खबरी -- ओबामा ने बच्चों को कटटरता से बचाने का बयान दिया है।
गप्पी -- ओबामा ने बच्चों को कटटरता से बचाने का बयान खासकर मुस्लिमो के संदर्भ में दिया है जिस पर पूरी दुनिया में एक बहस छिड़ गयी है। बहुत से लोग इसे अमेरिका का मुस्लिमों के प्रति पूर्वाग्रह बता रहे हैं जो खुलकर सामने आ गया है।
फिर भी ये बात अपनी जगह सही है की बच्चों को कटटरता से बचाया जाना चाहिए। ये कटटरता कई प्रकार की होती है और इन सभी प्रकारों की कटटरता को इसमें शामिल किये बिना न तो इसका कोई हल निकल सकता है और ना ही इसके लिए कोई विश्व स्तरीय जनमत बनाया जा सकता है। जो बच्चे कुछ कटटर देशों के हमलों के शिकार होते हैं उनको इसमें शामिल किए बिना इसका कोई मतलब नही रह जाता है।
बहुत से लोग ये भी याद दिलाते हैं की इराक पर अमेरिकी पाबंदियों के चलते दवाइयों के आभाव में करीब दस लाख बच्चे मारे गए थे और अमेरिका समर्थित इसराइल के हमलों में हर रोज गाजा में कितने ही बच्चे मारे जा रहे हैं उनके बारे में अमेरिका की क्या राय है ये भी बहुत मायने रखता है।
इसके अलावा गैर-मुस्लिम धर्मो के संगठनो द्वारा बच्चों में डाली जा रही कटटरता के बारे में भी दुनिया को उसी तरह का रवैया अपनाना पड़ेगा। जैसे भारत में आरएसएस द्वारा बच्चों को दी जाने वाली हथियारों की ट्रेनिंग के बारे में। वरना अगर सलेक्टिव रवैया अपनाया जायेगा तो इसकी जन भागीदारी प्रभावित होगी और इसकी विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लग जायेगा।
गप्पी -- ओबामा ने बच्चों को कटटरता से बचाने का बयान खासकर मुस्लिमो के संदर्भ में दिया है जिस पर पूरी दुनिया में एक बहस छिड़ गयी है। बहुत से लोग इसे अमेरिका का मुस्लिमों के प्रति पूर्वाग्रह बता रहे हैं जो खुलकर सामने आ गया है।
फिर भी ये बात अपनी जगह सही है की बच्चों को कटटरता से बचाया जाना चाहिए। ये कटटरता कई प्रकार की होती है और इन सभी प्रकारों की कटटरता को इसमें शामिल किये बिना न तो इसका कोई हल निकल सकता है और ना ही इसके लिए कोई विश्व स्तरीय जनमत बनाया जा सकता है। जो बच्चे कुछ कटटर देशों के हमलों के शिकार होते हैं उनको इसमें शामिल किए बिना इसका कोई मतलब नही रह जाता है।
बहुत से लोग ये भी याद दिलाते हैं की इराक पर अमेरिकी पाबंदियों के चलते दवाइयों के आभाव में करीब दस लाख बच्चे मारे गए थे और अमेरिका समर्थित इसराइल के हमलों में हर रोज गाजा में कितने ही बच्चे मारे जा रहे हैं उनके बारे में अमेरिका की क्या राय है ये भी बहुत मायने रखता है।
इसके अलावा गैर-मुस्लिम धर्मो के संगठनो द्वारा बच्चों में डाली जा रही कटटरता के बारे में भी दुनिया को उसी तरह का रवैया अपनाना पड़ेगा। जैसे भारत में आरएसएस द्वारा बच्चों को दी जाने वाली हथियारों की ट्रेनिंग के बारे में। वरना अगर सलेक्टिव रवैया अपनाया जायेगा तो इसकी जन भागीदारी प्रभावित होगी और इसकी विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लग जायेगा।
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