ढम '''''''ढम '''''''''धाम ढम '''''''' दं दांव ''''''''''''' ढम
चौराहे पर खड़ा ढोल वाला पुरे जोर शोर से ढोल पीट रहा था। कुछ लोग भी जमा हो गए थे। वो मुनादी करने वाले की तरह बोल रहा था। सुनिए, भाइयो और बहनो , सबसे पहले हम आपको देंगे सारी जरूरी खबरें। सभी तरह की खबरें चाहे वो राजनीती की हो, खेल के मैदान की हो, सिनेमा की हो या सिनेमा वालों की हो, राष्ट्रिय हो या अंतर्राष्ट्रीय हो, सबसे पहले हमसे जानिए। साथ ही हम आपको बताएंगे की आपकी समस्याओं का हल क्या है। इतना ही नहीं ये भी हम ही आपको बताएंगे की आपकी समस्या क्या है और क्यों है। इसके लिए हमारे पास है विषय से संबंधित विशेषज्ञों का पैनल। जिसमे हर समस्या पर पुरे तोर पर विश्लेषण किया जायेगा ,इसलिए भाइयो और बहनो कहीं मत जाइये और देखते रहिये " कब तक " .ये प्रोग्राम हम यहीं इसी चौराहे पर आपके बीच में पेश करेंगे देश के हर चौराहे की तरह। धम'''''''''' ढम''''''''''' ढम''''''''' ढम'''' .
आज के इस कार्यक्रम में हमारे साथ जो मेहमान हैं मैं उनका परिचय आपसे करवा दूँ। हमारे साथ हैं सत्ताधारी पार्टी के प्रतिनिधि मिस्टर ऊल और विपक्षी पार्टी के प्रतिनिधि मिस्टर जलूल। इसके साथ ही हमारे साथ दो विशेषज्ञ भी मौजूद हैं जो निष्पक्ष होकर अपनी राय रखेंगे। इसके साथ ही मैं हमारे आज के विषय के बारे में भी बता देना चाहता हूँ। हमारे हर विषय की तरह आज का विषय भी आपके जीवन से सीधे जुड़ा हुआ है और वो विषय है " क्या चाँद में लगा दाग गहरा हो रहा है। " अब एंकर ने ढोल बजाना कुछ देर के लिए बंद कर दिया था और उसे बाजू में रख लिया था ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत उठाया जा सके।
सबसे पहले मैं सरकारी पार्टी के प्रवक्ता श्री ऊल साहब से पूछना चाहूंगा की इस बात में कितनी सच्चाई है और इसमें सरकार कितनी जिम्मेदार है ? एंकर ने कहकर एक टेपरिकार्डर का बटन दबा दिया।
मि. ऊल ने बोलना शुरू किया। " देखिये इस बात में कोई सच्चाई नहीं है। सबसे पहले तो मैं ये कहना चाहूंगा की जब चाँद में दाग लगा था तब किसकी सरकार थी ? इसलिए हमे ये दाग विरासत में मिला है। और इस पर विपक्षी पार्टी को तो सवाल करने का हक ही नहीं है। हमारी सरकार दाग को समाप्त करने का पूरा प्रयास कर रही है और ये बात गलत है की दाग गहरा हो रहा है। "
उसके बाद एंकर ने कहा की अब मैं विपक्ष के प्रवक्ता मि. जलूल से इस बारे में पूछना चाहूंगा। उसके बाद उसने दुसरे टेपरिकार्डर का बटन दबाया।
मि. जलूल ने बोलना शुरू किया। " देखिये सरकार गलतबयानी कर रही है। ये दाग हमारे समय में नहीं लगा था। और लगा भी होगा तो इतना हल्का था की किसी का ध्यान ही इस पर नहीं जाता था। ये तो सरकार के कुकर्मो का फल है। और सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती है। हमारी मांग है की इसकी स्वतंत्र जाँच होनी चाहिए। इसलिए ये मामला एक संसदीय कमेटी को सौंपा जाये , ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। "
उसके बाद एंकर ने फिर ढोल उठाया और लगभग दस मिनट तक उसे पीट पीट कर साबुन और चॉकलेट इत्यादि बेचता रहा। उसके बाद उसने ढोल फिर बाजू में रख दिया। उसने कहा की हम इस विषय के जानकार श्री चन्द्र प्रशाद जी से जानना चाहेंगे की आखिर सच्चाई क्या है ? फिर उसने एक और टेपरिकार्डर का बटन दबाया।
