पहले मुझे भी चिकनगुनिया और कश्मीर समस्या में कोई समानता नजर नही आयी। लेकिन जैसे जैसे दोनों का अध्ययन आगे बढा तो पता चला की दोनों समस्याएं एकदम समान हैं। माने अगर एक का हल ढूंढ लिया जाये तो दूसरे का भी मिल सकता है। दोनों में निम्नलिखित समानताये हैं।
कश्मीर में पीडीपी और बीजेपी की मिली जुली सरकार है। केंद्र में भी दोनों की सरकार है। अब कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन तेज हो रहा है तो दोनों सरकारों का कहना है की सारी समस्या की जड़ पाकिस्तान है। उसमे कश्मीर के अंदर हुर्रियत कांफ्रेंस के लोग हैं जो सरकार के अनुसार पैसा भारत सरकार से लेते हैं और सलाह पाकिस्तान से लेते हैं। हुर्रियत के लोग कश्मीर की भलाई से ज्यादा पाकिस्तान की भलाई पर ज्यादा ध्यान देते हैं।
दूसरी तरफ दिल्ली की चिकनगुनिया की समस्या है। वहां कहने को तो अरविन्द केजरीवाल की सरकार है, लेकिन केंद्र से लेकर LG तक, और हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कोई उसको सरकार मानने को तैयार नही है। केजरीवाल का कहना है की जिस तरह कश्मीर समस्या का कारण पाकिस्तान है उसी तरह चिकनगुनिया का कारण केंद्र और LG हैं। जिस तरह कश्मीर में हुर्रियत पैसा भारत से लेती है और सुर पाकिस्तान के साथ मिलाती है, तो दिल्ली में ये काम MCD करती है। जिसका बजट तो दिल्ली की केजरीवाल सरकार ( एक बार बातचीत के लिए सरकार मान लेते हैं ) से जाता है लेकिन वो सुर केंद्र सरकार के साथ मिलाती है। हुर्रियत महबूबा से सहयोग नही कर रही और MCD केजरीवाल से।
वहां केंद्र हुर्रियत के लोगों पर शिकंजा कस रही है और दिल्ली में केजरीवाल के विधायकों पर। लेकिन इससे न अलगाववाद कम हो रहा है और न चिकनगुनिया। मुझे लगता है की दोनों का हल एक साथ ढूँढना पड़ेगा। गृह मंत्री राजनाथ सिंह शांति और सहयोग की अपील कर रहे हैं। लेकिन MCD को सहयोग करने के लिए नही कह रहे और न LG को कह रहे हैं। इन हालात में हुर्रियत और पाकिस्तान से सहयोग की उम्मीद करना तो बेकार की बात है।
कश्मीर में पीडीपी और बीजेपी की मिली जुली सरकार है। केंद्र में भी दोनों की सरकार है। अब कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन तेज हो रहा है तो दोनों सरकारों का कहना है की सारी समस्या की जड़ पाकिस्तान है। उसमे कश्मीर के अंदर हुर्रियत कांफ्रेंस के लोग हैं जो सरकार के अनुसार पैसा भारत सरकार से लेते हैं और सलाह पाकिस्तान से लेते हैं। हुर्रियत के लोग कश्मीर की भलाई से ज्यादा पाकिस्तान की भलाई पर ज्यादा ध्यान देते हैं।
दूसरी तरफ दिल्ली की चिकनगुनिया की समस्या है। वहां कहने को तो अरविन्द केजरीवाल की सरकार है, लेकिन केंद्र से लेकर LG तक, और हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कोई उसको सरकार मानने को तैयार नही है। केजरीवाल का कहना है की जिस तरह कश्मीर समस्या का कारण पाकिस्तान है उसी तरह चिकनगुनिया का कारण केंद्र और LG हैं। जिस तरह कश्मीर में हुर्रियत पैसा भारत से लेती है और सुर पाकिस्तान के साथ मिलाती है, तो दिल्ली में ये काम MCD करती है। जिसका बजट तो दिल्ली की केजरीवाल सरकार ( एक बार बातचीत के लिए सरकार मान लेते हैं ) से जाता है लेकिन वो सुर केंद्र सरकार के साथ मिलाती है। हुर्रियत महबूबा से सहयोग नही कर रही और MCD केजरीवाल से।
वहां केंद्र हुर्रियत के लोगों पर शिकंजा कस रही है और दिल्ली में केजरीवाल के विधायकों पर। लेकिन इससे न अलगाववाद कम हो रहा है और न चिकनगुनिया। मुझे लगता है की दोनों का हल एक साथ ढूँढना पड़ेगा। गृह मंत्री राजनाथ सिंह शांति और सहयोग की अपील कर रहे हैं। लेकिन MCD को सहयोग करने के लिए नही कह रहे और न LG को कह रहे हैं। इन हालात में हुर्रियत और पाकिस्तान से सहयोग की उम्मीद करना तो बेकार की बात है।
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