अगुस्ता हैलीकॉप्टर घोटाले में इटली की अदालत का फैसला आने के बाद बीजेपी ने फिर से कांग्रेस पर हमला बोल दिया है। राजनीती में घोटालों का पर्दाफाश करना पार्टियों का दायित्व होता है। लेकिन कई बार यही चीज शुद्ध राजनितिक दावपेंच का माध्यम बन जाती है। कांग्रेस ने इसके जवाब में अन्य बातों के साथ ये भी पूछा है की दो साल से सारी जाँच एजेंसियां केंद्र सरकार के पास हैं, तो उसने इस मामले की जाँच अब तक पूरी क्यों नहीं की ?
बाबरी मस्जिद के गिराए जाने के बाद बीजेपी और आरएसएस को ये बात समझ में आ गई की मामलो को निपटाना उनके लिए खतरनाक हो सकता है। उससे पहले रामजन्मभूमि - बाबरी मस्जिद मुद्दा बीजेपी के लिए एक प्रमुख और लाभदायक मुद्दा रहा था। लेकिन जैसे ही बाबरी मस्जिद गिराई गई तब से स्थिति बदल गई। अब ये मुद्दा बीजेपी के गले की हड्डी बन गया है। अब जवाब देने की बारी बीजेपी की है। अब हर चुनाव में पहले तो बीजेपी को ये राग अलापना पड़ता है की राम मंदिर हमारे लिए कभी भी चुनावी मुद्दा नहीं था। उसके बाद अपने कार्यकर्ताओं को समझाते हुए पहले वो लोकसभा में बहुमत ना होने का बहाना करती थी अब राज्य सभा में बहुमत का बहाना करती है। मान लो कभी ऐसा भी हो जाये की उसका राज्य सभा में भी बहुमत हो जाये तो वो दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत का बहाना करेगी। उसके बाद अदालत को जिम्मेदार बताएगी।
इसलिए बीजेपी को ये बात समझ में आ गई है की मसलों को लटकाना ही समझदारी है। आप चुनाव से पहले के केवल भृष्टाचार से जुड़े मुद्दों की बात कर लो तो उनकी लिस्ट इस प्रकार है।
१. हमारी सरकार आते ही 100 दिन में विदेशों का काला धन भारत आ जायेगा।
२ हमारी सरकार आते ही विदेशो में कालेधन के मालिकों के नाम सार्वजनिक कर दिए जायेंगे।
३. हमारी सरकार आते ही राबर्ट वाड्रा जेल में होंगे और किसानों की जमीन वापिस ले ली जाएगी।
४. सेना से जुडी हुई खरीद के तमाम सौदों की जाँच तुरंत खत्म करके उनके जिम्मेदार लोगों को सजा दी जाएगी।
५. बंगाल के शारदा चिटफंड घोटाले की जाँच करके तुरंत गरीबों को उनका पैसा दिलवा दिया जायेगा।
लेकिन ऊपर की लिस्ट में से कौनसा काम हुआ। एक भी नहीं। क्योंकि बीजेपी को मालूम है की जिसकी जाँच पूरी हुई वो मुद्दा समाप्त। इसलिए उसका मकसद जाँच को लटकाना है। ऐसा नहीं है की कुछ जाँच सरकार की मर्जी के खिलाफ धीमी चल रही हैं। सरकार ने भृष्टाचार के मामले में एकदम एक तरफा रुख अपनाया है। एक तरफ वो विपक्षी नेताओं के खिलाफ जाँच को लटकाए रखना चाहती है ताकि उनका चुनाव में प्रयोग किया जाये या गठबंधन के लिए दबाव डाला जाये। बिहार चुनाव में मुलायम सिंह का रुख सबने देखा था और सीबीआई का इस्तेमाल भी सबने देखा था।
दूसरी तरफ उसने ये रुख अपनाया है की उसके लोगों और सरकारों के खिलाफ कितने ही मजबूत आरोप क्यों न हों वो एक भी आरोप की जाँच स्वीकार नहीं करेगी और पूरी दुनिया में ये कोरस गाती रहेगी की उसके ऊपर एक भी दाग नहीं है। साथ ही वो भृष्टाचार की जाँच करने वाले संवैधानिक संस्थाओं को भी काम नहीं करने देगी। इसलिए उसने दो साल होने के बावजूद ना तो लोकपाल की नियुक्ति की और ना ही CVC और CIC की। मोदीजी जब गुजरात के मुख्य्मंत्री थे तब भी उन्होंने 12 साल तक गुजरात में लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं होने दी थी। ये भृष्टाचार मुक्त सरकार का मोदी मॉडल है।