चन्द्र प्रशाद जी जो अब तक खाली बैठे थे और अपनी बारी आने इंतजार कर रहे थे। उन्होंने बारी आने पर जेब से रुमाल निकाला, फिर सामने रखा पानी पिया और रुमाल से मुंह साफ करके उसे वापिस जेब में रखा। उसके बाद वो बोले। " देखिये जहां तक दाग की बात है उसके लिए सरकार और विपक्ष दोनों बराबर जिम्मेदार हैं। पहले हमे ये देखना होगा की आखिर दाग दीखता किस तरह का है। खासकर अमेरिका से कैसा दिखाई देता है। अमेरिकी नजरिया हमारे लिए बहुत मायने रखता है। अगर अमेरिका में कुछ खास दिखाई नहीं देता है तो फिर इस पर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। पिछले दिनों मेरी अमेरिकी विदेश सचिव से मुलाकात हुई थी तब तो उन्होंने ये मुद्दा नहीं उठाया था। अब हो सकता है की पाकिस्तान ने उनके कान भरें हों। हमे इस दाग को अंतर्राष्ट्रीय नजरिए से देखना होगा। "
उसके बाद एंकर ने फिर ढोल उठाया और जोर जोर से पीटकर फिर कई चीजें बेचीं। क्रिकेट के मैच की जानकारी दी और शाम को प्रसारित होने वाले सास बहु के नाटक में आज क्या होने वाला है इसकी एक झलक बताई। उसके बाद उसने अपना ढोल फिर बाजू में रख लिया। फिर उन्होंने एक और टेपरिकार्डर दबाते हुए दूसरे विशेषज्ञ की तरफ देखते हुए कहा की मि. चंद्रम आपका इस पर क्या कहना है ?
मि. चंद्रम जैसे भरे बैठे थे। उन्होंने तुरंत और जोर जोर से बोलना शुरू किया। " मैं कहता हूँ की ये चीन की साजिश है। उसने नई तकनीक विकसित करके इस दाग को गहरा किया है। वो आहिस्ता आहिस्ता इसे गहरा करता रहेगा और एक दिन भारत में चाँद की रौशनी आनी बंद हो जाएगी। 1962 में नेहरू ने जो गलती की थी देश उसका परिणाम भुगत रहा है। अगर 1962 में सरदार पटेल हमारे प्रधानमंत्री होते तो आज हमे ये दिन नहीं देखना पड़ता। " उसका दम फूल गया था।
' लेकिन 1962 में सरदार पटेल प्रधानमंत्री कैसे हो सकते थे ?" एंकर ने पूछा।
" क्यों नहीं हो सकते थे ? अगर महात्मा गांधी टांग नहीं अड़ाते तो जरूर हो सकते थे।" मि. चंद्रम ने कहा।
" लेकिन जहाँ तक हमारी जानकारी है सरदार पटेल और महात्मा गांधी, दोनों का निधन 1962 से पहले हो चूका था।" एंकर ने फिर कहा।
" ये कांग्रेस और कम्युनिष्टों द्वारा फैलाई गई अफवाह है। मैं केंद्र सरकार से इससे संबंधित फाइलें सार्वजनिक करने की मांग करता हूँ।" मि. चंद्रम ने जैसे चैलेंज किया।
उसके बाद सरकारी प्रवक्ता ने कुछ कहने की कोशिश की। वो कह रहा था की वो इस बारे में सरकार से बात करेगा ताकि सच्चाई सामने आ सके। साथ ही विपक्ष के प्रवक्ता ने भी कुछ कहने की कोशिश की। दोनों विशेषज्ञ भी साथ साथ बोल रहे थे। प्रोग्राम खत्म होने में पांच मिनट बाकि थी इसलिए एंकर पांच मिनट पूरी होने का इंतजार करता रहा फिर सारे टेपरिकार्डर बंद करके फिर ढोल पीट पीट कर सामान बेचने लगा।
ये हमारा राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया था जो लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहलाता है। जो जनता से जुड़े मुद्दे उठाकर जनतंत्र को समृद्ध कर रहा है।
