऐसे विमान चालक पर भरोसा किया जा सकता है जिसे कम नंबरों के बावजूद आरक्षण के कारण दाखिला मिला हो। इस तरह के बहुत से उदाहरण दिए जाते थे।
                        उसके बाद जब ये उस आरक्षण को लागु होने से नही रोक पाये तो उसे निष्प्रभावी करने का दूसरा तरीका निकाला। अब उन्होंने अपनी अपनी जातियों को आरक्षण की सूचि में डालने की मांग करनी शुरू कर दी। अब की बार उन्होंने गरीबी का बहाना बनाया। अब वो दोनों तरह के तर्क दे रहे हैं। जैसे या तो आरक्षण को खत्म कर दो, या फिर हमे भी दे दो। अगर हमे आरक्षण दे देते हो तो आरक्षण सही है वरना गलत है। अब उन्हें देश में आरक्षण मिली हुई जातियों में कोई अछूत और गरीब नजर नही आता।
                          
mass protest rally
लेकिन ये जो लोग सबको समानता की बात कर रहे हैं और कभी मेरिट तो कभी गरीबी का मुद्दा उठा रहे हैं उनमे कौन कौन लोग हैं ? इनमे बड़ी तादाद में वो लोग हैं जिनके नालायक बच्चे 40 % नंबर लेकर डोनेशन वाली सीटों पर डाक्टरी कर रहे हैं। इनमे से बहुत ऐसे लोग भी हैं जो दूसरों की तो छोडो अपनी जाती के गरीबों का इलाज किफायती रेट पर करने को तैयार नही हैं। इनमे बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो देश में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण के लिए जिम्मेदार हैं। अभी मध्यप्रदेश के व्यापम घोटाले की जो खबरें आ रही हैं उनमे इन्ही लोगों के बच्चों की बड़ी तादाद है। ये लोग प्राइवेट स्कुल चलाते हैं और बिना डोनेशन के किसी को दाखिला नही देते, लेकिन जब आरक्षण की बात आती है तो इनके दिल से गरीबों के लिए खून टपकने लगता है।
                          जो लोग सबको समानता की बात करते हैं उन्होंने एकबार भी नही कहा की सारी प्राइवेट सीटों को सरकार अपने कोटे में शामिल करे। इन्होने कभी नही कहा की सभी सरकारी स्कूलों की सीटें दुगनी की जाएँ। सभी प्राइवेट स्कुल कालेजों को सरकारी सहायता देकर भारी फ़ीस से मुक्ति दिलाई जाये। इन्होने कभी नही कहा की चार-चार हजार की फिक्स पगार पर भर्तियां बंद हों। हमारे देश में तो प्राइवेट संस्थाओं में आरक्षण नही है। इन्होने कभी नही कहा की उनमे काम के हालत सुधार कर उन्हें सरकारी नौकरियों के जैसा ही आकर्षक बनाया जाये। ये ऐसा कभी नही कहेंगे क्योंकि ये सारे निजी संस्थान यही लोग तो चलाते हैं और अपनी जाति  के गरीब मजदूरों को न्यूनतम वेतन तक नही देते।
                       
  वैसे जो लोग सही में ऐसा समझते हैं की अब छुआछूत की कोई समस्या देश में बची नही है और सामाजिक तौर पर बराबरी आ गयी है, उनको इन जातियों में शादियां करनी चाहियें। हमारे देश में कानून है की किसी दलित और स्वर्ण की शादी होने के बाद उनके बच्चे किसी का भी उपनाम प्रयोग कर सकते हैं। इस तरह उन्हें अनुसूचित जाती के आरक्षण का लाभ अपने आप मिलने लगेगा और देश से जाति  प्रथा भी दूर हो जाएगी। लेकिन वो ऐसा तो कभी नही कर सकते।
                         
  असल समस्या कहीं और है। जो काम सरकारों को करना चाहिए था उन्होंने नही किया। जो लोग सबकी समानता की बात करते हैं उन्हें सबके लिए शिक्षा और रोजगार की मांग करनी चाहिए थी। सरकारी स्कूलों और कालेजों में सीटें बढ़ाने की मांग करनी चाहिए थी। सरकार में खाली पड़े पदों को भरने की मांग करनी चाहिए। परन्तु चूँकि ये सारे काम ऊँचे स्थान पर बैठे लोगों को रास नही आते इसलिए इनकी मांग भी नही होती। इसके साथ ही ऊँची जातियों में जो गरीब लोग हैं वो अपने आप को उपेक्षित महसूस ना करें इसलिए उनके लिए 10 % आरक्षण की मांग की जा सकती है। इस पर शायद ही समाज का कोई वर्ग या जाति  विरोध करे। जरूरत पड़े तो इसके लिए कानून में बदलाव भी किया जा सकता है। क्योंकि इस मांग पर लगभग आम सहमति है। परन्तु फिर वही बात आती है। जो लोग आरक्षण के आंदोलनों का नेतृत्व करते हैं उन्हें इसका कोई फायदा नही होगा। इसलिए ये मांग नही उठाई जाएगी। उन लोगों का तो अंतिम मकसद पूरे आरक्षण की प्रणाली को ही निष्प्रभावी बनाना है।