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Wednesday, March 23, 2016

हैदराबाद विष्वविद्यालय के छात्रों पर पुलिस दमन और अप्पा राव

                     हैदराबाद विश्विद्यालय में दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के लिए वाइस चांसलर अप्पा राव, मानव संशाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी और केंद्रीय मंत्री दत्तात्रेय के खिलाफ FIR दर्ज हुई। उसके बाद अप्पा राव को लम्बी छुट्टी पर भेज दिया गया। पुलिस ने इस FIR पर कोई गिरफ्तारी नहीं की और आधार ये बनाया की सुसाइड नॉट में किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है। इन सारी बातों  की अनदेखी कर दी गई की इस आत्महत्या के लिए उकसाने वाले सभी पारिस्थितिक साक्ष्य मौजूद हैं। इसके बाद अचानक अप्पा राव को दुबारा चार्ज लेने के लिए भेजना कोई अचानक घटने वाली या आम घटना नहीं है।
                      इस पूरी घटना को बकायदा एक प्लान के तहत लागु किया गया है। ये तो जगजाहिर था की अप्पा राव का विरोध होगा, जो की हुआ भी। इस विरोध के दौरान कुछ तोड़फोड़ की घटनाएं भी हुई। बस प्रशासन को अपनी योजना लागु करने का मौका मिल गया। उसके बाद पुलिस ने विष्वविद्यालय में जो तांडव मचाया उसकी कुछ तस्वीरें तो सोशल मीडिया पर मौजूद ही हैं। वहां 44 छात्रों को इलाज के लिए विष्वविद्यालय हॉस्पिटल में दाखिल किया गया है। दस गम्भीर घायल छात्रों को बाहर प्राइवेट हॉस्पिटल में दाखिल किया गया है। दो अध्यापकों समेत 32 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उसके बाद विष्वविद्यालय की बिजली, पानी और इंटरनेट काट दिया गया है। छात्रों के एटीएम कार्ड को ब्लॉक कर दिया गया है। खाने की मेस बंद कर दी गई है और किसी को भी विश्व्विद्यालय के अंदर जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है। कुछ छात्र जो सामूहिक रूप से खाना बनाने की कोशिश कर रहे थे उन पर पुलिस ने हमला किया जो गम्भीर घायल अवस्था में हॉस्पिटल में भर्ती हैं। और ये सब किया गया इसके बावजूद की एक भी पुलिस वाला घायल नहीं है। यानि ये सब छात्रों को सबक सिखाने के लिए किया गया है। सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है की कैंपस को नाज़ी कैंप में बदल दिया गया है।
                      क्या एक लोकतान्त्रिक कहे जाने वाले देश में यह सब सम्भव है। और अगर ये सब होता है और कोई सवाल नहीं उठता है तो क्या हम कानून के राज में जी रहे हैं। पुलिस और सेना को खाकी पुतलों में बदला जा रहा है। उन्हें तो ये भी नहीं मालूम की वो क्या कर  रहे हैं। और टीवी चैनलों पर संघी प्रवक्ता इसे सही साबित करने की कोशिश करते हैं। केंद्र सरकार के मंत्री एक तरफ देशद्रोही छात्रों को सीधा कर रहे हैं। दूसरी तरफ पाकिस्तान के कार्यक्रम में अलगाववादियों के साथ डिनर कर रहे हैं।
                       क्या इतनी बड़ी घटना को बिना विरोध के गुजर जाने दिया जायेगा। हम एक जिन्दा कौम हैं ये इसके विरोध से साबित होगा। फासिज्म को रोकना होगा। उसे अपने घर के दरवाजे पर पहुंचने से पहले रोकना होगा।