चौराहे पर खड़ा ढोल वाला पुरे जोर शोर से ढोल पीट रहा था। कुछ लोग भी जमा हो गए थे। वो मुनादी करने वाले की तरह बोल रहा था। सुनिए, भाइयो और बहनो , सबसे पहले हम आपको देंगे सारी जरूरी खबरें। सभी तरह की खबरें चाहे वो राजनीती की हो, खेल के मैदान की हो, सिनेमा की हो या सिनेमा वालों की हो, राष्ट्रिय हो या अंतर्राष्ट्रीय हो, सबसे पहले हमसे जानिए। साथ ही हम आपको बताएंगे की आपकी समस्याओं का हल क्या है। इतना ही नहीं ये भी हम ही आपको बताएंगे की आपकी समस्या क्या है और क्यों है। इसके लिए हमारे पास है विषय से संबंधित विशेषज्ञों का पैनल। जिसमे हर समस्या पर पुरे तोर पर विश्लेषण किया जायेगा ,इसलिए भाइयो और बहनो कहीं मत जाइये और देखते रहिये " कब तक " .ये प्रोग्राम हम यहीं इसी चौराहे पर आपके बीच में पेश करेंगे देश के हर चौराहे की तरह। धम'''''''''' ढम''''''''''' ढम''''''''' ढम'''' .
आज के इस कार्यक्रम में हमारे साथ जो मेहमान हैं मैं उनका परिचय आपसे करवा दूँ। हमारे साथ हैं सत्ताधारी पार्टी के प्रतिनिधि मिस्टर ऊल और विपक्षी पार्टी के प्रतिनिधि मिस्टर जलूल। इसके साथ ही हमारे साथ दो विशेषज्ञ भी मौजूद हैं जो निष्पक्ष होकर अपनी राय रखेंगे। इसके साथ ही मैं हमारे आज के विषय के बारे में भी बता देना चाहता हूँ। हमारे हर विषय की तरह आज का विषय भी आपके जीवन से सीधे जुड़ा हुआ है और वो विषय है " क्या चाँद में लगा दाग गहरा हो रहा है। " अब एंकर ने ढोल बजाना कुछ देर के लिए बंद कर दिया था और उसे बाजू में रख लिया था ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत उठाया जा सके।
सबसे पहले मैं सरकारी पार्टी के प्रवक्ता श्री ऊल साहब से पूछना चाहूंगा की इस बात में कितनी सच्चाई है और इसमें सरकार कितनी जिम्मेदार है ? एंकर ने कहकर एक टेपरिकार्डर का बटन दबा दिया।
मि. ऊल ने बोलना शुरू किया। " देखिये इस बात में कोई सच्चाई नहीं है। सबसे पहले तो मैं ये कहना चाहूंगा की जब चाँद में दाग लगा था तब किसकी सरकार थी ? इसलिए हमे ये दाग विरासत में मिला है। और इस पर विपक्षी पार्टी को तो सवाल करने का हक ही नहीं है। हमारी सरकार दाग को समाप्त करने का पूरा प्रयास कर रही है और ये बात गलत है की दाग गहरा हो रहा है। "
उसके बाद एंकर ने कहा की अब मैं विपक्ष के प्रवक्ता मि. जलूल से इस बारे में पूछना चाहूंगा। उसके बाद उसने दुसरे टेपरिकार्डर का बटन दबाया।
मि. जलूल ने बोलना शुरू किया। " देखिये सरकार गलतबयानी कर रही है। ये दाग हमारे समय में नहीं लगा था। और लगा भी होगा तो इतना हल्का था की किसी का ध्यान ही इस पर नहीं जाता था। ये तो सरकार के कुकर्मो का फल है। और सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती है। हमारी मांग है की इसकी स्वतंत्र जाँच होनी चाहिए। इसलिए ये मामला एक संसदीय कमेटी को सौंपा जाये , ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। "
उसके बाद एंकर ने फिर ढोल उठाया और लगभग दस मिनट तक उसे पीट पीट कर साबुन और चॉकलेट इत्यादि बेचता रहा। उसके बाद उसने ढोल फिर बाजू में रख दिया। उसने कहा की हम इस विषय के जानकार श्री चन्द्र प्रशाद जी से जानना चाहेंगे की आखिर सच्चाई क्या है ? फिर उसने एक और टेपरिकार्डर का बटन दबाया।
