सरकार के शेयर मार्केट में निवेश को बढ़ावा देने की कोशिश में कर्मचारी भविष्य-निधि संगठन [EPFO ] के धन का इसमें निवेश करने के फैसले के बाद इसके CBT ने मार्च 2016 तक शेयर मार्केट में 6000 करोड़ के निवेश का फैसला लिया। ये निवेश केवल ETF यानि एक्सचेंज ट्रेडेड फण्ड के माध्यम से करने का फैसला हुआ। इसके बाद ऑगस्त से लेकर अब तक इसमें 2322 करोड़ का निवेश किया जा चूका है। इस फैसले के समर्थन में सरकार और शेयर बाजार के समर्थको का तर्क था की भविष्य-निधि संगठन को अपने निवेश के लिए ज्यादा मुनाफा देने वाले स्रोतों की खोज करनी चाहिए। केवल तयशुदा ब्याज में निवेश ज्यादा फायदेमंद नही है। लेकिन सभी केंद्रीय ट्रैड यूनियनों ने इसका ये कहकर कड़ा विरोध किया था की शेयर बाजार का निवेश बहुत जोखिम भरा होता है और कर्मचारियों की बचत का पैसा इस तरह के जोखिम वाले जगहों में निवेश नही किया जाना चाहिए। परन्तु उस समय सरकार और बाजार समर्थक इसमें ज्यादा मुनाफा होने का तर्क दे रहे थे।
अब इसके सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की मीटिंग में जब इस निवेश के मुनाफे [ Return ] की गणना की गयी तो ये सालाना 1 . 52 % हुआ। जिससे इसका विरोध करने वालों की आशंका सही साबित हुई। अब बाजार समर्थक ये तर्क दे रहे हैं की इतने कम समय में शेयर बाजार के रिटर्न की समीक्षा सही नही है और की शेयर बाजार हमेशा लम्बी अवधि में ज्यादा रिटर्न देता है। लेकिन अब इसके बोर्ड की अगली मीटिंग में इस पर पुनर्विचार होगा।
इस पुनर्विचार में इस निवेश को रोके जाने या पलटे जाने की संभावना से इसके केंद्रीय कमिशनर ने इंकार किया है इतना तो जरूर है की इसका विरोध करने वाले कर्मचारी यूनियनों के सदस्यों का पक्ष मजबूत होगा। CITU के नेता और इसके सेंट्रल बोर्ड के सदस्य ए, के, पद्मनाभम ने कहा है की शेयर मार्केट में निवेश से पहले सरकार इसके एक न्यूनतम रिटर्न की गारंटी दे। वरना कर्मचारियों की जिंदगी भर की बचत का पैसा शेयर बाजार में लगाने का वो सख्ती से विरोध करेंगे।
इन हालात को देखते हुए 6 दिसंबर को होने वाली इसके सेंट्रल बोर्ड की मीटिंग पर सबकी नजर रहेगी।
अब इसके सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की मीटिंग में जब इस निवेश के मुनाफे [ Return ] की गणना की गयी तो ये सालाना 1 . 52 % हुआ। जिससे इसका विरोध करने वालों की आशंका सही साबित हुई। अब बाजार समर्थक ये तर्क दे रहे हैं की इतने कम समय में शेयर बाजार के रिटर्न की समीक्षा सही नही है और की शेयर बाजार हमेशा लम्बी अवधि में ज्यादा रिटर्न देता है। लेकिन अब इसके बोर्ड की अगली मीटिंग में इस पर पुनर्विचार होगा।
इस पुनर्विचार में इस निवेश को रोके जाने या पलटे जाने की संभावना से इसके केंद्रीय कमिशनर ने इंकार किया है इतना तो जरूर है की इसका विरोध करने वाले कर्मचारी यूनियनों के सदस्यों का पक्ष मजबूत होगा। CITU के नेता और इसके सेंट्रल बोर्ड के सदस्य ए, के, पद्मनाभम ने कहा है की शेयर मार्केट में निवेश से पहले सरकार इसके एक न्यूनतम रिटर्न की गारंटी दे। वरना कर्मचारियों की जिंदगी भर की बचत का पैसा शेयर बाजार में लगाने का वो सख्ती से विरोध करेंगे।
इन हालात को देखते हुए 6 दिसंबर को होने वाली इसके सेंट्रल बोर्ड की मीटिंग पर सबकी नजर रहेगी।
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