Tuesday, October 18, 2016

व्यंग -- चीनी सामान का बायकाट और हमारे शहर की मीटिंग।


                    पुरे देश में चीनी सामान और पाकिस्तानी कलाकारों के बायकाट की मुहीम चल रही है। कई दिन से हमारे शहर के निवासियों को भी लगता था की जैसे वो देशभक्त नही हैं। इसलिए कल हमारे शहर के निवासियों ने भी मीटिंग करके चीनी सामान के बॉयकाट की घोषणा कर दी। हम पाकिस्तान के कलाकारों का भी विरोध करना चाहते थे लेकिन उसपर एकराय नही बन पाई सो उसके लिए दुबारा मीटिंग करने का फैसला लिया गया। इस मीटिंग का ब्यौरा इस प्रकार है -
                    सबसे पहले शहर के एक गणमान्य नेता ने, जो सरकारी पार्टी के एक संगठन से जुड़े हैं, एक बहुत ही प्रभावशाली और प्रेरक भाषण दिया। जिसमे इस बॉयकाट की जरूरत पर जोर दिया और उसके कारणों की जानकारी दी। उन्होंने कहा, " भाइयो, हम आज पाकिस्तान के कलाकारों और चीनी सामान के बॉयकाट के लिए ये मीटिंग कर रहे हैं। मुझे इसमें भाग लेने का अवसर मिला है तो उसके लिए मैं इस सरकार का आभारी हूँ।  क्योंकि आजादी की लड़ाई में जब पूरा देश अंग्रेजी सामान की होली जला रहा था तब हम उसके विरोध में थे। इसका कारण ये था की हम अंग्रेजो को अपना माई बाप मानते थे और उनके खिलाफ आंदोलन  को देशद्रोह। आजादी के बाद हमे महसूस हुआ की हमे भी किसी ना किसी चीज का विरोध और बॉयकाट करना चाहिए। लेकिन हमे मौका ही नही मिला।
                           जब पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाइयां हुई तो अमेरिका उसके साथ खड़ा था। उस समय भी लोगों ने अमेरिका के सामान का बॉयकाट करने के लिए कहा था, लेकिन आजादी के बाद हम ने बाप बदलकर इंग्लॅण्ड की जगह अमेरिका कर लिया था सो हम उसका बॉयकाट नही कर सकते थे। इसलिए वो मौका हमारे हाथ से निकल गया।
                            उसके बाद जब भोपाल गैस दुर्घटना हुई तो बहुत से लोगों ने यूनियन कार्बाइड के सामानों के बॉयकाट की बात की। लेकिन वो कम्पनी भी अमेरिका की ही थी सो हम मन मार कर रह गए और उस बॉयकाट में शामिल नही हो सके। इसलिए मेरा आपसे निवेदन है की इस बॉयकाट को कामयाब किया जाये ताकि हमारा नाम भी बॉयकाट करने वालों की लिस्ट में शामिल हो जाये। जय भारत। "
                        उसके बाद एक आदमी ने प्रश्न किया की क्या पाकिस्तानी कलाकारों के गाये हुए पुराने गानो को भी डिलीट किया जाये जैसे गुलाम अली वगैरा। या फिर नए गाने डाऊनलोड करने पर ही पाबन्दी है ?
                          इस  पर किसी ने कहा की केवल नए गानो पर ही प्रतिबन्ध है। तो उसने पूछा फिर उन फिल्मो का बॉयकाट क्यों कर रहे हो जो बन चुकी हैं ?
                          इस पर एक दूसरे आदमी ने कहा की पाकिस्तानी मतलब पाकिस्तानी। नया हो या पुराना, सब पर पाबन्दी है। हम कोई पुराना गाना भी नही सुनेगे।
                           एक बुजुर्ग ने पूछा की इक़बाल के लिखे उस गीत का क्या करें, " सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा। " क्योंकि बाद में इक़बाल भी पाकिस्तानी हो गए थे। और क्या फैज अहमद फैज जैसे लेखकों को पाकिस्तानी माना जाये या नही। और आजादी से पहले बनी फिल्मो के गीतों का क्या करें जिनके गायक बंटवारे में पाकिस्तान चले गए थे ?
                         इस पर काफी हो हल्ला हुआ। बाद में ये तय हुआ की इस मामले पर दुबारा से मीटिंग बुलाई जाएगी। इसलिए आज केवल चीनी सामान पर ध्यान दिया जाये।
                         चीनी सामान पर जब विचार हुआ तो ये बात आयी की जो सामान अब तक खरीदा जा चूका है उसका इस्तेमाल किया जाये या नही। मीटिंग में ऐसे बहुत लोग थे जिनके कारखानों में चीनी मशीने लगी हुई थी। और बहुत से लोगों के पास चीनी मोबाइल फोन थे और उनके घरों में चीनी सामान बड़ी तादाद  में था। सो इस सवाल पर मीटिंग में दो राय हो गयी। मामला बिदकने लगा तो अध्यक्ष ने कहा की पहले खरीदी हुई चीजों को बायकाट से  बाहर रखा जाये।
                          अगला सवाल ये आया की सरकार जो सामान चीन से खरीद रही है उसका क्या किया जाये ? जैसे सरदार पटेल की जो मूर्ति चीन से बनकर आएगी, उसे लगाने दिया जाये या नही ? जो मेट्रो रेल के समझौते चीन के साथ हुए हैं उनमे बैठा जाये या नही ? इस तरह के बहुत से सवाल खड़े हो गए।
                        बाद  में ये फैसला हुआ की बॉयकाट हो या न हो लेकिन बयान दे दिया जाये की हमारा शहर भी चीनी सामान का बॉयकाट करेगा। जिन लोगों के लड़के खाली हैं वो जलूस निकाल कर थोड़ा बहुत चीनी सामान को जला दें और किसी छोटे दुकानदार या रेहड़ी पटरी वाले के पास चीनी सामान दिखाई दे तो उसे तोड़ दिया जाये ताकि अख़बार में फोटो भी आ सके और सम्मानित नागरिकों का नुकशान भी ना हो।
                          इस तरह चीनी सामान के बॉयकाट की ये सफल मीटिंग समाप्त हुई।

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