Thursday, October 13, 2016

भारतीय सेना के बहादुरी पूर्ण अभियान, तुम्हे याद हो के ना याद हो।

                       आज जब खुद सरकार की तरफ से ये कहा जा रहा है की इस सर्जिकल स्ट्राइक से पहले भारतीय सेना ने कुछ नही किया, तो मैं उन्हें कुछ ऐसे बहादुरीपूर्ण सैनिक अभियानों की याद दिलाना चाहता हूँ जो इतिहास में अपना अमिट स्थान रखते हैं। इन अभियानों के बारे में बात करते वक्त मैं उन बड़ी लड़ाइयों का जिक्र नही करूँगा जिन्हें दुनिया अब तक नही भूली है जैसे -

१. 1948 का भारत पाक युद्ध ( कश्मीर के लिए )
२. 1962 का भारत चीन युद्ध
३. 1965 का भारत पाक युद्ध
४. 1971 का भारत पाक युद्ध
५. 1999 का कारगिल युद्ध

                     मैं इनके अलावा उन बहादुरी पूर्ण अभियानों की बात करूँगा जो किसी भी देश और सेना के लिए बहुत महत्व रखते हैं।

ऑपरेशन मेघदूत -
                               1984 में सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जे के लिए हुए इस अभियान को पूरी दुनिया ने किसी सेना द्वारा की गयी सबसे साहसिक कार्यवाहियों में से एक माना था। दुनिया के सबसे ऊँचे युद्ध स्थल पर हुए भारत और पाकिस्तान संघर्ष में लगभग 2000 लोग वहां युद्ध के साथ साथ खराब मौसम, चिकित्सा सुविधाओं के अभाव और न्यूनतम तापमान के कारण मारे गए थे। लेकिन टाइम पत्रिका के अनुसार इस युद्ध में भारतीय सेना ने सियाचिन की ३००० वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया।

ऑपरेशन राजीव -
                               1987 में सियाचिन में ही हुए भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष में सियाचिन की सबसे ऊँची चोटी पर कब्जे के लिए हुआ था। इस चोटी पर पाकिस्तानी सेना ने एक चौकी स्थापित कर ली थी जो रणनीतिक महत्त्व से भारत के लिए बहुत नुकशानदायक थी। तब मेजर वरिंदर सिंह के नेतृत्व में भारतीय सेना ने इस पर कब्जे के लिए कई कोशिशें की। आखिर तीसरी कोशिश में भारतीय सेना इस पर कब्जा करने में कामयाब हो गयी। इस चोटी का नाम बहादुर बना सिह के नाम पर (बना टॉप ) रखा गया जिन्हें उनकी बहादुरी के लिए भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा गया। इस अभियान का नाम सेकण्ड लेफ्टिनेंट राजीव पाण्डे के नाम पर रखा गया जो इस अभियान में शहीद हो गए। इसी अभियान में 1200 फुट की खड़ी दिवार जैसी चढ़ाई और सियाचिन ग्लेशियर के मुहाने की 3 किलोमीटर की जगह भी शामिल है जिसके लिए बहादुरी पूर्ण कारनामे के लिए सूबेदार संसार चंद को सम्मान के साथ याद किया जाता है।

ऑपरेशन कैक्टस -
                              1988 में जब मालदीव के प्रधानमंत्री अब्दुल गयूम का तख्ता पलटने की कोशिश की गयी। इस तख्तापलट में कुछ मालदीवी और श्रीलंकाई तमिल संगठन के कुछ लोग शामिल थे। मालदीव सरकार की सहायता की अपील के केवल 9 घण्टे के अंदर भारतीय वायुसेना के पैरा टूपर्स ने आगरा एयर फ़ोर्से स्टेशन से बिना रुके 2000 किलोमीटर की दुरी तय करके इस तख्ता पलट को नाकाम कर दिया था। वायुसेना के इस अभियान के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति रीगन और ब्रिटीश प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर ने भी भारी प्रशंसा की थी।

                             ये भारतीय सेना द्वारा अंजाम दिए गए कुछ अभियानों का नमूना है और उन लोगों की यादाश्त दुरुस्त करने की कोशिश है जो राजनैतिक कारणों से जानबूझकर इन्हें भूल चुके हैं।


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