एकदम ताजा समाचार है की देवरिया की राहुल गाँधी की सभा के बाद लोग वहां बिछाई गयी दो हजार खटिया भी उठा कर ले गए। पूरे मीडिया में ये खबर छाई हुई है। कुछ लोग मजाक कर रहे हैं। लेकिन मुझे इसमें कुछ नए समीकरण दिखाई दे रहे हैं। जैसे -
हिंदी में एक कहावत है खाट खड़ी कर देना। जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो लोग उसकी खाट तो 2014 में ही खड़ी कर चुके हैं। अब वो चाहें तो भी कांग्रेस की खाट खड़ी नही कर सकते। तो क्या लोगों ने ये मान लिया की खाट को लूट ही क्यों ना लिया जाये। अगर लोगों ने ऐसा सोचा है तो ये कांग्रेस के लिए चिंता की बात है।
या फिर ऐसा हो सकता है की लोगों ने हिंदी की दूसरी कहावत को आजमाया हो। वो कहावत है की भागते चोर की लँगोटी ही सही। राजनैतिक पार्टियों की साख अब लोगों में इतनी ही बची है। लोगों को मालूम है की बाद में कोई मिलने वाला है नही, सो जो भी मिलता हो अभी ले लो भले ही वो खाट ही क्यों न हो। वरना ऐसा न हो की 15 लाख वाली बात हो जाये। जब देने की बारी आये तो कह दें की जुमला था।
एक और कारण जो हो सकता है वो ये की लोग वापिस अपने घर में कांग्रेस की खाट बिछाना चाहते हों। आखिर जो खाट लूटी गयी हैं, वो कहीं न कहीं तो बिछेंगी जरूर। अगर उत्तर प्रदेश में एक बार कांग्रेस की खाट बिछ गयी तो बाकि पार्टियों को अपनी खाट फुटपाथ पर बिछाने की नोबत आ जाएगी।
वैसे इस घटना के बाद खाट का महत्त्व अब साहित्य के बाद फिल्मों से होता हुआ राजनीती तक पहुंच गया है। सरकाई ले खटिया -------- लोगों को ये गाना याद ही होगा। सुना है की राहुल गाँधी 2500 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर रहे हैं और हर जगह खाट पंचायत भी करेंगे। अब ये तो यात्रा पूरी होने के बाद ही पता चलेगा की खाट सहिंता कितनी लम्बी होने वाली है।
हिंदी में एक कहावत है खाट खड़ी कर देना। जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो लोग उसकी खाट तो 2014 में ही खड़ी कर चुके हैं। अब वो चाहें तो भी कांग्रेस की खाट खड़ी नही कर सकते। तो क्या लोगों ने ये मान लिया की खाट को लूट ही क्यों ना लिया जाये। अगर लोगों ने ऐसा सोचा है तो ये कांग्रेस के लिए चिंता की बात है।
या फिर ऐसा हो सकता है की लोगों ने हिंदी की दूसरी कहावत को आजमाया हो। वो कहावत है की भागते चोर की लँगोटी ही सही। राजनैतिक पार्टियों की साख अब लोगों में इतनी ही बची है। लोगों को मालूम है की बाद में कोई मिलने वाला है नही, सो जो भी मिलता हो अभी ले लो भले ही वो खाट ही क्यों न हो। वरना ऐसा न हो की 15 लाख वाली बात हो जाये। जब देने की बारी आये तो कह दें की जुमला था।
एक और कारण जो हो सकता है वो ये की लोग वापिस अपने घर में कांग्रेस की खाट बिछाना चाहते हों। आखिर जो खाट लूटी गयी हैं, वो कहीं न कहीं तो बिछेंगी जरूर। अगर उत्तर प्रदेश में एक बार कांग्रेस की खाट बिछ गयी तो बाकि पार्टियों को अपनी खाट फुटपाथ पर बिछाने की नोबत आ जाएगी।
वैसे इस घटना के बाद खाट का महत्त्व अब साहित्य के बाद फिल्मों से होता हुआ राजनीती तक पहुंच गया है। सरकाई ले खटिया -------- लोगों को ये गाना याद ही होगा। सुना है की राहुल गाँधी 2500 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर रहे हैं और हर जगह खाट पंचायत भी करेंगे। अब ये तो यात्रा पूरी होने के बाद ही पता चलेगा की खाट सहिंता कितनी लम्बी होने वाली है।
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