Sunday, June 14, 2015

मानवीय आधार के बदलते तर्क

खबरी -- विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है की उन्होंने ललित मोदी की मदद मानवीय आधार पर की थी। 


गप्पी --  बीजेपी और आरएसएस के मानवीय आधार के तर्क सुविधा के अनुसार बदल जाते हैं। जब कोई मानव अधिकार संगठन किसी झूठी मुठभेड़ का मामला उठाता है भले ही उसमे मरने वालों में सारे निर्दोष लोग हों तो ये लोग हल्ला मचाते हैं की इन संगठनो को केवल उग्रवादियों के मानव अधिकार क्यों दिखाई देते हैं। क्या अब ये लोग बताएंगे की बीजेपी के नेताओं को मानवीय आधार पर मदद करने के लिए सारे घोटालेबाज ही क्यों मिलते हैं। 

               क्या ये सही नही है की श्रीमती सुषमा स्वराज की बेटी ललित मोदी की वकील हैं। सारे घोटालेबाजों को नेताओं के रिश्तेदार वकील ही क्यों मिलते हैं। क्या ये भी सही नही है की सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल ने अपनी भतीजी का दाखिला ब्रिटेन के कालेज में करवाने के लिए ललित मोदी की सहायता ली थी। इस पर सुषमा स्वराज ने कहा है की उसका दाखिला 2013 में हुआ था और उस समय वो मंत्री नही थी। जब नरेंद्र तोमर ने जाली डिग्री ली थी क्या वो मंत्री थे। 

                 आपकी बेटी ललित मोदी की वकील हैं और आपकी भतीजी का दाखिला ललित मोदी करवाते हैं क्या अब भी इसे "लाभों की अदला बदली - Conflict Of Interest " का मामला न माना जाये।

                  या फिर आप मनुस्मृति (स्मृति ईरानी नही ) के हिसाब से न्याय में विश्वास रखते हैं की अगर कोई अछूत ब्राह्मण को गाली  दे तो उसकी जुबान काट दी जाय और अगर कोई ब्राह्मण अछूत की हत्या कर दे तो उसे कुत्ते की हत्या के बराबर दण्ड दिया जाये। कोई दूसरी पार्टी का नेता अगर भ्रष्टाचार  करे तो फांसी चढ़ा दो और बीजेपी का कोई नेता भ्रष्टाचार करे तो उसे देश हित  में माना जाये।

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