चन्द्र प्रशाद जी जो अब तक खाली बैठे थे और अपनी बारी आने इंतजार कर रहे थे। उन्होंने बारी आने पर जेब से रुमाल निकाला, फिर सामने रखा पानी पिया और रुमाल से मुंह साफ करके उसे वापिस जेब में रखा। उसके बाद वो बोले। " देखिये जहां तक दाग की बात है उसके लिए सरकार और विपक्ष दोनों बराबर जिम्मेदार हैं। पहले हमे ये देखना होगा की आखिर दाग दीखता किस तरह का है। खासकर अमेरिका से कैसा दिखाई देता है। अमेरिकी नजरिया हमारे लिए बहुत मायने रखता है। अगर अमेरिका में कुछ खास दिखाई नहीं देता है तो फिर इस पर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। पिछले दिनों मेरी अमेरिकी विदेश सचिव से मुलाकात हुई थी तब तो उन्होंने ये मुद्दा नहीं उठाया था। अब हो सकता है की पाकिस्तान ने उनके कान भरें हों। हमे इस दाग को अंतर्राष्ट्रीय नजरिए से देखना होगा। "
उसके बाद एंकर ने फिर ढोल उठाया और जोर जोर से पीटकर फिर कई चीजें बेचीं। क्रिकेट के मैच की जानकारी दी और शाम को प्रसारित होने वाले सास बहु के नाटक में आज क्या होने वाला है इसकी एक झलक बताई। उसके बाद उसने अपना ढोल फिर बाजू में रख लिया। फिर उन्होंने एक और टेपरिकार्डर दबाते हुए दूसरे विशेषज्ञ की तरफ देखते हुए कहा की मि. चंद्रम आपका इस पर क्या कहना है ?
मि. चंद्रम जैसे भरे बैठे थे। उन्होंने तुरंत और जोर जोर से बोलना शुरू किया। " मैं कहता हूँ की ये चीन की साजिश है। उसने नई तकनीक विकसित करके इस दाग को गहरा किया है। वो आहिस्ता आहिस्ता इसे गहरा करता रहेगा और एक दिन भारत में चाँद की रौशनी आनी बंद हो जाएगी। 1962 में नेहरू ने जो गलती की थी देश उसका परिणाम भुगत रहा है। अगर 1962 में सरदार पटेल हमारे प्रधानमंत्री होते तो आज हमे ये दिन नहीं देखना पड़ता। " उसका दम फूल गया था।
' लेकिन 1962 में सरदार पटेल प्रधानमंत्री कैसे हो सकते थे ?" एंकर ने पूछा।
" क्यों नहीं हो सकते थे ? अगर महात्मा गांधी टांग नहीं अड़ाते तो जरूर हो सकते थे।" मि. चंद्रम ने कहा।
" लेकिन जहाँ तक हमारी जानकारी है सरदार पटेल और महात्मा गांधी, दोनों का निधन 1962 से पहले हो चूका था।" एंकर ने फिर कहा।
" ये कांग्रेस और कम्युनिष्टों द्वारा फैलाई गई अफवाह है। मैं केंद्र सरकार से इससे संबंधित फाइलें सार्वजनिक करने की मांग करता हूँ।" मि. चंद्रम ने जैसे चैलेंज किया।
उसके बाद सरकारी प्रवक्ता ने कुछ कहने की कोशिश की। वो कह रहा था की वो इस बारे में सरकार से बात करेगा ताकि सच्चाई सामने आ सके। साथ ही विपक्ष के प्रवक्ता ने भी कुछ कहने की कोशिश की। दोनों विशेषज्ञ भी साथ साथ बोल रहे थे। प्रोग्राम खत्म होने में पांच मिनट बाकि थी इसलिए एंकर पांच मिनट पूरी होने का इंतजार करता रहा फिर सारे टेपरिकार्डर बंद करके फिर ढोल पीट पीट कर सामान बेचने लगा।
ये हमारा राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया था जो लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहलाता है। जो जनता से जुड़े मुद्दे उठाकर जनतंत्र को समृद्ध कर रहा है।
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