Monday, March 21, 2016

व्यंग -- लो, जिन्हे भगवान समझते थे वो तो भक्त निकले।

                   भक्त बहुत दुखी हैं। दुखी इसलिए की जिन्हे वो अब तक भगवान मानते थे उन्होंने खुद खड़े होकर कह दिया की नही, हम तो केवल भक्त हैं। जो भक्त अब तक भगवान के भक्त थे वो एक दर्जा नीचे आकर एक दूसरे भक्त के भक्त हो गए। डिमोसन हो गया। अभी कल की ही तो बात है जब वेंकैया जी ने उनको भगवान का वरदान और गरीबों का मसीहा बताया था। लेकिन  उन्होंने सबके दिल तोड़ते हुए घोषणा कर दी की वो तो केवल एक भक्त हैं।
                     भगवान कृष्ण ने गीता में मोक्ष की प्राप्ति के लिए जिन रास्तों यानि योग के विभिन्न प्रकारों का वर्णन किया है उनमे उन्होंने कहा है की जो सबसे उच्च श्रेणी के साधक हैं उनके लिए ज्ञान योग है। उन्होंने कहा की ज्ञान योग ही सबसे श्रेष्ठ योग है। विज्ञानं भी यही कहता है की मुक्ति के लिए ज्ञान जरूरी है। भगवान बुद्ध ने भी बुद्धि को गुरु मानने की सलाह दी थी। कृष्ण ने ये भी कहा की ज्ञान योग ही ऐसा योग है जिससे साधक एक पल में मुक्ति का अनुभव कर सकता है। अष्टावक्र ने इस बात की पुष्टि की है। लेकिन इसके साथ ही भगवान कृष्ण ने ये भी कहा है की ये केवल उच्चत्तम श्रेणी के साधकों के लिए है लेकिन आजकल भक्तों की एक श्रेणी ज्ञानयोग के साधको को देशद्रोही घोषित कर सकती है और ज्ञान के मंदिर को देशद्रोहियों का अड्डा बता सकती है।
                   जो उससे नीचे की श्रेणी के साधक हैं और जो सामान्य नागरिक की तरह जीवन व्यतीत करते हैं उनके लिए गीता में कर्मयोग का प्रावधान है। भगवान कृष्ण ने कहा है की मनुष्य कर्म करते हुए भी मुक्ति को प्राप्त हो सकता है अगर वो अपने कर्मो को भगवान को समर्पित कर दे। लेकिन यहां तो ऐसे साधक हैं जो अपने कर्मो को भगवान को समर्पित करना तो दूर, दूसरे के कर्मों को भी अपने नाम पर चढ़ाने में लगे रहते हैं। इसलिए कर्मयोग उनके लिए नही है।
                   इसके बाद भगवान कृष्ण ने निम्नतम स्तर के साधक के लिए भक्ति योग का प्रावधान किया। ये सबसे निचले स्तर के साधक होते हैं। जो ना तो अपने कर्मो की जिम्मेदारी लेते हैं और ना दूसरों के कर्मो को मान्यता देते हैं। इस किस्म के साधक भक्ति योग अपना सकते हैं। इसमें कई सुविधाएँ रहती हैं। भक्त हमेशा ( जब उसका दिल चाहे ) भक्ति में डूबा रह सकता है। वह किसी के प्रति जवाबदेह नही होता। वह भगवान के गुण  दोष नही देखता इसलिए उम्मीद करता है की लोग उसके गुण  दोष भी ना देखें। जब भी जवाब देने का समय आता है वो मोन साध लेता है। जब मोन रहने का समय होता है वो प्रवचन देना शुरू करता है। गीता ने भक्तों के लिए कई प्रकार की सुविधाएँ जाहिर की हैं। भक्त के लिए ये कतई जरूरी नही होता की भगवान के दिखाए रस्ते पर चले। वो उससे बिलकुल उल्ट रास्ते पर भी चल सकता है। जैसे-
                   कोई अम्बेडकर का भक्त हो सकता है बिना इस बात की परवाह किये की उसके घर में दलितों के प्रवेश पर पाबंदी है। जब दलित कुंए से पानी ना भरने देने की गुहार लगा रहे होते हैं तो बाबा साहब का भक्त उन्हें सयम रखने की सलाह दे सकता है। जब महिलाएं मंदिर में प्रवेश की मांग कर रही होती हैं तो वो मुंह फेर सकता है। जब अल्पसंख्यकों को पेड़ से लटकाया जा रहा होता है तो इस्लाम की परम्परा पर भाषण दे सकता है। जब रोहित वेमुला बनाया जा रहा हो तो वो उसे जातिवादी और देशद्रोही बता कर उस पर सहमति दे सकता है। बाबा साहब का भक्त एक ऐसे संगठन का सदस्य हो सकता है और गर्व से हो सकता है जिसका मुखिया ना दलित हो सकता है और ना महिला हो सकती है। भक्त उसकी मूर्ति पर माला चढ़ा सकता है जिसका उसने कल पुतला फूंका था। आज जिसकी हत्या पर मिठाई बांटी हैं कल उसके चरणो में मत्था टेक सकता है। भक्त के लिए सब माफ़ है। भगवान ने कहा है की वो निम्न दर्जे का साधक है। लेकिन चालक भक्त दिखावा भी कर सकता है। हो सकता है उसके दिल में कोई दूसरा देवता बैठा हो और वो माला किसी दूसरे देवता को पहना रहा हो। ऐसा भक्त बाजार का चलन देखकर बोली लगा सकता है। ऐसे भक्त से सावधान रहने की जरूरत है।