बाबरी मस्जिद के गिराए जाने के बाद बीजेपी और आरएसएस को ये बात समझ में आ गई की मामलो को निपटाना उनके लिए खतरनाक हो सकता है। उससे पहले रामजन्मभूमि - बाबरी मस्जिद मुद्दा बीजेपी के लिए एक प्रमुख और लाभदायक मुद्दा रहा था। लेकिन जैसे ही बाबरी मस्जिद गिराई गई तब से स्थिति बदल गई। अब ये मुद्दा बीजेपी के गले की हड्डी बन गया है। अब जवाब देने की बारी बीजेपी की है। अब हर चुनाव में पहले तो बीजेपी को ये राग अलापना पड़ता है की राम मंदिर हमारे लिए कभी भी चुनावी मुद्दा नहीं था। उसके बाद अपने कार्यकर्ताओं को समझाते हुए पहले वो लोकसभा में बहुमत ना होने का बहाना करती थी अब राज्य सभा में बहुमत का बहाना करती है। मान लो कभी ऐसा भी हो जाये की उसका राज्य सभा में भी बहुमत हो जाये तो वो दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत का बहाना करेगी। उसके बाद अदालत को जिम्मेदार बताएगी।
इसलिए बीजेपी को ये बात समझ में आ गई है की मसलों को लटकाना ही समझदारी है। आप चुनाव से पहले के केवल भृष्टाचार से जुड़े मुद्दों की बात कर लो तो उनकी लिस्ट इस प्रकार है।
१. हमारी सरकार आते ही 100 दिन में विदेशों का काला धन भारत आ जायेगा।
२ हमारी सरकार आते ही विदेशो में कालेधन के मालिकों के नाम सार्वजनिक कर दिए जायेंगे।
३. हमारी सरकार आते ही राबर्ट वाड्रा जेल में होंगे और किसानों की जमीन वापिस ले ली जाएगी।
४. सेना से जुडी हुई खरीद के तमाम सौदों की जाँच तुरंत खत्म करके उनके जिम्मेदार लोगों को सजा दी जाएगी।
५. बंगाल के शारदा चिटफंड घोटाले की जाँच करके तुरंत गरीबों को उनका पैसा दिलवा दिया जायेगा।
लेकिन ऊपर की लिस्ट में से कौनसा काम हुआ। एक भी नहीं। क्योंकि बीजेपी को मालूम है की जिसकी जाँच पूरी हुई वो मुद्दा समाप्त। इसलिए उसका मकसद जाँच को लटकाना है। ऐसा नहीं है की कुछ जाँच सरकार की मर्जी के खिलाफ धीमी चल रही हैं। सरकार ने भृष्टाचार के मामले में एकदम एक तरफा रुख अपनाया है। एक तरफ वो विपक्षी नेताओं के खिलाफ जाँच को लटकाए रखना चाहती है ताकि उनका चुनाव में प्रयोग किया जाये या गठबंधन के लिए दबाव डाला जाये। बिहार चुनाव में मुलायम सिंह का रुख सबने देखा था और सीबीआई का इस्तेमाल भी सबने देखा था।
दूसरी तरफ उसने ये रुख अपनाया है की उसके लोगों और सरकारों के खिलाफ कितने ही मजबूत आरोप क्यों न हों वो एक भी आरोप की जाँच स्वीकार नहीं करेगी और पूरी दुनिया में ये कोरस गाती रहेगी की उसके ऊपर एक भी दाग नहीं है। साथ ही वो भृष्टाचार की जाँच करने वाले संवैधानिक संस्थाओं को भी काम नहीं करने देगी। इसलिए उसने दो साल होने के बावजूद ना तो लोकपाल की नियुक्ति की और ना ही CVC और CIC की। मोदीजी जब गुजरात के मुख्य्मंत्री थे तब भी उन्होंने 12 साल तक गुजरात में लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं होने दी थी। ये भृष्टाचार मुक्त सरकार का मोदी मॉडल है।
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