Friday, December 11, 2015

बीजेपी का दोहरा रुख, दोहरी बातें और दोहरा चरित्र

बीजेपी जब से सत्ता में आई है उसने अपनी पहले कही गयी कई बातों पर पलटी मारी है। जब तक ये बात केवल नारों और वायदों तक सिमित थी तब तक तो ठीक था और लोग केवल मजाक उड़ाकर चुप रह जाते थे। लेकिन जब ठीक इसी तरह का मामला कामकाज के दौरान भी सामने आने लगा तो उसका विरोध होने लगा। संसद का पिछला सत्र बीजेपी नेताओं के भृष्टाचार के मामले पर हंगामे की भेंट चढ़ गया और अब ये सत्र भी बिना कोई कामकाज किये समाप्ति की और है। बीजेपी के पलटी मारने के इतने उदाहरण सामने हैं की अब तो लोगों को उन पर आश्चर्य होना भी बंद हो गया है। जैसे -

पहले --- बीजेपी नेता पूरा सत्र हंगामे के द्वारा खत्म कर देते थे और कहते थे की संसद चलाना सरकार की जिम्मेदारी होती है और संसद का काम रोकना भी लोकतंत्र में विरोध का एक तरीका होता है।

अब -- बीजेपी नेता कहते हैं की संसद में काम रोकना देश के विकास को रोकने का प्रयास है और संसद चलाना सरकार और विपक्ष दोनों की बराबर की जिम्मेदारी होती है।

पहले -- जब भूमि बिल पर बीजेपी ने सरकार में आते ही पलटी मारी और इस पर जवाब में कहा की नई जरूरतों के अनुसार अपने विचारों में बदलाव करना कोई बुरी बात नही है।

अब -- GST बिल पर कांग्रेस द्वारा रक्खी गयी तीन मांगों पर वह कह रही है की ये मांगे तो कांग्रेस द्वारा पेश किये गए बिल में भी नही थी और अब कांग्रेस द्वारा अपने रुख में बदलाव लोगों के साथ धोखेबाजी है।

पहले -- कांग्रेस और विपक्ष के दूसरे नेताओं पर भृष्टाचार के आरोपों पर उसका कहना था की जब शिकायत मिली है तो जाँच करवाने में सरकार क्यों हिचक रही है। अगर कुछ गलत नही हुआ है तो अपने आप सामने आ जायेगा इसमें डरने की क्या बात है।

अब -- जब उसके नेताओं के भृष्टाचार की जाँच की मांग हो रही है तो उसका कहना है की अगर कोई पुख्ता सबूत विपक्ष के पास है तो उसे अदालत जाना चाहिए , केवल शिकायतों के आधार पर जाँच नही की जाएगी।

पहले -- जब पवन बंसल के भांजे किसी से पैसे लेते हुए पकड़े गए थे तो उसने कहा था की पवन बंसल को इस्तीफा देना चाहिए क्योंकि आखिर उनकी बिना पर ही तो उसके भांजे ने पैसा लिया होगा।

अब -- जब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का साला पैसे लेते हुए पकड़ा गया तो बीजेपी का कहना है की कोई मुख्यमंत्री अपने सभी रिश्तेदारों की जिम्मेदारी कैसे ले सकता है।

पहले -- जब UPA सरकार पाकिस्तान के साथ  रही थी तो उसने ये कह कर उसका विरोध किया की जब तक सीमा पर गोलीबारी और पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों का समर्थन बंद नही किया जाता कोई बात नही होनी चाहिए।

अब -- जब सरकार कश्मीर पर भी बात करने को तैयार हो गयी है तो उसका कहना है की आखिर रास्ता तो बातचीत से ही निकलेगा।

                        इस तरह की पलटियां तो आप चाहे लगातार दो महीने लिखते रहें पूरी नही होंगी।

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