देश में बढ़ती हुई असहिष्णुता के खिलाफ आमिर खान द्वारा दिए गए बयान पर जो प्रतिक्रियाएं आ रही हैं वो अपेक्षित थी। आमिर खान ने ये बयान रामनाथ गोयनका अवार्ड दिए जाने के समय हुए समारोह में दिया और उस वक्त सरकार के कुछ बड़े मंत्री और नेता, जैसे की अरुण जेटली, रविशंकर प्रशाद और संबित पात्रा वहां मौजूद थे। जाहिर है की इस पर प्रतिक्रियाएं भी आनी ही थी। लेकिन इन प्रतिक्रियाओं में एक अजीब किस्म की झल्लाहट झलक रही थी।
इस पर प्रतिक्रिया करते हुए अनुपम खेर ने कहा की अतुल्य भारत कब से असहनशील हो गया ? संघी कलाकारों यही मुसीबत है की वो अपने आप को ही भारत समझते हैं। आमिर खान का बयान ना तो भारत के खिलाफ था और ना ही हिन्दुओं के खिलाफ था। ये बयान केवल और केवल उन संघी गुंडा गिरोहों के खिलाफ था जो देश का माहौल बिगाड़ने कोशिश कर रहे हैं। लेकिन हमेशा की तरह संघ से जुड़े लोग विशाल हिन्दू बहुमत पीछे छिपने कोशिश करते हैं और ऐसा माहोल बनाने की कोशिश करते हैं जैसे वो सारे हिन्दू समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। अगर ऐसा होता तो आपका बिहार में ये हाल होता ? एक दूसरे प्रवक्ता हैं अशोक पंडित, जो हर जगह घुसने कोशिश करते हैं और बहस पर कब्जा करने की कोशिश करते हैं, और जिनके बारे में संघ के ही एक दूसरे प्रशंसक पहलाज निहलानी ने आज ही फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया है उन्होंने भी ऐसी ही हिंदू प्रतिनिधि की मुद्रा अपनाई है। एक बयान परेश रावल का भी आया है जिसमे उसने कहा है की किसी भी देशभक्त को मुसीबत के समय अपनी मातृभूमि को छोड़कर नही भागना चाहिए। उन्होंने ये बयान शायद कश्मीर के संदर्भ में अशोक पंडित और अनुपम खेर के लिए दिया है जो मुसीबत के समय कश्मीर से भाग गए अब हररोज टीवी कश्मीर-कश्मीर चिल्लाते रहते हैं। मैं कश्मीर और कश्मीरी पंडितों से जुड़े कुछ सवाल इनसे पूछना चाहता हूँ।
१. क्या कश्मीर में अब एक भी पंडित नही रहता ? और अगर अब भी कश्मीर में पंडित रहते हैं तो वो क्यों भाग आये ?
२. अब तो कश्मीर में और केंद्र में दोनों जगह आपकी सरकार है, फिर आप वापिस क्यों नही जा रहे ?
३. अगर अब भी कश्मीर में हालत सामान्य नही है तो आपकी सरकार क्या कर रही है ?
४. अगर आपको लगता है की कश्मीर के हालात पर सरकार का ज्यादा काबू नही है तो आप पिछली सरकार को क्यों कोसते थे ? क्या उसके पीछे राजनितिक कारण थे ?
५. आपकी सरकार कश्मीर में लहराते ISIS के झंडों और उन्हें लहराने वालों पर कार्यवाही नही कर पा रही है या करना नही चाहती ?
६. अगर आपकी सरकार कार्यवाही कर नही पा रही है तो उसका कारण बताइये। और अगर करना नही चाहती तो उसका कारण बताइये। अब ये मत कहना की ये राष्ट्रिय सुरक्षा का मामला है और इस पर बहस नही की जा सकती क्योंकि इस मांग पर आपने हजारों टीवी कार्यक्रम किये हैं।
७. आपकी सरकार के आने के बाद आपने शरणार्थी कैम्पों में रहने वाले कश्मीरी पंडितों के लिए कौन-कौन सी नई सुविधाएँ लागु की हैं ?
