कुछ दिन पहले पनामा से कुछ पेपर लीक हो गए। सारी दुनिया में बवण्डर मच गया। हमारे देश के भी लगभग 500 लोगों का नाम उसमे होने की खबर है। जो खबरें आई हैं उनमे अमिताभ बच्च्न, ऐशवर्या बच्च्न, अडानी समूह के मालिक गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी, और कांग्रेस के अनुसार छत्तीसगढ़ के नुख्य्मन्त्री रमन सिंह के बेटे अभिषेक का नाम भी उसमे है। अब इसका असर क्या हुआ ?
पूरा देश ट्विटर के सामने बैठकर प्रधानमंत्री के ट्वीट का इंतजार करता रहा परन्तु नहीं आया। उसके बाद दुनिया भर में इस पर कुछ प्रतिक्रियाएं इस तरह हैं।
1. आइसलैंड के प्रधानमंत्री ने अपना नाम आने के बाद इस्तीफा दे दिया।
2. यूक्रेन के प्रधानमंत्री ने अपना नाम आने के बाद इस्तीफा दे दिया।
3. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने अपना नाम आने के बाद खुलासा किया की उनका नाम उनके राजनीती में आने से पहले का है। राजनीती में आने के बाद उन्होंने वहां कोई हिस्सा नहीं रखा। इसके सबूत के रूप में उन्होंने अपनी सभी इनकम टैक्स रिटर्न प्रकाशित कर दी। लेकिन उन पर सवाल अभी बाकी हैं।
हमारी सरकार ने मुख्य्मंत्री के बेटे का नाम आने पर कहा की इसमें अपराध हुआ ये साबित करो। उसके बाद से सरकार के सभी मंत्री देश को आश्वासन दे रहे हैं की किसी को बख्शा नहीं जायेगा। ठीक उसी तरह जैसे विदेशों में कालाधन छिपाने वालों को नहीं बख्शा गया।
पूरा देश ट्विटर के सामने बैठकर प्रधानमंत्री के ट्वीट का इंतजार करता रहा परन्तु नहीं आया। उसके बाद दुनिया भर में इस पर कुछ प्रतिक्रियाएं इस तरह हैं।
1. आइसलैंड के प्रधानमंत्री ने अपना नाम आने के बाद इस्तीफा दे दिया।
2. यूक्रेन के प्रधानमंत्री ने अपना नाम आने के बाद इस्तीफा दे दिया।
3. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने अपना नाम आने के बाद खुलासा किया की उनका नाम उनके राजनीती में आने से पहले का है। राजनीती में आने के बाद उन्होंने वहां कोई हिस्सा नहीं रखा। इसके सबूत के रूप में उन्होंने अपनी सभी इनकम टैक्स रिटर्न प्रकाशित कर दी। लेकिन उन पर सवाल अभी बाकी हैं।
हमारी सरकार ने मुख्य्मंत्री के बेटे का नाम आने पर कहा की इसमें अपराध हुआ ये साबित करो। उसके बाद से सरकार के सभी मंत्री देश को आश्वासन दे रहे हैं की किसी को बख्शा नहीं जायेगा। ठीक उसी तरह जैसे विदेशों में कालाधन छिपाने वालों को नहीं बख्शा गया।
जिस सरकार में ब्रज मोहन अग्रवाल , सुंदरानी जैसे लोग हों; जिस सरकार में नितिन गडकरी जैसे रातों-रात खरबपति बन जाने वाले लोग हों, जिस दल में भ्रस्टाचार की सभी सीमाएं लांघ जाने वाले येदियुरप्पा, विजयवर्गीय जैसे लोग 'पदाधिकारी' हों, उनसे क्या आशा की जा सकती है ?
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