Friday, June 5, 2015

सत्ता के " आम " और जीतनराम मांझी

खबरी -- खबर है की अब बिहार में आमों के लिए झगड़ा शुरू हो गया है। 


गप्पी -- "आम" के लिए झगड़ा कोई केवल बिहार में ही थोड़ा न हो रहा है, पूरी दुनिया में हो रहा है। बिहार में नितीश कुमार ने आम के बगीचे की जिम्मेदारी जीतनराम मांझी को दे दी थी। कुछ दिन ठीक चला। मांझी कुछ आम खुद खाते और बाकी टोकरे भर-भर कर नितीश कुमार को भेज देते। नितीश भी खुश थे की बिना रखवाली किए आम तो खाने को मिल ही रहे हैं। कोई पत्रकार जब मांझी से पूछता की बगीचे का मालिक कौन है तो मांझी विनम्रता से कह देते की बगीचे का मालिक तो नितीश जी हैं और वो तो केवल रखवाले हैं। खबर अख़बार में छपती और नितीश जी सन्तोष की साँस लेते की अभी प्रॉपर्टी पर कब्जा नही हुआ है। एक दिन  पत्रकार ने मांझी से पूछा की आम  का मालिक कौन है तो मांझी ने कह दिया की जब आम मेरे बंगले में लगे हैं तो मालिक भी तो मैं ही हूँगा। खबर अख़बार में छप गयी। नितीश कुमार भौचंके रह गए, किरायेदार ने मकान पर कब्जा कर लिया। छानबीन करवाई गयी तो मालूम पड़ा की आमों के टोकरे भर-भर कर गाड़ियां बीजेपी के दफ्तर जा रही हैं। लालू प्रशाद यादव ने कहा की तुम भी एकदम बौड़म हो, अरे कुछ दिन बाहर जा ही रहे थे तो बंगले में किसी घर के आदमी को छोड़ कर जाना चाहिए न मेरी तरह।  इस बार तो खाली  करवा देता हूँ बाद में ध्यान रखना। समझाने  बुझाने का सिलसिला चला। काम नही बना तो नितीश कुमार ने गांव इक्क्ठा करके किरायेदार को निकाल  बाहर किया। जब लोग मांझी का सामान उठा-उठा कर बाहर फेंक रहे थे तब मांझी बीजेपी का इंतजार कर रहे थे की अभी आए और बचा लेंगे। 

                   बीजेपी ने उनको इलाके के थानेदार की तरह आश्वासन दे रखा था की तुम्हे चिन्ता करने की जरूरत नही है। इलाके में हमारा हुक्म चलता है। अगर फिर भी कोई ऐसी-वैसी बात हुई तो ऊपर कमिशनर से बात करेंगे, वो भी हमारा है। तसल्ली करवाने के लिए दिल्ली ले जाकर कमिशनर से मीटिंग भी करवा दी। कमिशनर ने भी कह दिया की थानेदार के कहे अनुसार काम करो बाकी मैं बैठा हूँ। जब मौका आया तो थानेदार और कमिशनर दोनों ने देखा की सामान फेकने वाले ज्यादा हैं और उनकी पेश नही पड़ेगी तो उन्होंने कहना शुरू कर दिया की हो तो गलत रहा है की एक गरीब किरायेदार को घर से बाहर निकाला जा रहा है लेकिन हम कानून को अपने हाथ में नही लेंगे। मांझी बेचारे देखते-देखते सड़क पर आ गए। लोग कहते हैं की भाजपाई थानेदार  ने मांझी को कहीं का नही छोड़ा। वरना मजे से आम खा रहे थे। 

                  अब मांझी को आम खाने को नही मिल रहे हैं और वो इसकी शिकायत बीजेपी से कर रहे हैं। उनका कहना है की आम के इस मौसम में उनके लिए भी आम का प्रबंध करे। मांझी का इशारा दिल्ली से आने वाले आम के ट्रक की तरफ है जो सारे आम गिरिराज सिंह और राधामोहन सिंह जैसे ठाकुरों के घर उतार जाता है। एकाध टोकरी दलित मुहल्ले में पहुचती भी है तो रामबिलास पासवान के घर उत्तर जाती है। अब बेचारे मांझी का घर एकदम पिछली गली में है। 

                     अब रोज इस बात का शोर होता है की नितीश कुमार आम खा रहे हैं जिन पर असली हक मांझी का था। दूसरा पक्ष भी याद दिला देता है की मांझी केवल किरायदार थे और असली मालिक नितीश कुमार हैं। लेकिन बहुत दिनों से आम खाने के कारण ये सब भूल गए है की असली मालिक वो लोग है जो बंगले से बाहर खड़े हैं।

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