हैदराबाद विश्विद्यालय में दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के लिए वाइस चांसलर अप्पा राव, मानव संशाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी और केंद्रीय मंत्री दत्तात्रेय के खिलाफ FIR दर्ज हुई। उसके बाद अप्पा राव को लम्बी छुट्टी पर भेज दिया गया। पुलिस ने इस FIR पर कोई गिरफ्तारी नहीं की और आधार ये बनाया की सुसाइड नॉट में किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है। इन सारी बातों की अनदेखी कर दी गई की इस आत्महत्या के लिए उकसाने वाले सभी पारिस्थितिक साक्ष्य मौजूद हैं। इसके बाद अचानक अप्पा राव को दुबारा चार्ज लेने के लिए भेजना कोई अचानक घटने वाली या आम घटना नहीं है।
इस पूरी घटना को बकायदा एक प्लान के तहत लागु किया गया है। ये तो जगजाहिर था की अप्पा राव का विरोध होगा, जो की हुआ भी। इस विरोध के दौरान कुछ तोड़फोड़ की घटनाएं भी हुई। बस प्रशासन को अपनी योजना लागु करने का मौका मिल गया। उसके बाद पुलिस ने विष्वविद्यालय में जो तांडव मचाया उसकी कुछ तस्वीरें तो सोशल मीडिया पर मौजूद ही हैं। वहां 44 छात्रों को इलाज के लिए विष्वविद्यालय हॉस्पिटल में दाखिल किया गया है। दस गम्भीर घायल छात्रों को बाहर प्राइवेट हॉस्पिटल में दाखिल किया गया है। दो अध्यापकों समेत 32 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उसके बाद विष्वविद्यालय की बिजली, पानी और इंटरनेट काट दिया गया है। छात्रों के एटीएम कार्ड को ब्लॉक कर दिया गया है। खाने की मेस बंद कर दी गई है और किसी को भी विश्व्विद्यालय के अंदर जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है। कुछ छात्र जो सामूहिक रूप से खाना बनाने की कोशिश कर रहे थे उन पर पुलिस ने हमला किया जो गम्भीर घायल अवस्था में हॉस्पिटल में भर्ती हैं। और ये सब किया गया इसके बावजूद की एक भी पुलिस वाला घायल नहीं है। यानि ये सब छात्रों को सबक सिखाने के लिए किया गया है। सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है की कैंपस को नाज़ी कैंप में बदल दिया गया है।
क्या एक लोकतान्त्रिक कहे जाने वाले देश में यह सब सम्भव है। और अगर ये सब होता है और कोई सवाल नहीं उठता है तो क्या हम कानून के राज में जी रहे हैं। पुलिस और सेना को खाकी पुतलों में बदला जा रहा है। उन्हें तो ये भी नहीं मालूम की वो क्या कर रहे हैं। और टीवी चैनलों पर संघी प्रवक्ता इसे सही साबित करने की कोशिश करते हैं। केंद्र सरकार के मंत्री एक तरफ देशद्रोही छात्रों को सीधा कर रहे हैं। दूसरी तरफ पाकिस्तान के कार्यक्रम में अलगाववादियों के साथ डिनर कर रहे हैं।
क्या इतनी बड़ी घटना को बिना विरोध के गुजर जाने दिया जायेगा। हम एक जिन्दा कौम हैं ये इसके विरोध से साबित होगा। फासिज्म को रोकना होगा। उसे अपने घर के दरवाजे पर पहुंचने से पहले रोकना होगा।
इस पूरी घटना को बकायदा एक प्लान के तहत लागु किया गया है। ये तो जगजाहिर था की अप्पा राव का विरोध होगा, जो की हुआ भी। इस विरोध के दौरान कुछ तोड़फोड़ की घटनाएं भी हुई। बस प्रशासन को अपनी योजना लागु करने का मौका मिल गया। उसके बाद पुलिस ने विष्वविद्यालय में जो तांडव मचाया उसकी कुछ तस्वीरें तो सोशल मीडिया पर मौजूद ही हैं। वहां 44 छात्रों को इलाज के लिए विष्वविद्यालय हॉस्पिटल में दाखिल किया गया है। दस गम्भीर घायल छात्रों को बाहर प्राइवेट हॉस्पिटल में दाखिल किया गया है। दो अध्यापकों समेत 32 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उसके बाद विष्वविद्यालय की बिजली, पानी और इंटरनेट काट दिया गया है। छात्रों के एटीएम कार्ड को ब्लॉक कर दिया गया है। खाने की मेस बंद कर दी गई है और किसी को भी विश्व्विद्यालय के अंदर जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है। कुछ छात्र जो सामूहिक रूप से खाना बनाने की कोशिश कर रहे थे उन पर पुलिस ने हमला किया जो गम्भीर घायल अवस्था में हॉस्पिटल में भर्ती हैं। और ये सब किया गया इसके बावजूद की एक भी पुलिस वाला घायल नहीं है। यानि ये सब छात्रों को सबक सिखाने के लिए किया गया है। सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है की कैंपस को नाज़ी कैंप में बदल दिया गया है।
क्या एक लोकतान्त्रिक कहे जाने वाले देश में यह सब सम्भव है। और अगर ये सब होता है और कोई सवाल नहीं उठता है तो क्या हम कानून के राज में जी रहे हैं। पुलिस और सेना को खाकी पुतलों में बदला जा रहा है। उन्हें तो ये भी नहीं मालूम की वो क्या कर रहे हैं। और टीवी चैनलों पर संघी प्रवक्ता इसे सही साबित करने की कोशिश करते हैं। केंद्र सरकार के मंत्री एक तरफ देशद्रोही छात्रों को सीधा कर रहे हैं। दूसरी तरफ पाकिस्तान के कार्यक्रम में अलगाववादियों के साथ डिनर कर रहे हैं।
क्या इतनी बड़ी घटना को बिना विरोध के गुजर जाने दिया जायेगा। हम एक जिन्दा कौम हैं ये इसके विरोध से साबित होगा। फासिज्म को रोकना होगा। उसे अपने घर के दरवाजे पर पहुंचने से पहले रोकना होगा।
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