केंद्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद देश के सभी प्रमुख विश्व्विद्यालय उबाल पर हैं। FTII से शुरू हुआ ये खेल अब NIT श्रीनगर तक पहुंच गया है। सभी जगह आरएसएस समर्थित तत्व एक तरफ हैं और दूसरी तरफ कहीं वामपंथी हैं, कहीं दलित हैं, कहीं कश्मीरी हैं और कहीं मुस्लिम हैं। इसके अलावा देश में बाकी जगहों पर भी इस तरह के टकराव उभर रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है की ये केंद्र सरकार की विफलताओं को छुपाने के लिए लोगों का ध्यान बटाने के लिए किया जा रहा है तो कुछ लोग इसे आरएसएस के एजंडे को लागु करने की बड़ी योजना का हिस्सा मानते हैं।
अभी अभी NIT श्रीनगर में हुई घटना की एक टीवी बहस में जानी मानी पत्रकार नीरजा चौधरी ने जब ये पूछा की दो दिन पहले ही कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी की सरकार बनी है और उसके तुरंत बाद कश्मीर की सभी फॉल्ट लाइने क्यों सक्रिय हो गई हैं चाहे वो कश्मीरी और गैर कश्मीरी हो, लोकल बनाम बाहरी हो, पाकिस्तान समर्थक बनाम भारत समर्थक हो। उन्होंने ये भी कहा की पिछले नो सालों में NIT श्रीनगर में कभी कोई विवाद सामने नहीं आया। तो इसके जवाब में बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा की NIT श्रीनगर में जो लोग नो सालो से दबे हुए थे उनको ये सरकार आने के बाद लगता है की अब वो सबकुछ कर सकते हैं जो पहले नहीं कर पा रहे थे। उसमे भारत माता की जय के नारे लगाना भी शामिल है। असली खतरा इसी जवाब में छिपा हुआ है।
NIT श्रीनगर में लोकल कश्मीरी छात्रों की संख्या बहुत ही कम है। 4000 छात्रों में से 500 छात्र ही कश्मीर से आते हैं बाकी शेष भारत से आते हैं। जो कैंपस हमेशा शान्ती और सहयोग की मिसाल रहा है उसमे तिरंगा फहराने और भारत माता की जय के नारे लगाने से शुरू हुआ विवाद आज इतना बढ़ चूका है की पुरे विश्व विद्यालय को छावनी में बदल दिया गया है। दूसरी तरफ कश्मीरी पुलिस पर भेदभाव के आरोप लगाए जा रहे हैं। विश्व विद्यालय कैंटीन के लोकल स्टाफ पर आरोप लगाए जा रहे हैं और फैकल्टी पर भी आरोप लगाए जा रहे हैं जिनमे बड़े पैमाने पर अतिशयोक्ति की सम्भावना है। एक ही दिन में सबकुछ खराब हो गया हो ऐसा नहीं होता है। पहले ये दावा किया जा रहा था छात्रों की तरफ से कंकड़ तक नहीं फेंका गया लेकिन अब ऐसा भी विडिओ सामने आया है जिसमे छात्र पथराव कर रहे हैं। भेदभाव के आरोप से निराश एक पुलिस अधिकारी ने कहा है आखिर हम किसकी लड़ाई लड़ रहे हैं।
इस विवाद में MHRD का रवैया भी बेहद आष्चर्य जनक है। चूँकि मामला कश्मीरी बनाम गैर कश्मीरी बनाया जा रहा है तो MHRD गैर कश्मीरी छात्रों की हर मांग मानने को तैयार है। तुरंत वहां केंद्रीय अधिकारीयों की टीम भेज दी गई। कैंपस के अंदर कश्मीरी पुलिस को हटाकर CRPF की तैनाती कर दी गई। पुलिस कार्यवाही के खिलाफ न्यायायिक जाँच की घोषणा कर दी गई। परीक्षा तक स्थगित करने की घोषणाएं की जा रही हैं। दूसरी तरफ JNU और हैदराबाद विश्व विद्यालय में बर्बर पुलिस लाठीचार्ज में घायल छात्रों को जेल भेज दिया गया और उनका पानी तक काट दिया गया। जिस आदमी ने ( बीजेपी सांसद महेश गिरी ) ने JNU छात्रों खिलाफ फर्जी विडिओ के आधार पर देशद्रोह की FIR दर्ज करवाई थी वही महेश गिरी कल राजनाथ सिंह से मिलकर मांग कर रहा था की NIT श्रीनगर के छात्रों के खिलाफ दर्ज केस वापिस लिए जाएँ। ये वही आदमी है जो समानता की शपथ लेकर सांसद है। केवल यही नहीं, पुरे बीजेपी के नेता इस विवाद को कश्मीरी और गैर कश्मीरी के रूप में बढ़ावा देकर राजनैतिक लाभ उठाने का प्रयास कर रहे हैं।
