जब से सर्जिकल स्ट्राइक की खबरें आयी हैं, सारे भक्त राष्ट्रवाद की
शराब पी कर उन्माद की अवस्था में पहुंच गए हैं। कोई शरीफ आदमी अगर इनको थोड़ा
शांत रहने को कह देता है तो इन्हें उसमे नवाज शरीफ नजर आने लगता है। अपने
कामकाज को लेकर निचले दर्जे पर पहुंच चुकी विश्वसनीयता को बहाल करने के लिए
इस सरकार के पास इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता नही बचा था। सरकार ने
सर्जिकल स्ट्राइक के ढोल पीटे और उन राज्यों में प्रधानमंत्री और
रक्षामंत्री के सम्मान समारोह रख दिए, जिनमे निकट भविष्य में चुनाव हैं।
अगर बीजेपी और सरकार के सारे बयानों और पोस्टरों को देखें तो ऐसा लगता है
की सर्जिकल स्ट्राइक को सेना ने नही बल्कि बीजेपी कार्यकर्ताओं ने अंजाम
दिया था।
इस सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तान ने इंकार किया तो ये उसकी मजबूरी हो सकती है, लेकिन UNO के इंकार के मायने हैं। इसलिए लोगों ने सबूत पेश करने की मांग की। उन सबको भक्तों ने गद्दार घोषित कर दिया। सोशल मीडिया पर गालियां दी जाने लगी और सेना का मनोबल गिराने के इल्जाम लगाए जाने लगे।
लेकिन असल में इन भक्तों और राष्ट्रवादियों को सैनिकों से कोई लेना देना नही है। एक तो उनके परिवार से शायद ही कोई सेना में हो, दूसरा उन्हें केवल मरे हुए सैनिक चाहियें ताकि उनके रोते हुए बच्चों और बिलखते माँ बाप की तस्वीरें दिखा कर देश में उन्माद पैदा किया जा सके। उनके टीवी चैंनल लगातार उन्हें दिखा कर खुद को देशभक्त भी साबित कर सकें,TRP भी बढ़ा सकें और उन्माद भी पैदा कर सकें।
वरना एक साल से ज्यादा समय से जंतर मन्तर पर धरने पर बैठे भूतपूर्व सैनिक इनको दिखाई नही दिए। सारी उम्र देश की सेवा करके रिटायर हुए इन सैनिकों को वन रैंक-वन पेंशन कभी का दे दिया गया होता । इन पर कोई भक्त, कोई राष्ट्रवादी नही बोलता। दो महीने से ज्यादा हो गए जब हमारा एक विमान 29 सैनिकों के साथ लापता हो गया था, उसके लिए सरकार और भक्तों की आँख में एक आँसू नही दिखा। जो लोग आज पाकिस्तानियों को निकालने की धमकी दे रहे हैं ये वही लोग हैं जो कल बिहारियों और उत्तर भारतीयों को निकालने की धमकी देते थे। उससे पहले गुजरातियों और तमिलों को निकालने की धमकी देते थे। इनका राष्ट्रवाद अपने घर से आगे नही जाता। इनके लिए सब मोहरे हैं। एक बयान ने सलमान खान की क्या हालत कर दी। सारी जिन्दगी की मोदी भक्ति एक झटके में गद्दारी में बदल गयी।
और इस उन्माद की आड़ लेकर सरकार ने क्या क्या नही किया। झारखण्ड से छत्तीसगढ़ तक गरीब आदिवासियों और किसानों को गोलियों से भून दिया ताकि उनकी जमीन पर कब्जा किया जा सके।
इस तरह का उन्मादी राष्ट्रवाद जनविरोधी होता है। वह अमरबेल की तरह जनता के लहू पर पनपता है और उसे ही नष्ट करता है। इस राष्ट्रवाद को उन्माद भड़काने वाली तस्वीरें चाहियें और वो तस्वीरें अगर लाशों की हों तो और अच्छा।
इस सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तान ने इंकार किया तो ये उसकी मजबूरी हो सकती है, लेकिन UNO के इंकार के मायने हैं। इसलिए लोगों ने सबूत पेश करने की मांग की। उन सबको भक्तों ने गद्दार घोषित कर दिया। सोशल मीडिया पर गालियां दी जाने लगी और सेना का मनोबल गिराने के इल्जाम लगाए जाने लगे।
लेकिन असल में इन भक्तों और राष्ट्रवादियों को सैनिकों से कोई लेना देना नही है। एक तो उनके परिवार से शायद ही कोई सेना में हो, दूसरा उन्हें केवल मरे हुए सैनिक चाहियें ताकि उनके रोते हुए बच्चों और बिलखते माँ बाप की तस्वीरें दिखा कर देश में उन्माद पैदा किया जा सके। उनके टीवी चैंनल लगातार उन्हें दिखा कर खुद को देशभक्त भी साबित कर सकें,TRP भी बढ़ा सकें और उन्माद भी पैदा कर सकें।
वरना एक साल से ज्यादा समय से जंतर मन्तर पर धरने पर बैठे भूतपूर्व सैनिक इनको दिखाई नही दिए। सारी उम्र देश की सेवा करके रिटायर हुए इन सैनिकों को वन रैंक-वन पेंशन कभी का दे दिया गया होता । इन पर कोई भक्त, कोई राष्ट्रवादी नही बोलता। दो महीने से ज्यादा हो गए जब हमारा एक विमान 29 सैनिकों के साथ लापता हो गया था, उसके लिए सरकार और भक्तों की आँख में एक आँसू नही दिखा। जो लोग आज पाकिस्तानियों को निकालने की धमकी दे रहे हैं ये वही लोग हैं जो कल बिहारियों और उत्तर भारतीयों को निकालने की धमकी देते थे। उससे पहले गुजरातियों और तमिलों को निकालने की धमकी देते थे। इनका राष्ट्रवाद अपने घर से आगे नही जाता। इनके लिए सब मोहरे हैं। एक बयान ने सलमान खान की क्या हालत कर दी। सारी जिन्दगी की मोदी भक्ति एक झटके में गद्दारी में बदल गयी।
और इस उन्माद की आड़ लेकर सरकार ने क्या क्या नही किया। झारखण्ड से छत्तीसगढ़ तक गरीब आदिवासियों और किसानों को गोलियों से भून दिया ताकि उनकी जमीन पर कब्जा किया जा सके।
इस तरह का उन्मादी राष्ट्रवाद जनविरोधी होता है। वह अमरबेल की तरह जनता के लहू पर पनपता है और उसे ही नष्ट करता है। इस राष्ट्रवाद को उन्माद भड़काने वाली तस्वीरें चाहियें और वो तस्वीरें अगर लाशों की हों तो और अच्छा।
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