गप्पी -- सरकार ने कल राज्य सभा में GST बिल पेश कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पास कर चुकी है। राज्य सभा में इसे पेश करते वक्त कांग्रेस ने भारी हंगामा किया। परन्तु ये हंगामा इस बिल पर किसी सैद्धान्तिक विरोध के कारण नही था बल्कि सरकार और विपक्ष के बीच कुछ मंत्रियों के इस्तीफे को लेकर चल रही खींचतान के कारण था। मुझे इस बात पर आश्चर्य है की इतने जनविरोधी बिल का उस तरह विरोध क्यों नही हो रहा जिस तरह भूमि बिल का हुआ। क्या राजनैतिक पार्टियां इस बिल के जनविरोधी चरित्र समझने में नाकाम रही या फिर सभी पार्टियां इसकी सहयोगी हैं। हमारा पूरा कॉर्पोरेट क्षेत्र और सभी बड़ी कंपनियां क्यों इसको लागु करने के लिए इतना जोर डाल रही हैं।
GST बिल क्या है --
बहुत पहले सरकार ने वैट लागु किया था। तब सरकार ने दावा किया था की वैट के लागु होने के बाद वस्तुओं की कीमतें घटेंगी। और बाकि सारे टैक्स जिसमे CST भी शामिल था, खत्म हो जायेंगे। लेकिन आज क्या स्थिति है। CST जारी है और वैट के बाद कीमतें बढ़ी हैं। ठीक वही तर्क सरकार इस बार भी दे रही है। ये आश्वासन देने वाला वही है जिसने अपने पहले दिए गए आश्वासनों को पूरा नही किया। लेकिन सवाल ये है की इस GST बिल से क्या बदल जाने वाला है। इसमें कौन कौन से प्रावधान हैं जो कीमतों और उत्पादन करने वालों की स्थिति को प्रभावित करेंगे।
१. GST की दर लगभग 20 से 26 % के बीच रहेगी। इसमें एक्साइज ड्यूटी और वैट समेत सभी कर शामिल होंगे। अभी सर्विस टैक्स की दर 14 % है जो इसके लागु होने के बाद बढ़ जाएगी। जिन वस्तुओं पर अभी 10 % एक्साइज ड्यूटी लगती है और उसके बाद वैट लगता है वो सब इसमें शामिल हो जायेगा।
२. अभी देश में बहुत सी ऐसी चीजें हैं जिन पर एक्साइज ड्यूटी नही लगती है। परन्तु इस बिल के बाद चूँकि एक्साइज ड्यूटी GST में पहले ही शामिल है सो सभी चीजों पर लगेगी। ये एक्साइज ड्यूटी का सर्वीकरण होगा।
३. जिन चीजों पर अभी एक्साइज ड्यूटी लगती है वो उत्पादक पर लगती है। उसके बाद उस पर कोई गणना नही होती है। परन्तु GST लागु होने बाद इसकी गणना हर स्तर पर होगी जैसे अभी वैट की होती है। इसलिए उसका क्षेत्र और रकम बढ़ जाएगी।
४. सरकार एक मजाक कर रही है और कह रही है की इसमें सारे टैक्स जिसमे एक्साइज ड्यूटी, वैट , लक्जरी टैक्स, मनोरंजन कर और सर्विस टैक्स शामिल होंगे इसलिए कीमतें घटेंगी। परन्तु असलियत ये है की जिस पर सर्विस टैक्स लागु है उस पर वैट लागु नही है, जिस पर मनोरंजन कर लागु है उस पर दूसरे टैक्स पहले ही लागु नही हैं।
GST का महंगाई पर असर ------ ऊपर के हिसाब से ये बात तो भूल ही जानी चाहिए की इससे कीमतें कम हो जाएँगी। इससे भयंकर रूप से महंगाई बढ़ेगी और लोगों की कमर टूट जाएगी। आप एक ऐसी व्यवस्था में प्रवेश करने जा रहे हैं जिसमे अगर आप घर चलाने में 20000 रूपये खर्च कर रहे हैं तो उसमे से 5000 रूपये तो केवल टैक्स होगा। जो हालत अभी पट्रोल और डीजल की है व्ही हालत बाकि चीजों की हो जाएगी।
लघु उद्योग मर जायेगा --- यही है वो असली मकसद जो इसको लाने के लिए जवाबदार है। अभी हमारे कुल ओद्योगिक उत्पादन में लघु और घरेलू उद्योग का हिस्सा 35 % है। अपनी सारी कोशिशों के बावजूद बड़ी कंपनियां इसको छीनने में असफल हो चुकी हैं। इस हिस्से पर उनकी नजर पहले से है। सरकार इस पर बहुत से तर्क दे कर ये साबित करना चाहती है की GST बिल में लघु उद्योग के लिए सारे प्रावधान रखे गए हैं। हमे एकबार उन प्रावधानों की असलियत जानने की जरूरत है।
