Thursday, October 13, 2016

आडम्बर को राष्ट्रिय चरित्र मत बनाइये, सरकार बहादुर !

                    बहुत साल पहले मैं एक किताब पढ़ रहा था। जिसमे अख़बार में छपी एक खबर का जिक्र था। खबर ये थी की पशुओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाली एक संस्था के अध्यक्ष ने अपनी पत्नी की बर्फ तोड़ने का सुआ मार - मारकर हत्या कर दी। तब मुझे आडम्बर की असली परिभाषा पता चली। लेकिन अब तो इस तरह का आडम्बर सामान्य बात हो गयी है। ये एक भयावह स्थिति है। खासकर तब जब राष्ट्र के कर्णधार भी इस बीमारी के शिकार हों।
                    इस तरह का आडम्बर अमेरिका जैसे देश करते रहे हैं। जब वो मानवाधिकारों को अपना पहला मकसद घोषित करते हैं, जब एक पिल्ले को बचाने के लिए दस फुट सड़क खोद देते हैं, एक आदमी को बचाने के लिए कई हैलीकॉप्टर भेजते है, लेकिन इराक पर दवाइयों के प्रतिबन्ध लगाकर दस लाख बच्चों को मरने पर मजबूर कर देते हैं, लीबिया और सीरिया में लाखों बच्चों और नागरिकों को तेल के लिए मौत के घाट उतार देते हैं तो लोग अमेरिकी वक्तव्यों को आडम्बर की श्रेणी में रखते हैं।
                     आपका दशहरे का भाषण सुना। आपने कहा की आतंक को समाप्त किये बिना मानवता की रक्षा नही की जा सकती। एकदम सही बात है और इस पर कोई दूसरी राय नही हो सकती। लेकिन जब गुजरात से लेकर मुजफ्फरनगर और दादरी से लेकर कश्मीर तक आपके लोग यही आतंक फैलाते हैं और उन्हें आपका परोक्ष समर्थन हासिल होता है तो आपका ये वक्तव्य आडम्बर की श्रेणी में आ जाता है। आपके मंत्री जब एक हत्यारे को तिरंगे में लपेट कर उसे शहीद का दर्जा देते हैं तो ये वक्तव्य आडम्बर की श्रेणी में आ जाता है।
                     आप कई बार लोकतंत्र और संघीय ढांचे की बात करते हैं। अपने भाषणों में उनमे आस्था व्यक्त करते हैं। लेकिन जब आपकी सरकार दिल्ली के नागरिकों के अपनी सरकार चुनने तक के अधिकार से इंकार कर देती है तो ये वक्तव्य आडम्बर की श्रेणी में आ जाते हैं। केंद्र की सरकार जो कुछ दिल्ली सरकार के साथ कर रही है, उसके बाद तो आपको संघीय ढांचे की बात करने का कोई हक नही रह जाता। अगर करते हैं तो आडम्बर है।
                     आप कई बार मानवाधिकारों की बात करते हैं लेकिन कश्मीर, झारखण्ड और छत्तीसगढ़ में आपकी सरकार जो तरीके अपना रही है, उसके बाद आपकी ये बात आडम्बर की श्रेणी में आ जाती है।
                      आपने बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की। इसे अपनी सरकार का फ्लैगशिप कार्यक्रम घोषित किया। लेकिन आपने शिक्षा पर किये जाने वाले खर्च में कटौती कर दी। आपने लड़कियों को नोकरी में आरक्षण की मांग को ठंडे बस्ते में डाल दिया और कहीं भी लड़कियों के लिए ना तो मुफ्त शिक्षा का प्रबन्ध किया और ना ही उच्च शिक्षा के लिए दिए जाने वाले कर्ज में उन्हें ब्याज की छूट दी। हालत ये है की पाकिस्तान से आयी हुई एक लड़की को स्कूल में दाखिला दिलवाने के लिए विदेश मंत्री को व्यक्तिगत प्रयास करने पड़े, ऐसी स्थिति में ये अभियान आडम्बर की श्रेणी में आ जाता है।
                       आपने रोजगार के वायदे किये। उसके लिए मेक इन इंडिया जैसी स्कीम चलाने की घोषणा की। लेकिन देश में सबसे ज्यादा लोगों को और जरूरतमंदों को रोजगार देने वाले पहले से चल रहे मनरेगा कार्यक्रम के बजट में कटौती कर दी। हालत ये है की मनरेगा के मजदूरों को अपनी मजदूरी लेने के लिए हफ्तों धरने पर बैठना पड़ता है। ऐसी हालत में रोजगार के सवाल पर आपके सारे भाषण आडम्बर की श्रेणी में आ जाते हैं।
                       आप और आपके लोग लगातार ये रट लगाते रहते हैं की आपकी सरकार आने के बाद देश की इज्जत बहुत बढ़ गयी है और आपके नेतृत्व में देश ने बहुत तेजी से विकास किया है। लेकिन जब भी कोई अंतरराष्ट्रीय संस्था दुनिया के सबसे ज्यादा भूखों, दुनिया में सबसे ज्यादा अनपढो, सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चों, और सबसे ज्यादा कन्या म्रत्यु के आंकड़े प्रकाशित करती है तो आपकी सरकार के नेतृत्व में ये देश सबसे ऊपर आता है। वो देश भी जो सालों से युद्ध जैसी विभीषिका झेल रहे हैं हमारे बाद आते हैं। उसके बाद विकास पर दिए गए सारे भाषण आडम्बर की श्रेणी में आ जाते हैं।
                      इस सवाल का दूसरा सबसे खतरनाक पहलू ये है की आपकी पार्टी ने जिन भक्तों की फ़ौज तैयार की है और वो जब हिस्टिरयाई अंदाज में आपके भाषणों पर नारे लगाते हैं तब लगता है की आडम्बर को आपने राष्ट्रिय चरित्र घोषित कर दिया है।

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