व्यंग -- ( राजनीती का तीसरा पाठ )- केवल कुतर्क पर भरोसा करो।

                   संघ के राजनीती के विद्यालय में आज तीसरा पाठ था। एक बहुत ही जोरदार अध्यापक आज की क्लास ले रहे थे। इन्होने कई बार संघ और बीजेपी की तरफ से टीवी चैनल में प्रवक्ता की जिम्मेदारी निभाई थी। सो लोगों ( मेरा मतलब छात्रों से है ) में बहुत उत्साह था। अध्यापक ने अपनी क्लास संस्कृत के श्लोक से शुरू की। एक छात्र ने श्लोक का अर्थ पूछा तो शरमा गए और बोले मंत्रों का अर्थ पूछना अश्रद्धा होती है। इसलिए भविष्य में इस बात का ख्याल रखा जाये। उसके बाद उन्होंने आगे बोलना शुरू किया।
                     " आज का विषय ये है की राजनैतिक बहसों में हमे किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। विरोधी को कैसे चारों खाने चित किया जाये। सो सभी लोग ध्यान  सुनेंगे। इसमें सबसे पहला फार्मूला ये है की तर्कों की बजाय हमेशा कुतर्कों पर भरोसा करो। तर्क आपको कभी भी उलझा सकते हैं खासकर उस समय जब हमारे पास कहने को कुछ नही होता। हमे ये भी ध्यान रखना चाहिए की चाहे हमारा अतीत हो या वर्तमान, हमारे काम ऐसे नही हैं जिन्हे हम बीच बाजार खड़े होकर कह सकें। अगर हमने ऐसा  दुस्साहस किया तो लोग हमारी हंसी उड़ा सकते हैं। इसलिए हमेशा कुतर्क पर भरोसा करो। इसके साथ ही दूसरा नियम ये है सामने वाले की बात सुनो ही मत। वो क्या कह रहा है, क्या पूछ रहा है इसका कोई मतलब नही होता। केवल अपनी कहते रहो। जो बात तुम कह रहे हो उसका कोई भी संबंध बहस की विषय वस्तु के साथ होना कतई जरूरी नही होता। अगर बहस टीवी चैनल में हो रही है तो उसका पहला नियम ये है की विरोधी के बोलने के समय को भी अपना समझो। जब तक विरोधी बोलता रहे तुम भी बोलते रहो। उससे ऊँची आवाज में बोलते रहो ताकि उसकी बात कोई सुन ना पाये। वैसे तो कई टीवी चैनल और उनके एंकर अपने ही लोग हैं जो तुम्हारी सहायता करेंगे, लेकिन अगर ऐसा नही  है तो एंकर पर पक्षपात का आरोप लगाना शुरू  कर दो। इससे बहस में सहायता मिलती है। क्योंकि आधा समय पक्षपात पर बहस में निकल जाता है। बाद में ये कहकर बात समाप्त कर दो की मेरा मतलब किसी पर आरोप लगाना नही था। " क्लास में सन्नाटा छाया हुआ था। उन लोगों ने इतना प्रेरणादायक और विद्वता पूर्ण भाषण पहले कभी नही सुना था।
               " श्रीमान, इसका कोई प्रक्टिकल उदाहरण देकर समझाइये। " एक छात्र ने कहा।
                " देखिये, वैसे तो तुम मेरा कोई भी टीवी बहस का कार्यक्रम देख सकते हो। फिर भी तुम मुझसे सवाल करो मैं उत्तर दूंगा। "
                " श्री मान, कन्हैया और JNU पर आपका क्या कहना है ?"  छात्र ने शुरुआत की।
                " तुमने कन्हैया को श्रीमान कैसे कहा ?" अध्यापक बोखलाए।
                " मैंने आपको श्रीमान कहा। " छात्र ने सफाई दी।
                " कन्हैया देशद्रोही है। उसने भारत की बर्बादी के नारे लगाये। पूरा JNU देशद्रोहियों का गढ़ बन चूका है। "
               " लेकिन श्रीमान अब तो पुलिस से लेकर यूनिवर्सिटी तक सभी मान चुके हैं की कन्हैया ने नारे नही लगाये। " छात्र ने सवाल किया।
               " JNU और वामपंथियों की सच्चाई देश के सामने आ चुकी है और देश इन देशद्रोहियों को बर्दाश्त नही करेगा। "
                  "  लेकिन श्रीमान उन्होंने देशद्रोही  नारे नही लगाये ये साबित हो चूका है। " छात्र ने कहा।
                  " मैं  पूछना चाहता हूँ की भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी ये नारा देशद्रोही है  या नही। अब इन वामपंथियों की पोल खुल चुकी है और देश ये बर्दाश्त नही करेगा। "
                  " लेकिन श्रीमान ये नारा तो कुछ बाहर वालों ने लगाया था ऐसी रिपोर्ट आ चुकी है। " छात्र ने फिर कहा।
                 " देखिये हमारे जो सैनिक  सीमा पर जान दे रहे हैं उनके परिवार वाले जब पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे सुनते हैं तो उन पर क्या बीतती है। क्या उन सैनिकों के बलिदान का कोई मोल नही है। इसलिए  राहुल गांधी को इसका जवाब देना होगा। "
                 " लेकिन वहां पाकिस्तान जिन्दाबाद का नारा नही लगा। "  छात्र ने जोर देकर कहा।
                 " जो लोग इस देश का नमक खाकर पाकिस्तान का नारा लगाते हैं वो गद्दार है। और जो गद्दारों के साथ है वो भी गद्दार है। इसका जवाब राहुल गांधी को देना होगा। सोनिया को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए। "
                      अब छात्र के होंसले जवाब दे चुके थे। अध्यापक मुस्कुराये। क्लास में जोर से तालियां बजी। छात्र बधाई दे रहे थे। मान गए सर, क्या खिंचाई की है। पूरी JNU और कन्हैया को बेनकाब कर दिया। और साथ में कांग्रेस को भी।
                              अब अगली क्लास कल।
               