१. सरकार का कहना है की घरेलू और लघु उद्योगों के लिए इसमें डेढ़ करोड़ तक के व्यापार की छूट दी गई है। और ये काफी है। परन्तु ये छूट केवल छलावा है। और इस छूट का कोई भी लाभ लघु और घरेलू उद्योगों को नही होगा। क्योंकि लघु उद्योग जिन दुकानदारों व्यापारियों के द्वारा अपना मॉल बाजार में बेचता है उनकी छूट की सीमा केवल दस लाख ही है। इसलिए उस पर टैक्स तो लगेगा ही। अगर दुकानदार किसी भी लघु उद्योग से मॉल खरीदता है और वो उद्योग टैक्स छूट की सीमा में आता है तो दुकानदार को मॉल बेचते वक्त वो सारा टैक्स खुद जमा करवाना पड़ेगा। इसलिए इस छूट का कोई मतलब नही रह जाता है।
२. जो लघु उद्योग अपना मॉल सीधे उन उद्योगों को बेचते हैं जो इस सीमा से बाहर हैं तो उन्हें GST जमा करवाना ही पड़ेगा। क्योंकि दुकानदारों की तरह ही उस मॉल की छूट का लाभ बड़े उद्योगों को नही मिलेगा।
३. लघु उद्योग जो कच्चा मॉल बाजार से खरीदेंगे, उस पर GST लग कर ही आएगा और उन्हें वो ऊँचे भाव पर तो मिलेगा ही, दूसरे GST की रजिस्ट्रेशन के बिना उस टैक्स का उन्हें मॉल बेचते वक्त कोई फायदा नही होगा।
४. अभी तक जो लघु उद्योग एक्साइज ड्यूटी से बाहर थे वो सब पिछले दरवाजे से उसमे शामिल कर दिए गए हैं। इसलिए अब छोटे और बड़े उद्योग की लागत बराबर हो जाएगी और लघु उद्योग को जो इस रूप में सरंक्षण प्राप्त था जो खत्म हो जायेगा। यही वो मुख्य कारण है जिसके लिए बड़ी कंपनियां और कार्पोरेट क्षेत्र इसके लिए जान देने को उतारू है। अब तक बड़े और छोटे उद्योगों की मॉल की कीमत में जो फर्क था वो समाप्त हो जायेगा और उसके साथ ही वो उद्योग प्रतियोगिता नही कर पाने के कारण समाप्त हो जायेंगे। आज ओद्योगिक उत्पादन में लघु उद्योगों का जो हिस्सा है वो बड़ी कम्पनियों को मिल जायेगा। सरकार के केवल एक कदम से वो काम सम्भव हो जायेगा जो बड़ी कम्पनियां अपनी सारी कोशिशों के बाद भी नही कर पाई।
ये GST बिल लघु उद्योगों के लिए मौत की घंटी है।और लघु और घरेलू उद्योग ही वह क्षेत्र है जो देश को खेती के बाद सबसे ज्यादा रोजगार मुहैया करवाता है। जिसको इस बात में अब भी शक है वो GST लागु होने के दो साल के बाद आंकड़े देख ले।
जीडीपी में बढ़ौतरी का तर्क -------- सरकार तर्क दे रही है की GST लागु होने के बाद हमारी जीडीपी में 2% तक की बढ़ौतरी हो सकती है। कैसे ? कोई टैक्स प्रणाली बदलने से जीडीपी कैसे बढ़ जाएगी। सरकार परोक्ष रूप से मेरी बात को स्वीकार कर रही है। अब तक जो उत्पादन लघु और छोटे उद्योग करते थे उनमे से बहुत सा उत्पादन जीडीपी की गणना में नही आता था। जब ये हिस्सा बड़े उद्योगों को ट्रांसफर हो जायेगा तो इसकी गणना होने लगेगी। इससे उत्पादन समान रहने पर भी जीडीपी के आंकड़े बढ़े हुए दिखाई देंगे। ये एक तरह का सरकार का कबूलनामा है।
कांग्रेस का विरोध ----- कांग्रेस ने ही सबसे पहले इस बिल को पेश किया
था। उसका इस बिल पर कोई सैद्धान्तिक विरोध नही है। उसका विरोध वैसा ही है
जैसा उस समय बीजेपी का था। कांग्रेस ने पूरा देश कॉर्पोरेट के लिए लुटा
दिया। अब बीजेपी केवल इस लूट को और तेज करना चाहती है।
वामपन्थी पार्टियां और GST बिल ----- इस तरह के जनविरोधी कदमों का विरोध करने का काम उसके बाद वामपंथियों के हिस्से में आता है। परन्तु दुर्भाग्य की बात है की वामपंथी भी इस बिल का विरोध उस तरह नही कर रहे हैं जिस तरह करना चाहिए। जिस तरह भूमि बिल का विरोध किया और सरकार को अपने कदम वापिस खेंचने पर मजबूर किया।