Saturday, October 8, 2016

सेना सेना चिल्लाना बन्द करो, सैनिकों की सुध लो !


                  पूरी बीजेपी,आरएसएस और मोदी सरकार, जिस चीज का नाम लेकर सबसे ज्यादा चिल्लाती है तो वो है सेना। ये सेना क्या होती है ? मेरे ख्याल से तो ये सैनिकों और साजोसामान से मिलकर बनती है। लगातार सेना सेना चिल्लाने वाले ये लोग बताएंगे की सैनिक और साजो सामान, दोनों मोर्चों का क्या हाल है ?
                    जहां तक सैनिकों का सवाल है, तो भूतपूर्व सैनिक वन रैंक- वन पेंशन की मांग को लेकर अब भी जंतर मन्तर पर बैठे हुए हैं। उन्हें साल से ज्यादा हो गया है। उद्योगपतियों का पांच लाख करोड़ माफ़ कर देने वाली सरकार सैनिकों की पेंसन के सवाल पर संशाधनो का रोना रोती है। मैं उन तस्वीरों को भूल नही पा रहा हूँ जब पिछले 15 अगस्त को इनसे जगह खाली करवाने के लिए इन पर लाठीचार्ज किया गया था। खून टपकते सिरों के साथ खदेड़े गए इन बुजुर्ग सैनिकों की तस्वीरें अब भी आँखों के सामने आती हैं। टीवी चैनलों पर सर्जिकल स्ट्राइक पर तूफान उठाने वाले कुछ भूतपूर्व जनरल और सत्ताधारी पार्टी के नेता इस सवाल पर मुंह में दही जमा लेते हैं।
                     दूसरा उदाहरण लापता हुए AN -32 विमान का है। 29 सैनिकों के साथ लापता हुए इस विमान को ढूंढने के लिए वायुसेना और नोसेना के कितने जहाज काम पर लगाए गए थे ? ये विमान अब तक नही मिला। सरकार ने प्रक्टिकल काम जो इनके लिए किया वो इनको मृत घोषित कर देने भर का था। अगर इसको ढूढना आपके बस का नही था तो उनसे सहायता मांग लेते जिनको सारे सैनिक अड्डे इस्तेमाल करने की ताजा ताजा इजाजत दी है। मलेशिया जैसे छोटे से देश द्वारा अपने लापता विमान को ढूढने के लिए किये गए प्रयास भी आपको कोई रास्ता नही दिखा सके ?
                     तीसरा उदाहरण बिसाहड़ा का है। जहां एक सैनिक के पिता की हत्या करने वाले हत्यारे का शव आपने तिरंगे में लपेट दिया। आपके संस्कृति मंत्री, जो उरी हमले के एक भी शहीद सैनिक के घर श्रधांजलि देने नही गए, वो इस हत्यारे को श्रधांजली देने उसके घर गए, उसके लिए मुआवजे का इंतजाम करवाया और तिरंगा लपेट कर उसे उसी श्रेणी में खड़ा कर आये जिसमें  दुश्मनो से लड़कर शहीद होने वाला सैनिक होता है। क्या आप ये कहना चाहते हैं की हम सैनिकों का सम्मान करते हैं बशर्ते की वो मुसलमान ना हो।
                    अगला उदाहरण उन सैनिकों का है जो छत्तीसगढ़ और दूसरी जगहों पर न्यूनतम सुविधाओं के अभाव में अकाल मौत मर गए। क्या आप बता सकते हैं की पिछले तीन साल में, इस तरह अकाल मौत मरने वाले सैनिकों की संख्या कितनी है और सीमा पर लड़ कर मरने वाले सैनिकों की संख्या कितनी है ?  और इन सैनिकों के परिवारों को आपने क्या सुविधाएँ दी। इस सवाल का जवाब देने में कई मुखोटे उतर सकते हैं।
                    अब साजोसामान के सवाल पर आते हैं। आप एक तरफ कहते हैं की पिछली सरकारों ने कुछ नही किया और दूसरी तरफ कहते हैं की सेना युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार है। इस तैयारी के लिए जो सामान चाहिए उसकी क्या हालत है। ऐसी खबरें आ रही हैं की सेना के पास ज्यादातर सामान 1971 के युद्ध के दौरान का खरीदा  हुआ है। सेना हररोज सामान और हथियारों की कमी का मुद्दा उठाती रही है। सुना है इस सरकार ने सेना के लिए खरीदे जाने वाले हथियारों की खरीद में दलाली को क़ानूनी बना दिया है। ऐसी क्या हालत थी की बिना दलालों के हथियारों की खरीद नही हो सकती। एक राफेल विमान की जो खरीद आपने की है उसके बारे में मीडिया में इस तरह की खबरें हैं की 700 करोड़ का विमान 1600 करोड़ में खरीद गया है और वो भी तब जब राफेल बनाने वाली कम्पनी ने अम्बानी को अपना हिस्सेदार बना लिया है। इन खबरों में अतिशयोक्ति हो सकती है लेकिन कुछ तो सच्चाई भी होगी।
                    इसलिए युद्ध का उन्माद भड़काने से पहले उन चीजों की सम्भाल कीजिये जिनसे मिलकर सेना बनती है।

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