Friday, March 4, 2016

Vyang -- देश को खूबसूरत बनाने के लिए सेना की जरूरत।

                हम पर ये आरोप लगाना गलत है की हम हर मामले में सेना और सैनिकों के सम्मान को घसीट रहे हैं। जो लोग ऐसा कहते हैं, दरअसल वो लोग देश के प्रति हमारी सोच को समझते ही नही हैं। इसलिए मैं आज यहां इस बात को साफ कर देना चाहता हूँ।
                  हम मानते हैं की हमारा देश खूबसूरत होना चाहिए। इसलिए देश के लोग, उसकी जमीन और उसका सबकुछ खूबसूरत होना चाहिए। इसलिए हम कश्मीर को भारत में बनाये रखने के हित में हैं। जहां तक कश्मीर के लोगों का सवाल है, वो चाहें तो यहां रह सकते हैं वरना पाकिस्तान जा सकते हैं। कश्मीर को भारत के साथ रखने के लिए हमे वहां के लोगों की जरूरत नही है। उसके लिए हमारे पास सेना है। हम ये भी मानते हैं की कश्मीर का जो हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में है वो भी भारत में होना चाहिए। हम पाकिस्तान के साथ इस बात पर समझौता कर सकते हैं की वो अपने कब्जे वाले कश्मीर की जमीन हमे लौटा दे, भले ही वहां के लोगों को अपने पास रख ले। लोग तो हम हमारे कब्जे वाले कश्मीर से भी उसको दे सकते हैं।
                 उसी तरह हमारा मानना है की छत्तीसगढ़ और झारखंड इत्यादि में जो जंगल और खदाने हैं, वो खूबसूरत होनी चाहियें। वहां अभी बहुत बड़ी तादाद में कुरूप और भोंडे आदिवासी रहते हैं। हम उनको वहां से हटा रहे हैं और वो जमीन खूबसूरत उद्योगपतियों को दे रहें हैं। हम देश से प्यार करते हैं इसलिए उसे खूबसूरत बनाना चाहते हैं। इसलिए हमने बड़ी तादाद में सुरक्षा बलों को वहां तैनात कर रखा है और उन्होंने काफी इलाका खाली भी करवा लिया है। हमे उम्मीद है की जल्दी ही पूरा इलाका एक खूबसूरत जगह में बदल जायेगा। जहां तक बात वहां के बदसूरत आदिवासियों की है, उनमे से बहुत से लोग तो नक्सली कहकर मारे जा चुके होंगे और बाकि भाग चुके होंगे। लेकिन हम इतना जरूर कहना चाहते हैं की वो कहीं भी भाग लें, उनके लिए इस खूबसूरत देश में कोई जगह नही है। इसका कारण ये है की हमारी योजना पुरे देश को खूबसूरत बनाने की है।
                  हम इस देश के शहरों को खूबसूरत बना रहे हैं। हम वहां से गंदी बस्तियां और झोपड़ियाँ हटा रहे हैं। कई देशद्रोही सवाल उठाते हैं की उनमे रहने वाले लोग कहां जायेंगे। ये लोग देश को खूबसूरत बनाने की हमारी मुहीम में रोड़ा अटका रहे हैं। ये विकास विरोधी लोग हैं और इन्हे इस बात का जवाब देना होगा। जो लोग देश को बदसूरत बनाते हैं, शहरों को गंदा करते हैं उनके साथ सहानुभूति एक तरह का देशद्रोह ही है। उन बस्तियों को हटा कर वहां खूबसूरत मॉल बनाये जायेंगे या फिर खूबसूरत बच्चों के लिए मनोरंजन पार्क बनाये जायेंगे और उनकी एंट्री फ़ीस इतनी रखी जाएगी की बदसूरत बच्चे वहां घुसना तो दूर उसकी कल्पना भी नही कर सकते।