देश में सभी जगह इस तरह के दोहरे मापदंडों के आधार पर कार्यवाही की जा रही है। पुरे देश में संघ बनाम शेष भारत का खेल खेला जा रहा है। लेकिन विश्व विद्यालयों में ये खेल देश को काफी महंगा पड़ सकता है। NIT श्रीनगर के जिन छात्रों को बीजेपी मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रही है उनके माँ बाप को रात को नींद नहीं आ रही है।
अभी अभी NIT श्रीनगर में हुई घटना की एक टीवी बहस में जानी मानी पत्रकार नीरजा चौधरी ने जब ये पूछा की दो दिन पहले ही कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी की सरकार बनी है और उसके तुरंत बाद कश्मीर की सभी फॉल्ट लाइने क्यों सक्रिय हो गई हैं चाहे वो कश्मीरी और गैर कश्मीरी हो, लोकल बनाम बाहरी हो, पाकिस्तान समर्थक बनाम भारत समर्थक हो। उन्होंने ये भी कहा की पिछले नो सालों में NIT श्रीनगर में कभी कोई विवाद सामने नहीं आया। तो इसके जवाब में बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा की NIT श्रीनगर में जो लोग नो सालो से दबे हुए थे उनको ये सरकार आने के बाद लगता है की अब वो सबकुछ कर सकते हैं जो पहले नहीं कर पा रहे थे। उसमे भारत माता की जय के नारे लगाना भी शामिल है। असली खतरा इसी जवाब में छिपा हुआ है।
NIT श्रीनगर में लोकल कश्मीरी छात्रों की संख्या बहुत ही कम है। 4000 छात्रों में से 500 छात्र ही कश्मीर से आते हैं बाकी शेष भारत से आते हैं। जो कैंपस हमेशा शान्ती और सहयोग की मिसाल रहा है उसमे तिरंगा फहराने और भारत माता की जय के नारे लगाने से शुरू हुआ विवाद आज इतना बढ़ चूका है की पुरे विश्व विद्यालय को छावनी में बदल दिया गया है। दूसरी तरफ कश्मीरी पुलिस पर भेदभाव के आरोप लगाए जा रहे हैं। विश्व विद्यालय कैंटीन के लोकल स्टाफ पर आरोप लगाए जा रहे हैं और फैकल्टी पर भी आरोप लगाए जा रहे हैं जिनमे बड़े पैमाने पर अतिशयोक्ति की सम्भावना है। एक ही दिन में सबकुछ खराब हो गया हो ऐसा नहीं होता है। पहले ये दावा किया जा रहा था छात्रों की तरफ से कंकड़ तक नहीं फेंका गया लेकिन अब ऐसा भी विडिओ सामने आया है जिसमे छात्र पथराव कर रहे हैं। भेदभाव के आरोप से निराश एक पुलिस अधिकारी ने कहा है आखिर हम किसकी लड़ाई लड़ रहे हैं।
इस विवाद में MHRD का रवैया भी बेहद आष्चर्य जनक है। चूँकि मामला कश्मीरी बनाम गैर कश्मीरी बनाया जा रहा है तो MHRD गैर कश्मीरी छात्रों की हर मांग मानने को तैयार है। तुरंत वहां केंद्रीय अधिकारीयों की टीम भेज दी गई। कैंपस के अंदर कश्मीरी पुलिस को हटाकर CRPF की तैनाती कर दी गई। पुलिस कार्यवाही के खिलाफ न्यायायिक जाँच की घोषणा कर दी गई। परीक्षा तक स्थगित करने की घोषणाएं की जा रही हैं। दूसरी तरफ JNU और हैदराबाद विश्व विद्यालय में बर्बर पुलिस लाठीचार्ज में घायल छात्रों को जेल भेज दिया गया और उनका पानी तक काट दिया गया। जिस आदमी ने ( बीजेपी सांसद महेश गिरी ) ने JNU छात्रों खिलाफ फर्जी विडिओ के आधार पर देशद्रोह की FIR दर्ज करवाई थी वही महेश गिरी कल राजनाथ सिंह से मिलकर मांग कर रहा था की NIT श्रीनगर के छात्रों के खिलाफ दर्ज केस वापिस लिए जाएँ। ये वही आदमी है जो समानता की शपथ लेकर सांसद है। केवल यही नहीं, पुरे बीजेपी के नेता इस विवाद को कश्मीरी और गैर कश्मीरी के रूप में बढ़ावा देकर राजनैतिक लाभ उठाने का प्रयास कर रहे हैं।
देश में सभी जगह इस तरह के दोहरे मापदंडों के आधार पर कार्यवाही की जा रही है। पुरे देश में संघ बनाम शेष भारत का खेल खेला जा रहा है। लेकिन विश्व विद्यालयों में ये खेल देश को काफी महंगा पड़ सकता है। NIT श्रीनगर के जिन छात्रों को बीजेपी मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रही है उनके माँ बाप को रात को नींद नहीं आ रही है।
समझ से परे है कि विश्व विद्यालयों में बच्चे पढ़ने जाते हैं या राजनीति करने। .. विश्व विद्यालयों का राजनीति का अखाड़ा बनना घातक है देश के लिए .....
ReplyDeleteगहन चिंतनशील विषय प्रस्तुति हेतु आभार