एक बार फिर भ्रम आसन को तैयार देश
खबरी -- योग क्या क्या (नही) कर सकता है।
गप्पी -- हमारा देश योगियों का देश है। यहां बड़े बड़े योगी हुए हैं। लोगों ने हजारों साल तपस्याएँ की हैं। हमारे देश में हमेशा योगी और योगिराज बड़ी संख्या में रहे हैं।ये साधु बाबा और योगियों को अगर अलग बसा दिआ जाये तो एक दूसरा आस्ट्रेलिया बस जाये। समाज को गाली देने और उसी समाज पर पलने वाले ये परोपजीवी इतनी बड़ी संख्या में में दुनिया में और कही नही मिलेंगे। लेकिन हमारा देश फिर भी भूखा नंगा ही रहा। सालों पहले भी हमारी समस्या भूख , गरीबी और बेरोजगारी थी और आज भी वही है। आंकड़े कहते हैं की दुनिया के सबसे ज्यादा अन्धे हमारे भारत में हैं। योग दिवस पर हम इसका प्रदर्शन पूरी दुनिया के सामने करेंगे। हम पूरे देश में हर उमर के और हर प्रकार के शरीर के लोगों के लिए एक ही तरह के योगासन करेंगे। एक दोनों पैरों पर भी मुश्किल से खड़ा होने वाला आदमी एक पैर पर खड़ा होने की कोशिश करेगा। जिसे कमर दर्द की शिकायत है और डाक्टर ने बैड पर आराम करने को कहा है वो चक्रासन करेगा। जो आसन कुछ लोग मोटा होने के लिए करेंगे, वही आसन कुछ लोग पतला होने के लिए भी करेंगे। 21 जून को एक ही दिन में हम योग का मजाक बना कर रख देंगे।हमारी जो समस्याएं हैं वो योग दिवस बाद भी रहने वाली हैं। फिर क्यों सारा देश इसके पीछे पागलों की तरह लगा हुआ है।
हमारे देश में झूठी प्रशंसा के भूखों की कमी नही है। कभी नही रही। देवता भी झूठी प्रशंसा से प्रसन्न होते थे। कुछ लोगों ने अफवाह उडा दी की योग से हम विश्व गुरु बन जायेंगे। अब ऐसे लोगों की भीड़ विश्व गुरु बनने के लिए लगी है जो स्कूल के पिछवाड़े से भी नही निकले। उन्हें लगता है की अब चान्स लग सकता है। जिसको घर वाले निपट मूर्ख मानते हैं उसे भी आशा है की अमेरिका उसे गुरु मान लेगा। जो लड़का तीन बार में दसवीं पास नही कर पाया और बाप ने उसे भूखा मरने से बचाने के लिए सत्यनारायण की कथा और फेरों के मंत्र सीखा दिए थे वो भी समझ रहा है की वो विश्व गुरु बन सकता है।
अधिकतर लोगों को ये नही मालूम है की योग से क्या क्या हो सकता है। उन्हें ये भी नही मालूम है की योग करने से हमारे देश की भूखों की समस्या हल नही होगी। बेरोजगारी कम नही होगी। उत्पादन नही बढ़ेगा। और इस तरह का कुछ भी नही होगा।कुछ लोग कहते हैं की इससे स्वास्थय लाभ होगा। लेकिन 40 % कुपोषित लोगों को तो स्वास्थय लाभ रोटी से होगा। जो लोग काम के अभाव और खाने की अधिकता से मोटे हो गए है उन्हें योग कराने की बजाए काम करने को क्यों नही कह देते। उन्हें ये लगता है की योग से हमारे दिमाग का विकास हो कर हम विश्व गुरु हो जायेंगे। अगर शीर्षासन करने से दिमाग बढ़ता तो चमगादड़ सबसे चतुर जानवर होता। योग करने से मनुष्य बहादुर भी नही होता। अगर ऐसा होता तो बाबा रामदेव रामलीला मैदान से महिलाओं के कपड़े पहन कर नही भागते। काबुल से केवल 250 घुड़सवारों के साथ निकला बख्तावर ख़िलजी दिल्ली को लूट कर चला गया और इस महान योगिओं के देश में किसी ने उसे नही ललकारा। हमारा देश तो योगियों का देश कहलाता है। बताइए हमने ओलोम्पिक में कितने मैडल जीते। कितने वैज्ञानिक अनुसंधान हमारे नाम पर हैं। ये योगी तो देश को ये भी नही सीखा पाये की मनुष्य अछूत नही होता।
हमे केवल एक झूठा भ्रम चाहिए महान होने का। पहले हम इस भ्रम में जीते थे की जापानी हमारे वेद उठा ले गए और उन्होंने जो भी वैज्ञानिक तरक्की की है वह हमारे वेदों से निकाली है। परन्तु जब ये पूछा जाने लगा की ये फार्मूले तुमने क्यों नही निकाले, या की बताइये कौन से वेद में और कहां मिजाईल बनाने का फार्मूला लिखा है तो मुंह फेर गए। अब दुबारा से बता रहे हैं की हम तो विश्व गुरु हैं। देखो सारी दुनिया हमारे योग को अपना रही है। देश एक बार फिर भ्रमासन को तैयार है।
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