GST Bill पर सरकार और विपक्ष के बीच का गतिरोध कोई नया नही है। इस बिल पर सरकार और विपक्ष के बीच गंभीर मतभेद हैं। सरकार पहले दिन से इन मतभेदों को छिपाने और इस पर लगभग आम सहमति का दावा करती रही है। लेकिन इसके बावजूद वो इसको पास करवाने में नाकामयाब रही है। सरकार इसके लिए चाहे कितना ही विपक्ष को विकास विरोधी बताये और कोसे, लेकिन उससे ये बात खत्म नही हो जाती की वो इसे पास नही करवा पा रही है।
अब जब शीतकालीन सत्र शुरू होने जा रहा है तो सरकार का ये बयान की उसे इस सत्र में इसके पास होने की पूरी उम्मीद है केवल उसके मिथ्या आशावाद या फिर लोगों को गुमराह करने की कोशिश ही है। कारण ये है की इस दौरान सरकार ने ऐसा कुछ नही किया है जिससे ये संकेत मिलता हो की इस पर सरकार और विपक्ष के बीच मतभेद कम हुए हैं। उल्टा शीतकालीन सत्र से पहले बीजेपी के कुछ नेताओं द्वारा राहुल गांधी और राबर्ट वाड्रा पर तेजी से व्यक्तिगत हमले हुए हैं जिससे सरकार और विपक्ष के बीच कड़वाहट कम होने की बजाए बढ़ी ही है। सीपीआई [एम ] नेता सीताराम येचुरी ने तो बिलकुल साफ साफ कहा है की शीतकालीन सत्र में इस बिल का पास ना होना सरकार द्वारा होमवर्क की कमी का नतीजा होगा। येचुरी ने कहा की सरकार ने इस पर बात करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक तक नही बुलाई।
अब सत्र से ठीक पहले वित्तमंत्री का ये कहना की वो इस मामले पर कांग्रेस से बातचीत को तैयार हैं की ट्यून भी कुछ ऐसी है जैसे ये कोई कांग्रेस की जिम्मेदारी है और सरकार उसके लिए कोई रियायत दे रही है। कुछ लोगों का ये कहना की बीजेपी अभी भी ये नही समझ पाई है की वो अब विपक्ष में नही बल्कि सत्ता में है, ठीक ही लगता है। इसलिए इस बिल के इस सत्र में पारित होने की आशा करना विलासिता ही होगी।
-----इस विषय पर दूसरे लेख ------
अब जब शीतकालीन सत्र शुरू होने जा रहा है तो सरकार का ये बयान की उसे इस सत्र में इसके पास होने की पूरी उम्मीद है केवल उसके मिथ्या आशावाद या फिर लोगों को गुमराह करने की कोशिश ही है। कारण ये है की इस दौरान सरकार ने ऐसा कुछ नही किया है जिससे ये संकेत मिलता हो की इस पर सरकार और विपक्ष के बीच मतभेद कम हुए हैं। उल्टा शीतकालीन सत्र से पहले बीजेपी के कुछ नेताओं द्वारा राहुल गांधी और राबर्ट वाड्रा पर तेजी से व्यक्तिगत हमले हुए हैं जिससे सरकार और विपक्ष के बीच कड़वाहट कम होने की बजाए बढ़ी ही है। सीपीआई [एम ] नेता सीताराम येचुरी ने तो बिलकुल साफ साफ कहा है की शीतकालीन सत्र में इस बिल का पास ना होना सरकार द्वारा होमवर्क की कमी का नतीजा होगा। येचुरी ने कहा की सरकार ने इस पर बात करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक तक नही बुलाई।
अब सत्र से ठीक पहले वित्तमंत्री का ये कहना की वो इस मामले पर कांग्रेस से बातचीत को तैयार हैं की ट्यून भी कुछ ऐसी है जैसे ये कोई कांग्रेस की जिम्मेदारी है और सरकार उसके लिए कोई रियायत दे रही है। कुछ लोगों का ये कहना की बीजेपी अभी भी ये नही समझ पाई है की वो अब विपक्ष में नही बल्कि सत्ता में है, ठीक ही लगता है। इसलिए इस बिल के इस सत्र में पारित होने की आशा करना विलासिता ही होगी।
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