Friday, December 25, 2015

Vyang -- गंगा और बीजेपी में क्या क्या समान है।

                       ये बहुत पते का सवाल है। पहली बात ये है और यहीं से शुरू भी होती है की जो भी गंगा के भक्त हैं वो ये मानते हैं की कोई कितना ही पापी क्यों ना हो, गंगा स्नान करने से उसके सारे पाप धुल जाते हैं। पाप की क़्वालिटी भले ही कैसी भी हो , आदमी चाहे खूनी हो, बलात्कारी हो, चोर हो या डकैत हो , इस बात से कोई फर्क नही पड़ता। गंगा माँ सबके पाप धो देती है और आदमी को फिर से पाप करने लायक कर देती है।
                         उसी तरह बीजेपी के भी जो भक्त हैं वो ये मान कर चलते हैं की कोई किसी भी पार्टी का कितना ही बड़ा घोटालेबाज हो, देशद्रोही हो, विदेशों में कालाधन जमा कराने वाला हो, या कितना ही बड़ा टैक्स चोर हो, अगर वह बीजेपी में शामिल हो जाता है तो तुरंत शुद्ध हो जाता है। उसके सारे कुकर्म सतकर्मो में बदल जाते हैं। और वो जब तक बीजेपी में रहता है तब तक उसे पाप छू भी नही सकता।
                         जिस तरह गंगा पाप-विमोचिनी है उसी तरह बीजेपी घोटाले-विमोचिनी है।
                         इससे एक तकनीकी स्थिति भी पैदा होती है। आदमी जब तक गंगा में खड़ा रहता है तब तक तो उसमे पाप लगने की कोई संभावना ही नही होती है। उसी तरह जब तक आदमी बीजेपी का सदस्य रहता है उस पर कोई आरोप लग ही नही सकता है। इसी तकनीकी पहलू को विपक्ष समझ नही पा रहा है और आये दिन किसी बीजेपी नेता के खिलाफ कोई आरोप लगा देता है। बेचारे बीजेपी के प्रवक्ताओं को बार-बार टीवी चैनलों पर आकर ये बात समझानी पड़ती है की भाई चूँकि वो बीजेपी का सदस्य है इसलिए उसकी जाँच नही हो सकती। लेकिन फिर कोई नेता आकर नया आरोप लगा देता है। हद तो तब हो गयी जब बीजेपी  कीर्ति आजाद ने अरुण जेटली पर भृष्टाचार का आरोप लगा दिया। अब बीजेपी ने उसे निलंबित करके ये याद दिलाया है की उसे बीजेपी और दूसरी पार्टियों में फर्क करना चाहिए। क्या कीर्ति आजाद भूल गए की बीजेपी "पार्टी विद ड डिफरेंस " है। जब तक आदमी बीजेपी में है उस को कोई आरोप छू भी नही सकता। बिलकुल गंगा माँ की तरह।
                        लेकिन एक बात बीजेपी को समझ नही आ रही। गंगा का पानी भी इतना गन्दा हो चूका है की वो पीने के लायक तो क्या, नहाने के लायक भी नही बचा है। धीरे धीरे लोग बीजेपी के बारे में भी यही मानने लगे हैं। अब गंगा का पानी इतना खराब कैसे हो गया की उसकी सफाई के लिए अलग से कार्यक्रम बनाने की जरूरत पड़ गयी। लेकिन गंगा सफाई के अभियान के बारे में मुरली मनोहर जोशी ने कहा था की इस तरह तो गंगा पचास साल में भी साफ नही हो सकती। अब मुरली मनोहर जोशी यही बात बीजेपी के बारे में कह रहे हैं और आडवाणी और यशवंत सिन्हा उनकी हाँ में हाँ मिला रहे हैं।
                         मैंने मेरे पड़ोसी से इस पर बातचीत करके गंगा के और बीजेपी के प्रदूषित होने के कारण जानने की कोशिश की। उसने कहा की गंगा के गंदे होने का एक कारण उसके ही भक्तों द्वारा उसमे डाले जाने वाले फूल और पूजा सामग्री है। इससे एक तो ये बात भी पता चलती है की ज्यादा भक्ति और पूजा सामग्री भी प्रदूषण का कारण होती है। अब बीजेपी में भी इस तरह की भक्ति बढ़ रही है और उसको प्रदूषित कर रही है। दूसरा बड़ा कारण जो गंगा को प्रदूषित कर रहा है वो है उद्योगों का कचरा बड़ी मात्रा में उसमे गिर रहा है। उसी तरह बीजेपी में उद्योगपतियों का कचरा गिर रहा है। जब तक इसको नही रोका जायेगा तब तक इनकी सफाई नही हो सकती। अपनी बात को जारी रखते हुए मेरे पड़ोसी ने कहा की गंगा में लोग बहुत सी लाश बहा देते हैं। पता नही कितनी लाशें गंगा में तैरती रहती हैं। उसी तरह बीजेपी में भी पता नही कितने सिद्धांतों की लाशें तैर रही हैं।
                        उसके बाद वो राजकपूर की तरह भावुक हो गए और बोले। गंगा पापियों के पाप धोते धोते गंदी हो गयी है। जो पाप लोगों के शरीर से उतरते हैं आखिर वो गंगा के पानी में ही तो जमा होते हैं। उसी तरह बीजेपी ने अपने घोटालेबाजों के जो घोटाले धोये हैं उससे बीजेपी भी गंदी हो गयी है।
                         उनकी आँखे नम हो आई। उन्होंने कहा की गंगा की तरह बीजेपी के लिए भी एक सफाई अभियान की जरूरत है। उसके बाद वो उठकर धीरे धीरे बाहर चले गए।

1 comment:

  1. सटीक व्यंग्य
    आनंद आ गया ! भाई जी शानदार लेखन के लिए साधुबाद

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