लोगों ने कहा खोदा पहाड़ और निकली चुहिया। तो मोदीजी ने तुरन्त कह दिया की मुझे तो चुहिया ही पकड़नी थी। क्यों पकड़नी थी चुहिया ? क्योंकि ये चुहिया ही थी जो देश की अर्थव्यवस्था को कुतर कुतर कर खा रही थी। ये कहा मोदीजी ने।
लेकिन मोदीजी हमने तो पहले ही बता दिया था की आप चुहिया ही पकड़ने निकले हैं। आपके हाथ में ३"x ६" का पिंजरा था। उसमे तो बड़े साइज का चूहा भी नही आ सकता। वो अलग बात है की आप मगरमच्छ पकड़ने के दावे कर रहे थे। और हमेशा की तरह आप इतनी ऊँची आवाज में और एक ही बात को इतनी बार बोलते हैं की लोगों का ध्यान आपके हाथ में पकड़े पिंजरे की तरफ गया ही नही। आपने पहले दिन दावा किया की बड़े बड़े मगरमच्छों के यहां जो नोटों का ढेर लगा हुआ है वो कागज के टूकड़ों में बदल जायेगा। लेकिन जैसे जैसे दिन बीतते गए ये साफ हो गया की कोई भी नोट कागज के टुकड़े में नही बदलेगा। उसके बाद आप बातें बदलने लगे। और अंत में चुहिया पर आ गए।
लेकिन आपकी नियत कभी भी मगरमच्छ पकड़ने की थी ही नही। आपने जनधन खातों पर पाबन्दी लगाई और बदनाम किया। जबकि उनमे केवल 26000 करोड़ रूपये जमा हुए थे जो 15 लाख करोड़ के सामने चुहिया जितनी ही रकम थी। आपने किसानों और मजदूरों का दानापानी बन्द कर दिया जो इस मामले में चूहे की ही हैसियत रखते हैं। आपने बड़े मगरमच्छों और कालेधन के कुबेरों के सामने बयान देने के अलावा कुछ नही किया। उल्टा आपने चुहिया मारकर बागड़ बिल्लों को परोसने का पूरा इंतजाम कर दिया। लोगों की मेहनत की एक एक पाई बैंको में जमा करवा कर कॉरपोरेट को सस्ता कर्ज देने का रास्ता बना दिया।
जो लोग आपको पहले से जानते हैं वो चिल्ला चिल्ला कर कह रहे थे की ये आदमी कभी भी चुहिया पकड़ने से आगे नही जायेगा। लेकिन लोग थे की मान ही नही रहे थे। आपने कष्ट सहने के लिए धन्यवाद तो दे दिया लेकिन ये नही बताया की ये कष्ट कितने दिन और चलेगा। कम से कम नोट शहीदों का एक स्मारक ही बनवा देते। सुना है आपकी सरकार ने टोल नाको पर हुए नुकशान की भरपाई करने के लिए कम्पनियों को करीब 900 करोड़ रूपये देने का फैसला किया है। लेकिन जो मजदूर काम बन्द होने के कारण रेल भर भर कर गांव वापिस आ गए उनको भी कुछ दे देते। जो चाय के बागानों और जंगल में मर गए उनके लिए भी कुछ करते। लेकिन उन चूहों को केवल धन्यवाद और बागड़ बिल्लों को मलाई।
ये ठीक है मोदीजी की आपने मान लिया की आप केवल चुहिया ही पकड़ना चाहते थे। क्योंकि आपके ये प्यारे बिल्ले अब इतने कमजोर हो चुके हैं की वो अब दौड़ भाग करके चूहे पकड़ने की पोजीशन में नही हैं। सो अब इनको चूहे पकड़कर देने पड़ेंगे। क्योंकि ये तो मुंहलगे खास बिल्ले हैं। लेकिन लोगों का कहना है की इनकी कमजोरी ज्यादा खाने की वजह से हुई अपच के कारण है। इनके लिए अच्छा होता की अगर आप इनको कुछ दिन हल्का खाना खिलाते। कई बार ज्यादा लाड़ प्यार नुकशान का कारण भी बन सकता है। कोई मुझे बता रहा था की अब इनको चुहिया का सूप पिलाया जायेगा इसलिए आप चुहिया पकड़ने निकले थे।
बस एक सवाल पूछना है। कृपया ये बता दीजिये की वो कौन थे जो देश का पब्लिक सैक्टर खा गए, बैंक खा गए, सड़कें और पुल खा गए, खदान खा गए, किसानों की जमीन खा गए और,
वो भी
