पिछले डेढ़ साल में मोदी सरकार ने जिन उपलब्धियों का दावा किया है उनमे सबसे बड़ी उपलब्धि ये है की उसने भृष्टाचार रोककर और देश के संसाधनो के पारदर्शी नीलामी के द्वारा लाखों करोड़ रूपये देश की तिजोरी में डाले हैं। कुछ लोग इन घोषणाओं पर सवाल भी खड़े करते रहे हैं लेकिन सरकार अपने दावों पर अडिग रही है। ये दावे कुछ इस प्रकार हैं।
१. कोयला खदानों की नीलामी से 335000 करोड़ रुपया इकट्ठा करके देश की तिजोरी में डाला गया है। http://timesofindia.indiatimes.com/india/Smriti-Irani-hits-back-at-Sonias-hawa-baazi-jibe/articleshow/48871717.cms
२. 2 G की नीलामी से करीब 150000 करोड़ रुपया देश के खजाने में डाला गया।
३. दूसरे खनिज की खदानों की नीलामी का पैसा खजाने में डाला गया।
उसके बाद सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की नीलामी करके हजारों करोड़ रुपया इकट्ठा किया है। सरकार टैक्स की कमाई बढ़ने का दावा भी कर रही है। उसके बाद जो खर्चे की रिपोर्ट है वो इस प्रकार है।
१. मनरेगा में खर्च किये जाने वाले बजट में कटौती की गयी है।
२. बच्चों के दोपहर भोजन के खर्चे में कटौती की गयी है।
३. शिक्षा पर किये जाने वाले खर्चे में कटौती की गयी है।
४. स्वास्थ्य पर खर्च किये जाने वाले बजट में कटौती की गयी है।
इसके अलावा भी कई खर्चों में कटौती की गयी है। मैं कोई बजट का विश्लेषण नही कर रहा हूँ इसलिए सारे आंकड़े यहां देना जरूरी नही है। मैं केवल इस हफ्ते में आई दो खबरों पर सवाल करना चाहता हूँ।
१. सरकार ने खाद उत्पादन करने वाले उद्योगों को कह दिया है की उनकी सरकार की तरफ बकाया 40000 करोड़ रूपये का भुगतान करने की स्थिति में सरकार अभी नही है। इसलिए उन्हें इसके लिए इंतजार करना होगा।
२. चुनाओं के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के लिए 1 लाख 65 हजार करोड़ के पैकेज की घोषणा की थी। लेकिन अब खबर आई है की केंद्र ने बिहार में बनने वाली ग्रामीण सड़क योजना की फाइल ये कहकर लोटा दी की केंद्र इसके लिए अब 100 % रकम नही दे पायेगा और केवल 60 % रकम ही दे पायेगा।
मैं केवल ये पूछना चाहता हूँ की इतना पैसा आखिर कहां ? या तो सरकार पैसा इकट्ठा करने के झूठे दावे कर रही थी या फिर सरकार कुछ ऐसे खर्चों को छुपा रही है जिनको वो आम जनता को नही बताना चाहती। इस सवाल का जवाब दिया जाना चाहिए।
१. कोयला खदानों की नीलामी से 335000 करोड़ रुपया इकट्ठा करके देश की तिजोरी में डाला गया है। http://timesofindia.indiatimes.com/india/Smriti-Irani-hits-back-at-Sonias-hawa-baazi-jibe/articleshow/48871717.cms
२. 2 G की नीलामी से करीब 150000 करोड़ रुपया देश के खजाने में डाला गया।
३. दूसरे खनिज की खदानों की नीलामी का पैसा खजाने में डाला गया।
उसके बाद सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की नीलामी करके हजारों करोड़ रुपया इकट्ठा किया है। सरकार टैक्स की कमाई बढ़ने का दावा भी कर रही है। उसके बाद जो खर्चे की रिपोर्ट है वो इस प्रकार है।
१. मनरेगा में खर्च किये जाने वाले बजट में कटौती की गयी है।
२. बच्चों के दोपहर भोजन के खर्चे में कटौती की गयी है।
३. शिक्षा पर किये जाने वाले खर्चे में कटौती की गयी है।
४. स्वास्थ्य पर खर्च किये जाने वाले बजट में कटौती की गयी है।
इसके अलावा भी कई खर्चों में कटौती की गयी है। मैं कोई बजट का विश्लेषण नही कर रहा हूँ इसलिए सारे आंकड़े यहां देना जरूरी नही है। मैं केवल इस हफ्ते में आई दो खबरों पर सवाल करना चाहता हूँ।
१. सरकार ने खाद उत्पादन करने वाले उद्योगों को कह दिया है की उनकी सरकार की तरफ बकाया 40000 करोड़ रूपये का भुगतान करने की स्थिति में सरकार अभी नही है। इसलिए उन्हें इसके लिए इंतजार करना होगा।
२. चुनाओं के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के लिए 1 लाख 65 हजार करोड़ के पैकेज की घोषणा की थी। लेकिन अब खबर आई है की केंद्र ने बिहार में बनने वाली ग्रामीण सड़क योजना की फाइल ये कहकर लोटा दी की केंद्र इसके लिए अब 100 % रकम नही दे पायेगा और केवल 60 % रकम ही दे पायेगा।
मैं केवल ये पूछना चाहता हूँ की इतना पैसा आखिर कहां ? या तो सरकार पैसा इकट्ठा करने के झूठे दावे कर रही थी या फिर सरकार कुछ ऐसे खर्चों को छुपा रही है जिनको वो आम जनता को नही बताना चाहती। इस सवाल का जवाब दिया जाना चाहिए।
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