बंगाल चुनाव का पहला चरण कल पूरा हो गया। बंगाल से जो ग्राउंड रिपोर्टें मिल रही हैं वो तृणमूल के लिए खतरे की घंटी की तरह हैं। इस चरण में लगभग 81 % वोट गिरी हैं जो पिछले चुनाव से 3. 5 % कम हैं। चुनाव विश्लेषकों का मानना ये वो फर्जी वोटें थी जो पिछले चुनाव में तृणमूल ने डलवा दी थी। इस बार चुनाव आयोग की सख्ती और विपक्ष की मजबूती के कारण इस तरह की फर्जी वोटिंग में भारी कमी आई है जिससे तृणमूल नेता चिंता ग्र्रस्त हैं। चुनाव के बाद सीपीएम के पोलित ब्यूरो सदस्य और बंगाल के मशहूर नेता मोहम्म्द सलीम ने पत्रकारों को कहा की इस बार धाधंली वाले बूथों की संख्या 1 % के लगभग थी जो पिछली बार के 20 % तुलना में नगण्य है। जाहिर इससे तृणमूल को हर विधानसभा क्षेत्र में 7000 से 10000 वोटों का नुकशान होने जा रहा है। मिदनापुर में तो ये अन्तर 8 - 9 % तक है।
दूसरी जो चीज उभर कर सामने आई वो ये है की भृष्टाचार इस बार चुनाव मुख्य मुद्दा है जो पहले वहां कभी नहीं रहा। बंगाली अपने प्रदेश को भद्रलोक कहते हैं और इस बार सरकार के खिलाफ जो खुलासे हुए हैं उनसे इन्हे भारी धक्का लगा है। पूरा स्थानीय मीडिया इस बात को नॉट कर रहा है।
तीसरा संकेत तृणमूल कांग्रेस के नेताओं द्वारा पत्रकारों पर हमले करने से सामने आता है। पत्रकारों पर हमला शासक वर्ग की खीज का परिणाम है। उस पर इस बार लेफ्ट और कांग्रेस के गठजोड़ ने तृणमूल की सत्ता विरोधी वोटों विभाजन की उम्मीद पर पानी फेर दिया है। दोनों का वोट अगर पूरा पूरा ट्रांसफर हो जाता है तो तृणमूल को 100 सीट का आंकड़ा छूना भी मुश्किल हो जायेगा।
दूसरी जो चीज उभर कर सामने आई वो ये है की भृष्टाचार इस बार चुनाव मुख्य मुद्दा है जो पहले वहां कभी नहीं रहा। बंगाली अपने प्रदेश को भद्रलोक कहते हैं और इस बार सरकार के खिलाफ जो खुलासे हुए हैं उनसे इन्हे भारी धक्का लगा है। पूरा स्थानीय मीडिया इस बात को नॉट कर रहा है।
तीसरा संकेत तृणमूल कांग्रेस के नेताओं द्वारा पत्रकारों पर हमले करने से सामने आता है। पत्रकारों पर हमला शासक वर्ग की खीज का परिणाम है। उस पर इस बार लेफ्ट और कांग्रेस के गठजोड़ ने तृणमूल की सत्ता विरोधी वोटों विभाजन की उम्मीद पर पानी फेर दिया है। दोनों का वोट अगर पूरा पूरा ट्रांसफर हो जाता है तो तृणमूल को 100 सीट का आंकड़ा छूना भी मुश्किल हो जायेगा।
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