                    देश के विकास के लिए उद्योग धन्धों का विकास  जरूरी होता है। कारखानो का मॉल नही बिकने के कारण हमारे खूबसूरत और प्यारे उद्योगपति बहुत चिंतित थे। इसलिए हमने उनके लिए रास्ता निकाल दिया है। अब वो उद्योग ना लगाएं। हम उन्हें सड़कें, स्कूल, हस्पताल, पार्क, पानी और कचरा उठाने  तक का
काम दे रहे हैं। ये ऐसे काम हैं जिनके बिना कोई जिन्दा नही रह सकता। कुछ दिनों बाद पूरा देश इन खूबसूरत उद्योगपतियों के रहमोकरम पर जिन्दा रहेगा। लोग आखिर जायेंगे कहां ? वो स्कूल जायेगे तो इन्हे पैसा देना पड़ेगा, हस्पताल जायेंगे तो इन्हे पैसा देना पड़ेगा, पानी पिएंगे तो पैसा देना पड़ेगा, यहां तक की मर भी जायेंगे तो श्मशान घाट पर भी पैसा देना पड़ेगा। और ये कोई गलत बात नही है। सतयुग में भी राजा हरिश्चंद्र ने अपने ही पुत्र को जलाने के लिए अपनी ही पत्नी से पैसा माँगा था। हम सतयुगी परम्परा को जिन्दा करेंगे।
                 हम तो किसानो से जमीन लेकर उसे भी खूबसूरत बनाना चाहते थे लेकिन कुछ देशद्रोहियों ने इसमें अड़ंगा लगा दिया। खैर कोई बात नही, अभी हमने इस योजना को वापिस नही लिया है। हम देश के खेत और खलिहानों को भी खूबसूरत बना कर रहेंगे। कुछ गद्दार और बदसूरत किसान आत्महत्या करके विदेशों में देश की बदनामी कर रहे हैं इसे हम बर्दाश्त नही करेंगे। हालाँकि हमने इसे फैशन शो घोषित करके नुकशान को कम करने की कोशिश की है। फिर भी हम सरकार की तरफ से उन्हें चेतावनी जारी करते हैं की भविष्य में जो भी किसान आत्महत्या करेगा उस पर देशद्रोह का केस बना कर जेल में डाल दिया जायेगा।
                 और ये सारे काम करने के लिए हमे सेना की जरूरत पड़ेगी। क्योंकि हम जानते हैं की देश में देशद्रोहियों की संख्या भी कुछ कम नही है। वो सैनिकों को ये बात याद दिलाते रहते हैं की वो भी किसान के बेटे हैं और बेरोजगार नौजवान उनके ही भाई बन्ध हैं। इस तरह की अफवाहें फैलाना देशद्रोह है। इसका मुकाबला करने के लिए हमने एक तरफ तो भक्तों की फौज बनाई है दूसरी तरफ हम सैनिकों को राष्ट्रवाद की शराब भी पिला रहे हैं। क्योंकि अगर वो इस बात को समझना शुरू कर देंगे तो देश को खूबसूरत बनाने का हमारा सपना अधूरा ही रह जायेगा। भारत माता की जय।