Saturday, April 9, 2016

व्यंग -- आम आदमी तो तिरंगा फहराने की हैसियत ही नहीं रखता।

             मैंने भी सोचा की तिरंगा फहरा ही दूँ। और साथ में भारत माता की जय का नारा भी लगा दूँ। मैं ये सोच ही रहा था की वो हो गया जिसकी आम आदमी को उम्मीद ही नहीं होती। जैसे चार पांच साल पहले बहुत से लोग सोचते थे की एक घर खरीद ही लें। जब तक वो फैसला ले पाते घर की कीमत आम आदमी की हैसियत से बाहर हो गई और वो सोचता ही रह गया। वही मेरे साथ हो गया।
               सुबह सुबह टीवी चालू किया तो देखा की जयपुर में भूतपूर्व डाकुओं का सम्मेलन चल रहा है। इन्होने आत्मसमर्पण किया था। लेकिन दिल में अभी तक डाकुओं वाला जोश बाकि था। हाथों में बंदूकें थी जो पता नहीं पुलिस ने जब्त क्यों नहीं की थी। खैर उन्होंने तिरंगा फहराने और भारत माता की जय बोलने की घोषणा कर दी। साथ में कन्हैया की सुपारी भी दे दी। मैं सन्न रह गया। अब तिरंगा फहराने का हक पाने के लिए किसी की जीभ या सर काटने पर इनाम रखना जरूरी हो गया है। उसके बाद मुझे कुछ समय लग गया सम्भलने में। जैसे ही संभला तो सोचा की आज फहरा ही दूँ।
             तभी देखा की छः सात फर्जी मुठभेड़ों के आरोपी गुजरात के भूतपूर्व DGP बंजारा गुजरात में प्रवेश कर रहे हैं। उनके समर्थक तिरंगा लिए हुए हैं और भारत माता की जय के नारे लगा रहे हैं। पुरे जोश में उत्सव मनाया जा रहा है। उसके बाद बोलते हुए बंजारा साहब ने कहा की अब वो निपटेंगे भारत माता के विरोधियों से। मुझे चककर आ गया। उनका निपटने का तरीका मुझे मालूम है। अब मुझे तिरंगा फहराने का मौका मिलता नहीं लग रहा था। तभी टीवी में समाचार सुना की दिल्ली से AC बस में बैठकर कुछ भक्त, मेरा मतलब है देशभक्त श्रीनगर जा रहे हैं NIT के गेट पर तिरंगा फहराने। मुझे लगा की इसमें कोशिश करनी चाहिए। एक तो वहां तिरंगा फहराने की कोई पाबंदी नहीं है। दूसरा सारा इंतजाम आयोजकों का है सो अपना कोई खर्चा नहीं है। उल्टा आते वक्त एक पेटी कश्मीरी  सेब और अखरोट भी लाए जा सकते है जैसे वैष्णो देवी की यात्रा के समय करते हैं। इसके मेरी एप्लिकेशन ख़ारिज हो गई। आयोजकों ने मुझे उस स्तर का भक्त यानि के देशभक्त नहीं माना। अखरोट का सपना सपना ही रह गया। तभी मेरे पड़ोसी ने मुझे बताया की भैया इतना आसान मत समझो। कश्मीर की जिस आधी सरकार के समर्थकों ने वहां छात्रों को झंडा फहराने के लिए उकसाया था उसी सरकार की पुलिस ने उन्हें धुन दिया।
                  मैंने झंडा फहराने का कार्यक्रम और भारत माता की जय बोलने का कार्यक्रम उचित समय तक स्थगित करने का फैसला कर लिया। मैं अभी स्थगित कर ही रहा था की बाबा रामदेव प्रकट हुए। उनके हाथ में नंगी तलवार थी और आँखों में बगदादी वाली चमक थी। उन्होंने आते ही मेरे गले पर तलवार रख दी और बोले की जो भारत माता की जय नहीं बोलेगा ऐसी लाखों गर्दन काट दी जाएगी। और इसकी शुरुआत तुमसे होगी।
  "लेकिन मुझसे क्यों ?" मैंने हकलाते हुए पूछा।
   " क्योंकि हमेशा शुरुआत भी और अंत भी तुम्हारे जैसों से ही होता है। क्योंकि गर्दने तो केवल गद्दारों की कटनी हैं।"  रामदेव ने जवाब दिया।
  " पर मैं गद्दार कैसे हो गया ?" मैंने पूछा।
  " देखो, संघ से जो बाहर है, वो देश का गद्दार है। हम फालतू बहस में नहीं पड़ना चाहते। इसलिए हमने आसान फार्मूला निकाल लिया है। " रामदेव ने मुझे बताया।
मैं डर के मारे बेहोश हो गया। बेहोशी के दौरान या नींद के दौरान मैंने सपना देखा की विजय माल्या, ललित मोदी, छोटा राजन, और कई लोग इकट्ठे होकर तिरंगा फहराने की तैयारी कर रहे हैं। सभा में भारत माता की जय बोली जा रही है। घबराकर मुझे होंश आ गया। फिर मैंने सोचा की तिरंगा फहराना और भारत माता की जय बोलना मुझ जैसे आम यानी गए गुजरे आदमी का काम नहीं है। इसके लिए हैसियत चाहिए। रुतबा चाहिए और एक विशेष प्रकार का अनुभव चाहिए। उसके बिना अगर कोई केवल देशभक्ति से प्रभावित होकर ये दुस्साहस करेगा तो उसके साथ वही हो सकता है जो NIT श्रीनगर के छात्रों के साथ हुआ।

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