जो भाईचारा खा गए, शान्ति और संस्कृति खा गए, गंगा जमनी तहजीब खा गए, सुरक्षा का अहसास खा गए , कम से कम चुहिया के बस की बात तो ये है नही।
लेकिन मोदीजी हमने तो पहले ही बता दिया था की आप चुहिया ही पकड़ने निकले हैं। आपके हाथ में ३"x ६" का पिंजरा था। उसमे तो बड़े साइज का चूहा भी नही आ सकता। वो अलग बात है की आप मगरमच्छ पकड़ने के दावे कर रहे थे। और हमेशा की तरह आप इतनी ऊँची आवाज में और एक ही बात को इतनी बार बोलते हैं की लोगों का ध्यान आपके हाथ में पकड़े पिंजरे की तरफ गया ही नही। आपने पहले दिन दावा किया की बड़े बड़े मगरमच्छों के यहां जो नोटों का ढेर लगा हुआ है वो कागज के टूकड़ों में बदल जायेगा। लेकिन जैसे जैसे दिन बीतते गए ये साफ हो गया की कोई भी नोट कागज के टुकड़े में नही बदलेगा। उसके बाद आप बातें बदलने लगे। और अंत में चुहिया पर आ गए।
लेकिन आपकी नियत कभी भी मगरमच्छ पकड़ने की थी ही नही। आपने जनधन खातों पर पाबन्दी लगाई और बदनाम किया। जबकि उनमे केवल 26000 करोड़ रूपये जमा हुए थे जो 15 लाख करोड़ के सामने चुहिया जितनी ही रकम थी। आपने किसानों और मजदूरों का दानापानी बन्द कर दिया जो इस मामले में चूहे की ही हैसियत रखते हैं। आपने बड़े मगरमच्छों और कालेधन के कुबेरों के सामने बयान देने के अलावा कुछ नही किया। उल्टा आपने चुहिया मारकर बागड़ बिल्लों को परोसने का पूरा इंतजाम कर दिया। लोगों की मेहनत की एक एक पाई बैंको में जमा करवा कर कॉरपोरेट को सस्ता कर्ज देने का रास्ता बना दिया।
जो लोग आपको पहले से जानते हैं वो चिल्ला चिल्ला कर कह रहे थे की ये आदमी कभी भी चुहिया पकड़ने से आगे नही जायेगा। लेकिन लोग थे की मान ही नही रहे थे। आपने कष्ट सहने के लिए धन्यवाद तो दे दिया लेकिन ये नही बताया की ये कष्ट कितने दिन और चलेगा। कम से कम नोट शहीदों का एक स्मारक ही बनवा देते। सुना है आपकी सरकार ने टोल नाको पर हुए नुकशान की भरपाई करने के लिए कम्पनियों को करीब 900 करोड़ रूपये देने का फैसला किया है। लेकिन जो मजदूर काम बन्द होने के कारण रेल भर भर कर गांव वापिस आ गए उनको भी कुछ दे देते। जो चाय के बागानों और जंगल में मर गए उनके लिए भी कुछ करते। लेकिन उन चूहों को केवल धन्यवाद और बागड़ बिल्लों को मलाई।
ये ठीक है मोदीजी की आपने मान लिया की आप केवल चुहिया ही पकड़ना चाहते थे। क्योंकि आपके ये प्यारे बिल्ले अब इतने कमजोर हो चुके हैं की वो अब दौड़ भाग करके चूहे पकड़ने की पोजीशन में नही हैं। सो अब इनको चूहे पकड़कर देने पड़ेंगे। क्योंकि ये तो मुंहलगे खास बिल्ले हैं। लेकिन लोगों का कहना है की इनकी कमजोरी ज्यादा खाने की वजह से हुई अपच के कारण है। इनके लिए अच्छा होता की अगर आप इनको कुछ दिन हल्का खाना खिलाते। कई बार ज्यादा लाड़ प्यार नुकशान का कारण भी बन सकता है। कोई मुझे बता रहा था की अब इनको चुहिया का सूप पिलाया जायेगा इसलिए आप चुहिया पकड़ने निकले थे।
बस एक सवाल पूछना है। कृपया ये बता दीजिये की वो कौन थे जो देश का पब्लिक सैक्टर खा गए, बैंक खा गए, सड़कें और पुल खा गए, खदान खा गए, किसानों की जमीन खा गए और,
वो भी
जो भाईचारा खा गए, शान्ति और संस्कृति खा गए, गंगा जमनी तहजीब खा गए, सुरक्षा का अहसास खा गए , कम से कम चुहिया के बस की बात तो ये है नही।