Sunday, September 4, 2016

दलित, अल्पसंख्यक और प्रधानमंत्री मोदी।

खबरी -- मोदीजी ने अपने इंटरव्यू में खुद को दलितों का हितैषी बताया है।

गप्पी -- अब जब दलितों पर चारों तरफ से हमलों की खबरें आ रही हैं, तब प्रधानमंत्री मोदी ने खुद को दलितों का हितैषी बताया है। जब 2002 के गुजरात दंगों के बाद पुलिस एकतरफा कार्यवाही कर रही थी और सुप्रीम कोर्ट तक को दंगों के केस गुजरात से बाहर ट्रान्सफर करने पड़े थे, तब मोदीजी ने अपने आप को अल्पसंख्यकों का हितैषी बताया था। जब संसद में भूमि अधिग्रहण बिल पेश किया गया था तब मोदीजी ने अपने आप को किसानों का हितैषी बताया था। जब देश के मजदूर और कर्मचारी श्रम कानूनों में बदलाव को लेकर हड़ताल कर रहे थे तब मोदीजी ने खुद को मजदूरों का हितैषी बताया था। जब मोदीजी एक साँस में तीन बार हमारे सैनिकों की तारीफ कर रहे थे तब उनकी पुलिस जंतर मंतर पर सैनिकों की पिटाई कर रही थी।

खबरी -- तो फिर सरकार इस सबके खिलाफ काम क्यों करती है ?

गप्पी -- क्योंकि दलित, अल्पसंख्यक, किसान और मजदूर सब मोदीजी के अपने लोग हैं, और यदि सरकार अपने लोगों के लिए काम करेगी तो उस पर पक्षपात का आरोप लगेगा। इसलिए सरकार हमेशा अपने विरोधियों के लिए ही काम करती है चाहे वो अम्बानी हों या अडानी। क्योंकि सरकार हमेशा ये कहती रही है की वो उद्योगपतियों की सरकार नही है इसलिए उनका काम करने में कोई आरोप नही लगेगा।

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