अगर आपके पास इन सब सवालों का कोई पुख्ता जवाब नही है और अगर आप इन पंडितों को घाटी में वापिस नही बसा पा रहे हैं तो टीवी बहसों में भौकना बंद कीजिये।
मेरा एक सवाल और सलाह भक्तों के लिए भी है। वो अपने आप को इस देश और इस देश के हिन्दुओं का ठेकेदार ना समझें। अभी इसका ठेका उन्हें नही मिला है। इस देश में रहने वाला हर नागरिक अपनी समस्याओं और परेशानियों पर अपनी राय रखने का अधिकार रखता है और सरकार से उस पर जवाब और कार्यवाही की उम्मीद भी रखता है और ये अधिकार उसे देश के संविधान ने दिया है। और ये उस संविधान ने दिया है जिसे बनाने में और लागु करने में आपके पूर्वजों की कोई भूमिका नही थी।
इस पर प्रतिक्रिया करते हुए अनुपम खेर ने कहा की अतुल्य भारत कब से असहनशील हो गया ? संघी कलाकारों यही मुसीबत है की वो अपने आप को ही भारत समझते हैं। आमिर खान का बयान ना तो भारत के खिलाफ था और ना ही हिन्दुओं के खिलाफ था। ये बयान केवल और केवल उन संघी गुंडा गिरोहों के खिलाफ था जो देश का माहौल बिगाड़ने कोशिश कर रहे हैं। लेकिन हमेशा की तरह संघ से जुड़े लोग विशाल हिन्दू बहुमत पीछे छिपने कोशिश करते हैं और ऐसा माहोल बनाने की कोशिश करते हैं जैसे वो सारे हिन्दू समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। अगर ऐसा होता तो आपका बिहार में ये हाल होता ? एक दूसरे प्रवक्ता हैं अशोक पंडित, जो हर जगह घुसने कोशिश करते हैं और बहस पर कब्जा करने की कोशिश करते हैं, और जिनके बारे में संघ के ही एक दूसरे प्रशंसक पहलाज निहलानी ने आज ही फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया है उन्होंने भी ऐसी ही हिंदू प्रतिनिधि की मुद्रा अपनाई है। एक बयान परेश रावल का भी आया है जिसमे उसने कहा है की किसी भी देशभक्त को मुसीबत के समय अपनी मातृभूमि को छोड़कर नही भागना चाहिए। उन्होंने ये बयान शायद कश्मीर के संदर्भ में अशोक पंडित और अनुपम खेर के लिए दिया है जो मुसीबत के समय कश्मीर से भाग गए अब हररोज टीवी कश्मीर-कश्मीर चिल्लाते रहते हैं। मैं कश्मीर और कश्मीरी पंडितों से जुड़े कुछ सवाल इनसे पूछना चाहता हूँ।
१. क्या कश्मीर में अब एक भी पंडित नही रहता ? और अगर अब भी कश्मीर में पंडित रहते हैं तो वो क्यों भाग आये ?
२. अब तो कश्मीर में और केंद्र में दोनों जगह आपकी सरकार है, फिर आप वापिस क्यों नही जा रहे ?
३. अगर अब भी कश्मीर में हालत सामान्य नही है तो आपकी सरकार क्या कर रही है ?
४. अगर आपको लगता है की कश्मीर के हालात पर सरकार का ज्यादा काबू नही है तो आप पिछली सरकार को क्यों कोसते थे ? क्या उसके पीछे राजनितिक कारण थे ?
५. आपकी सरकार कश्मीर में लहराते ISIS के झंडों और उन्हें लहराने वालों पर कार्यवाही नही कर पा रही है या करना नही चाहती ?
६. अगर आपकी सरकार कार्यवाही कर नही पा रही है तो उसका कारण बताइये। और अगर करना नही चाहती तो उसका कारण बताइये। अब ये मत कहना की ये राष्ट्रिय सुरक्षा का मामला है और इस पर बहस नही की जा सकती क्योंकि इस मांग पर आपने हजारों टीवी कार्यक्रम किये हैं।
७. आपकी सरकार के आने के बाद आपने शरणार्थी कैम्पों में रहने वाले कश्मीरी पंडितों के लिए कौन-कौन सी नई सुविधाएँ लागु की हैं ?
अगर आपके पास इन सब सवालों का कोई पुख्ता जवाब नही है और अगर आप इन पंडितों को घाटी में वापिस नही बसा पा रहे हैं तो टीवी बहसों में भौकना बंद कीजिये।
मेरा एक सवाल और सलाह भक्तों के लिए भी है। वो अपने आप को इस देश और इस देश के हिन्दुओं का ठेकेदार ना समझें। अभी इसका ठेका उन्हें नही मिला है। इस देश में रहने वाला हर नागरिक अपनी समस्याओं और परेशानियों पर अपनी राय रखने का अधिकार रखता है और सरकार से उस पर जवाब और कार्यवाही की उम्मीद भी रखता है और ये अधिकार उसे देश के संविधान ने दिया है। और ये उस संविधान ने दिया है जिसे बनाने में और लागु करने में आपके पूर्वजों की कोई भूमिका नही थी।
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