Thursday, October 27, 2016

व्यंग -- " हमारी बहनो " की रक्षा में


              जब से प्रधानमंत्री मोदी जी ने " हमारी बहनो " की तीन तलाक जैसे अन्यायी और अत्याचारी नियम से रक्षा करने की बात कही है , हमारे मुहल्ले के वो सभी लोग एक बार फिर से सक्रिय हो गए हैं जो पिछले दंगो के समय सक्रिय थे। लेकिन अबकी बार उनकी सक्रीयता जरा दूसरी तरह की है। पिछली बार वो भारतीय सँस्कृति और हिन्दू राष्ट्र की रक्षा कर रहे थे और इस बार वो मुस्लिम महिलाओं की रक्षा कर रहे हैं। अलबत्ता दुश्मन पहले भी मुस्लिम पुरुष थे और इस बार भी मुश्लिम पुरुष हैं। पिछली बार दुश्मनो की लिस्ट में पुरुषों के साथ महिलाएं और बच्चे ( जो अभी पैदा नही हुए थे वो भी ) भी शामिल थे , इस बार पुरुष हैं। इसके लिए एक मीटिंग का आयोजन किया गया था। मेरे  पड़ोसी भी उस मीटिंग में जाने वाले थे क्योंकि वो भी इस राष्ट्र बचाओ समूह के सक्रिय सदश्य थे। मेरे बारे में वो जानते थे इसलिए इस बार वो मुझे साथ चलने के लिए मजबूर कर रहे थे क्योंकि उनके हिसाब से वो बहुत ही प्रगतिशील काम कर रहे थे, और मुझे दिखाना चाहते थे। मैं चूँकि हरबार उनके कार्यक्रमो की आलोचना ही करता था। सो वो मुझे भी घसीट ले गए।
                  हाल पूरा भरा हुआ था। मुख्य वक्ता बोलने के लिए खड़े हुए। उन्होंने महिलाओं की समानता की जरूरत, संविधान में इसका जिक्र और मुस्लिम महिलाओं की खराब स्थिति पर पूरा प्रकाश डाला। जब भी उनके भाषण में कोई तेजस्वी बात आती तो मेरे पड़ोसी जोर जोर से ताली पीटते और गर्व से मेरी तरफ देखते। मैं भी स्वीकार में सिर हिलाता और उनके अभिमान की छड़ी एक इंच लम्बी हो जाती। करीब दो घण्टे बाद कार्यक्रम समाप्त हुआ। बाहर निकलते ही उन्होंने मुझसे पूछा, कैसा लगा ? ठीक था, मैंने कहा।
                 पैदल चलकर हम करीब आधे घण्टे में वापिस घर पहुंचे। देखा तो उनकी छोटी बहन आयी हुई थी और घर में माहौल थोड़ा खिंचा खिंचा सा था। मैं भी उसके साथ ही चला गया।
                  क्या बात है ? और तुम कब आयी सविता ? सब ठीक ठाक तो है न ? उसने चिंता से तुरन्त कई सवाल किये।
                   " ठीक क्या है ? इसके ससुराल वालों ने बहुत ही गिरी हुई हरकत की है। " जवाब पड़ोसी  की पत्नी ने दिया।
                  " हुआ क्या ? " पड़ोसी ने पूछा।
      उन्होंने जो बताया वो इस प्रकार था।
                मेरे पड़ोसी की बहन सविता की शादी करीब चार साल पहले हुई थी। शादी के एक साल बाद उसको एक लड़की पैदा हुई। उसके बाद तीन साल के बाद सविता फिर से माँ बनने वाली है। तो उसकी सास और पति उसको डॉक्टर से चैक करवाने के बहाने हॉस्पिटल लेकर गए। वहां उन्होंने पहले से सैटिंग की हुई थी। डॉक्टर ने उसकी सोनोग्राफी करके घरवालों को बताया की अब भी लड़की ही है। बस  उसके पति और सास ने तुरन्त गर्भ गिराने के लिए डॉक्टर को कह दिया। जब सविता को इस बात का पता चला तो उसने विरोध किया। वो किसी भी हालत में गर्भ गिराने को तैयार नही थी। झगड़ा हुआ। सब लोग वापिस आ गए। उसके बाद घर में भारी झगड़ा हुआ।  ससुराल वालों ने साफ कह दिया की यहां रहना है तो गर्भ तो गिराना हो पड़ेगा। पहले एक लड़की है और वो दूसरी लड़की पैदा करना नही चाहते। उसके बाद उन्हें लड़के के लिए तीसरी सन्तान का इंतजार करना पड़ेगा जो इस महंगाई के जमाने में कोई समझदारी भरा फैसला नही है। सविता ने भी कह दिया की कुछ भी हो जाये वो गर्भ तो नही गिराएगी। और वो मायके चली आयी।
                 मेरे पड़ोसी का चेहरा बिगड़ गया। उसने सविता को डांटते हुए कहा की इसमें घर छोड़ कर आने की क्या बात थी। और बच्चा उनका है, वो चाहे रखें या गिराएं। तुम्हे इसमें अपनी मर्जी घुसेड़ने की क्या जरूरत थी। और तुम्हारी ससुराल वाले कोई लड़कियों के दुश्मन नही हैं। पहले भी तो तुम्हारे लड़की ही हुई थी, तो क्या किसी ने कुछ कहा ? अब जमाने को देखकर थोड़ा बहुत तो उसके साथ चलना ही पड़ता है। इस बात पर हंगामा करना मुझे तो बिलकुल समझ में नही आया।
                    लेकिन मैं अपनी बच्ची की हत्या नही कर सकती। सविता रोने को हो गयी।
                     अपनी बच्ची का क्या मतलब है। जो अब तक पैदा भी नही हुई उसके लिए तू अपने परिवार से झगड़ा कर रही है। तेरी अक्ल घास चरने गयी है। अब फालतू की बातें बन्द कर और चल मेरे साथ। मैं तुझे छोड़कर आता हूँ।
                   मैंने "बीच में बोलने की कोशिश की। " अभी तुम मुस्लिम महिलाओं के लिए ----------- "
                  उसने मेरी बात बीच में ही काटते हुए कहा ," हाँ, तुम्हे मालूम है की दूसरी महिलाएं कैसी कैसी तकलीफ में रहती हैं। अभी हम लोग आये हैं। मुस्लिम महिलाएं बेचारी , उन्हें तो टेलीफोन पर तीन बार तलाक कह दिया जाता है और वो बेचारी अदालत तक नही जा सकती। तुम्हे तो स्वर्ग जैसी ससुराल मिली है और तुम वहां झगड़ा करती हो। थोड़ा समझो, अब तुम बच्ची नही हो। "

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