और अब सोमनाथ के घेराबंदी
खबरी -- आज की ताजा खबर क्या है ?
गप्पी -- कल टीवी पर खबर सुनी की सोमनाथ ट्रस्ट ने सोमनाथ मंदिर में गैर हिन्दुओं के प्रवेश पर रोक लगा दी। अब अगर कोई गैर हिन्दू मंदिर में जाना चाहे तो उसे मैनजमेंट से पहले अनुमति लेनी होगी और मंदिर में जाने का मकसद बताना होगा। मान लो कोई आतंकवादी मकसद वाले खाने में ये लिख दे की वो मंदिर को उड़ाना चाहता है तो मैनजमेंट उसको अनुमति नही देगी। लेकिन साहब मुझे ये खबर पढ़कर मजा आ गया अब भगवान सोमनाथ यानि शंकर को किस किस से मिलना है ये ट्रस्ट तय करेगी। बड़ा भगवान बना फिरता था
सोमनाथ मंदिर की जो ट्रस्ट है उसमे नरेंद्र मोदी , लाल कृष्ण आडवाणी और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल शामिल हैं। अब केशुभाई और आडवाणी जी का तो बीजेपी में ये हाल है की कोई नेता इनसे मिलना भी चाहे तो उसे पार्टी हाई कमान से पहले अनुमति लेनी होती है और मकसद भी बताना होता है। ये दोनों नेता कहते होंगे देखो सोमनाथ तुमने हमारा ये हाल कर दिया तो हमने भी तुम्हारा यही हाल कर दिया। अब तुम्हारे जो भूत-प्रेत , राक्षस , चुड़ैल तुमसे मिलने की कोशिश करेंगे उन्हें हिन्दू होने का प्रमाण पत्र साथ में रखना होगा। मुझे तो लगता है की ट्रस्ट ने आपको भी कहा होगा की आप यूँ फालतू में हर आदमी से मिलना बंद कीजिये , आप भगवान हैं और हर भगवान की एक रेपुटेसन होती है। मुझे तो ये भी लगता है की अब गैर हिन्दुओं के बाद अगला नंबर दलितों का आने वाला है।
लोग आपको भोले शंकर कहते हैं। कहते हैं की आपको महादेव इसलिए कहा गया की आपने तपस्या करने वाले को वरदान देते समय उसकी जाती, धर्म नही पूछा और असुरों को भी वरदान दिए। देवताओं ने कई बार इसकी शिकायत ब्रह्मा जी से की परन्तु ब्रह्मा जी ने कह दिया मामला उनके बस से बाहर है। लेकिन अब समय बदल गया है भोलेनाथ, अब यहां ब्रह्मा जी की नही नरेन्द्र मोदी जी की चलती है। इसलिए आप अपनी ओकात में रहेंगे तो अच्छा रहेगा वरना आपको भी मार्गदर्शक मंडल में भेजने में कितनी देर लगती है। वैसे भी आपके ज्योतिर्लिंग की ज्योति अब अपने ही ट्रस्ट के लोगों के दिमाग रौशन करने लायक नही बची।
कुछ लोग कह रहे हैं की सोमनाथ का मंदिर सरकार के खर्चे पर बना था और उस समय के राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रशाद ने इसका उदघाटन किया था।
डॉ. राजेन्द्र प्रशाद को लगा होगा की वो राष्ट्रीय गौरव और साम्प्रदायिक एकता का पुनर्निर्माण कर रहे है। परन्तु समय के साथ लोग इस निर्माण को भी राष्ट्रीय शर्म में बदल सकते है इसका उन्हें अनुमान नही रहा होगा।
वैसे जब कोई खबर आती है की मुंबई में किसी ने इसलिए मकान भाड़े पर देने से मना कर दिया की सामने वाला मुस्लिम था या नौकरी देने से मना कर दिया ये कहकर की वो केवल हिन्दुओं को नौकरी पर रखते हैं तो सफाई में ये कहा जाता है की ये केवल एक कर्मचरी की भूल थी और की यह केवल किरायेदार और दलाल का झगड़ा है तो इनकी मासूमियत पर मर मिटने को जी चाहता है। ये कोई इक्का दुक्का भूल नही हैं बल्कि हिन्दू राष्ट्र के सपने की बड़ी साजिश का हिस्सा हैं। लेकिन तुम कितने ही सोमनाथो की घेराबंदी कर लो ये सपना कभी पूरा नही होगा।
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