जब से क्रिकेट में सट्टे बाजी को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा कमेटी का गठन किया है, तब से पुरे देश की आँखें फ़टी रह गयी हैं। रोज रोज जो नए नए रहस्योद्घाटन हो रहे हैं उनसे BCCI के रुतबे, उसके पदाधिकारियों की राजनीती से ऊपर उठ कर मिलीभगत और सत्ता के दुरूपयोग के जो किस्से बाहर आ रहे हैं वो किसी परीलोक से कम नही हैं। हजारों करोड़ की सट्टेबाजी, खिलाडियों की खरीद फरोख्त, खेल के नाम पर किये जाने वाले कुकर्म, और करोड़ों के वारे न्यारे करने की तरकीबें देख कर लोग अचंभित हैं। जो राजनैतिक दल किसी भी मामले पर एकमत नही होते, जो एक दूसरे के खिलाफ खोद खोद कर व्यक्तिक आरोप ढूढंते हैं, वो लोग कैसे BCCI में जाते ही पक्के रिस्तेदार हो जाते हैं।
खैर, हम ठाकुर की बात कर रहे थे। अनुराग ठाकुर हिमाचल प्रदेश के बीजेपी के नेता हैं। हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री श्री प्रेम कुमार धूमल के सुपुत्र हैं और बीजेपी की युवा शाखा के राष्ट्रिय अध्यक्ष रह चुके हैं। वर्तमान में हिमाचल से ही बीजेपी के लोकसभा के सांसद हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जब राजनीतिकों और सरकारी अफसरों पर BCCI का पदाधिकारी बनने पर रोक लगाई तो अनुराग ठाकुर पर भी तलवार लटकने लगी। उसके बाद कहा गया की अनुराग ठाकुर खिलाडी कोटे से आये हैं। जब इसकी पूरी तफ्सील में जाया गया तो ये बात सामने आयी। -
जब श्रीमान धूमल जी हिमाचल के मुख्यमंत्री थे तो अनुराग ठाकुर को क्रिकेट की संस्थान में शामिल करने के लिए बहुत ही भारी तिकड़म की गयी। चूँकि क्रिकेट की सलेक्शन कमेटी में शामिल होने के लिए किसी भी राष्ट्रिय स्तर की प्रतियोगिता में खेला हुआ खिलाडी होने की शर्त है, इसलिए एक दिन अचानक अनुराग ठाकुर को रणजी ट्रॉफी की हिमाचल की टीम का कप्तान बना दिया गया। उसका जम्मू-कश्मीर के खिलाफ मैच हुआ तो जनाब ठाकुर जीरो पर आउट हो गए। वो सात मिनट क्रीज पर रहे। और उन्हें राष्ट्रिय स्तर पर क्रिकेट खेलने का सर्टिफिकेट मिल गया। उससे पहले अनुराग ठाकुर किसी जिला स्तर की टीम में भी नही रहे। उसके पहले या बाद में उन्होंने कोई मैच नही खेला। इस तरह उनका हिमाचल क्रिकेट एसोसिएसन की सिलेक्शन कमेटी शामिल होने और उसके बाद BCCI पदाधिकारी बनने का रास्ता साफ हो गया। इसके लिए कई बार नियमो को बदला गया। बाद में उनको हिमाचल में क्रिकेट अकेडमी बनाने के नाम पर करोड़ों की जमीन फ्री में दे दी गयी।
इसके बारे में पूरी कहानी नेट पर उपलब्ध है। http://www.dnaindia.com/sport/report-the-curious-case-of-anurag-thakur-the-cricketer-2185336
उसके बाद से अनुराग ठाकुर बखूबी BCCI को सम्भाल रहे हैं। कांग्रेस और एनसीपी समेत कई पार्टियों के नेता उनके सहयोगी हैं। किसी भी राजनितिक पार्टी ने उनके खिलाफ कोई प्रभावी जाँच की माँग नही की। संसद में अनुराग ठाकुर राबर्ट वाड्रा के खिलाफ जहर उगलते हैं, कांग्रेस और बीजेपी के सांसद दूसरे को कोसते हैं , लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट अनुराग ठाकुर सवाल उठाता है तो वकील के रूप में कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल उनका बचाव करते हैं। अब कुछ लोग इसे वकील के पेशे से जुडी जिम्मेदारी और दोनों चीजों को अलग करने की बात करेंगे, परन्तु जब नलिनी चिदम्बरम का मामला होता है तो ये बात नही होती और एथिक्स की बात की जाती है। सबको मालूम है की ये तुम भी खाओ, हमे भी खाने दो का मामला है। पहले भी एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल की बेटी को कान्ट्रेक्ट का मामला सामने आया था। इसलिए BCCI सत्ता के दुरूपयोग और राजनैतिक मिलीभगत का संस्थान बन गया है और अनुराग ठाकुर उसके सही प्रतीक हैं।
इसके साथ ये बात भी ध्यान रखने की है की वो बीजेपी के नेता है जो भृष्टाचार के नाम पर दूसरों को पानी पी पी कर कोसती है।
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