Thursday, December 3, 2015

Vyang -- दाऊद की सम्पत्ती और भक्तों की परीक्षा

पिछले दिनों ये खबर अख़बार में पढ़ी की मुंबई में सरकार दाऊद की  संपत्ति की नीलामी करने वाली है। इस खबर में ये भी लिखा था की सरकार कई बार इस सम्पत्ति की नीलामी की कोशिश कर चुकी है लेकिन कोई बोली लगाने को तैयार ही नही है। और पहले दिल्ली के दो लोगों ने दाऊद की एक संपत्ति की बोली लगाकर खरीद की थी उन्हें अब तक उसका कब्जा नही मिला है।
                   मुझे लगता है की ये खबर झूठी है और भारत को बदनाम करने के लिए छापी गयी है। इसमें भारत विरोध की बू साफ नजर आ रही है। जिन लोगों ने ये खबर छापी है उनको हमारे देश के बारे में कुछ भी जानकारी नही है।
                    हमारे यहां इस तरह के देश भक्तों की बहुत बड़ी तादाद है जो लोगों को हर रोज पाकिस्तान भेजते रहते हैं। ये लोग हर रोज दावा करते हैं की बस अभी कुछ दिन की ही बात है जब हमारी सरकार दाऊद को घसीट कर भारत लाने  वाली है। हमारे प्रधानमंत्री जिस देश में भी जाते हैं, वहां की सरकार को दाऊद की सम्पत्ति जब्त करने का आग्रह करना नही भूलते। फिर ऐसा कैसे हो सकता है की कोई दाऊद की सम्पत्ति की बोली लगाने से डर महसूस करे और वो भी मुंबई में।
                     मुंबई वो शहर है जहां केवल पाकिस्तान का नाम लेने पर मुंह काला किया जा सकता है। वहां की पार्टी अपने झंडे में शेर का फोटो लगाती है। वहां दाऊद की तो बात छोडो पाकिस्तान के किर्केटर और कलाकार नही घुस सकते और अख़बार कहता है की वहां दाऊद की सम्पत्ति की नीलामी नही हो पा रही।
                     लोगों को और अख़बार को शायद मालूम नही है की हमारे देश में वायु सेना, थल सेना, नौ-सेना के आलावा राष्ट्र सेना और हिन्दू सेना भी है। ये दोनों सेना हर रोज किसी कलाकार की फिल्म पर बैन लगा देते हैं और फिर सिनेमा हाल में तोड़फोड़ कर देते हैं। फिर किसी का सर काटने की धमकी दे देते हैं और मुस्कुराते हुए फोटो खिंचवाते हैं। इन लोगों को मलाल है की 1971 के युद्ध के समय वो नही थे वरना पाकिस्तान का नामोनिशान मिट जाता। और उनके शहर में कोई ये कहे की दाऊद की सम्पत्ति की बोली नही लग रही तो ये कैसे हो सकता है। इसलिए मैं मानता हूँ की ये खबर झूठ है
                     इस खबर के झूठे होने का दूसरा प्रमाण ये है देश की दोनों बड़ी राष्ट्रवादी पार्टियां वहां सरकार में हैं। दोनों में कौन ज्यादा राष्ट्रवादी है ये अभी साबित नही हुआ है लेकिन ये साबित हो चूका है कि इनके आलावा और कोई राष्ट्रवादी नही है। आप अगर सोशल मिडिया से थोड़ा बहुत संबंध रखते हैं तो आपको इनके भक्तों की एक पूरी ब्रिगेड वहां मिल जाएगी जो आपको साबित कर देगी की इनके आलावा ना तो कोई बहादुर है और ना ही कोई देशभक्त है। ऐसी पार्टियों के रहते मुंबई में दाऊद की सम्पत्ति का होना ही अपने आप में शर्म की बात है और उसका कोई खरीददार ना मिलना तो डूब मरने की बात है। मैं तो कहता हूँ की हे ( देश ) भक्तो उठो और साबित कर दो की तुम्हारे सामने दाऊद की की ओकात नही है।
                      लेकिन फिर मुझे याद आता है की जो लोग जवाहरलाल नेहरू को इस बात के लिए गालियां देते थे की 1947 में अगर उसने सेना को इजाजत दे दी होती तो पूरा कश्मीर भारत का होता। बाद में जब वो लोग खुद सरकार में आये तो कारगिल युद्ध में LOC पार करने की हिम्मत भी नही जुटा पाये।
                       इसलिए मुझे इन राष्ट्रवादी सेनाओं के राष्ट्रवाद पर शक होता है लेकिन उनकी हिम्मत पर मुझे कोई शक नही है। क्योंकि हिम्मत वाला आदमी इस तरह के टुच्चे काम नही करता जिस तरह के काम ये लोग करते हैं। किसी भी साधारण आदमी को गिरोह बना कर पीट देना और मिडिया में गाली गलोच कर देना हिम्मत की निशानी नही होती।  
                          इसलिए मैं इनका आह्वान करता हूँ, की हे राष्ट्र सेना और हिन्दू सेना के वीरो उठो, और दाऊद की सम्पत्तिओं पर कब्जा कर लो। और उसके बाद ललकार कर कहो की हाँ, हमने किया है कब्जा और दाऊद और उसके गुर्गों में अगर हिम्मत है तो हमारा कुछ बिगाड़ कर दिखाए।                   

 भक्तों की परीक्षा 

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