Monday, June 29, 2015

विज्ञानं का भविष्य बहुत उज्ज्वल है हनुमान जी की कृपा से

गप्पी -- मुझे अपने पड़ौसी के साथ सुबह सुबह बाहर जाना था। मैं उनके घर पहुंचा तो वे घर के बाहर ही मेरा इंतजार कर रहे थे। उनके साथ उनका सुपुत्र भी था जो आठवीं क्लास में पढ़ता है। पड़ौसी ने बताया की आज उसका विज्ञानं का पेपर है सो उसे भी लगे हाथ स्कूल छोड़ देते हैं। अच्छी बात है, मैंने कहा। हम तीनो साथ में चले। थोड़ी दूर चलने पर सड़क के किनारे हनुमान जी का मंदिर आया। मेरे पड़ौसी ने लड़के से कहा की बेटा जाओ मंदिर में जाकर हनुमान जी को प्रणाम करो और प्रशाद  भी ले लो। साथ ही ये भी बोल देना की हनुमान जी अगर नंबर अच्छे आये तो ग्यारह रूपये का प्रशाद भी चढ़ाएंगे। बेटा अंदर चला गया। विज्ञानं के पेपर में लड़का अब हनुमान जी के भरोसे था।

      मैंने पड़ौसी से पूछा," क्या तुम्हे लगता है की हनुमान जी ने विज्ञानं पढ़ा  होगा ?"

     " क्या सुबह सुबह मजाक करते हो भाई साब, भला हनुमान जी को विज्ञानं पढ़ने  की क्या जरूरत है वो तो देवता हैं उन्हें तो सबकुछ मालूम है। "

     " लेकिन उन्हें सीताजी का पता तो नही मालूम था। वो उसे ढूंढने लंका तक गए। सब कुछ मालूम था तो वहीं क्यों बता दिया खड़े खड़े। " मैंने पूछा।

     " देवताओं के बारे में ऐसी बातें नही करते वो नाराज हो जायेंगे। " पड़ौसी के चेहरे पर सचमुच घबराहट के भाव थे।

       तब तक बेटा काम निपटा कर आ गया और हम आगे चल पड़े।

       "बेटा क्या तुम्हे मालूम है की आदमी कैसे बना >"

      " मुझे कैसे मालूम होगा अंकल ! मुझे तो अभी आदमी बनने में देर है। आप पापाजी से पूछ लीजिये। " लड़के ने जवाब दिया।

      देर क्या मुझे तो इस बात में ही शक है की तुम्हारे पापा तुम्हे कभी आदमी बनने देंगे। मैंने मन ही मन सोचा। मैंने दुबारा कोशिश की ," बेटा मेरा मतलब था की पृथ्वी पर मनुष्य कैसे पैदा हुआ ?"

      " अंकल वो तो पापाजी कहते हैं की ब्रह्मा जी ने मनुष्य की रचना की। उधर स्कूल के टीचर कहते हैं की आदमी बन्दर से बना। " लड़के ने जवाब दिया।

         मुझे कुछ आशा बंधी।

    तभी मेरे पड़ौसी बोले ," टीचर और किताबों का क्या है जी  कुछ भी लिख देते है। लेकिन हमने तो अपने लड़के को अच्छे संस्कार दिए हैं। उसे सारी बातें बताते हैं।"

        मुझे लगा मौजूदा शिक्षा मंत्री मेरे पड़ौसी से प्रभावित होकर सारे देश को अच्छे संस्कार देने की कोशिश कर रही हैं।

           " लेकिन बेटा अगर परीक्षा में ये सवाल आया तो तुम क्या लिखोगे ?" मैंने फिर पूछा।

          " अंकल, वो तो पापाजी ने कहा है की जो टीचर ने बताया है वही लिख देना वरना ये अल्पबुद्धि टीचर नंबर नही देंगे। " लड़के ने जवाब दिया।

           " अच्छा बेटा ये बताओ की रॉकेट की खोज सबसे पहले कहाँ हुई थी ?" मैंने दूसरा सवाल पूछा।

           " हमारे यहां हुई थी महाभारत काल में। " बेटे की जगह बाप ने जवाब दिया।

    अब मेरी हिम्मत  जवाब दे चुकी थी।

         मैंने सीधा बाप से सवाल किया। " हमारे देश में विज्ञानं का क्या भविष्य है ?"

      " एकदम उज्ज्वल है हनुमान जी की कृपा से। " बाप ने पूरे इत्मीनान से जवाब दिया।

      मैंने उसे धमकाते हुए गुस्से से कहा," बच्चा स्कूल से कुछ पढ़ कर आता है और तुम दूसरा कुछ पढ़ा देते हो उसे घर पर। "

          " अब शास्त्रों में जो लिखा है वही पढाते है हम तो। स्कूल की किताबों का क्या है जी हर तीन साल में  बदल जाती है। शास्त्र थोड़ा ना बदलते हैं। " बाप पूरी तरह समझा हुआ था।

           "लेकिन शास्त्रों में तो ये भी लिखा है की धरती चपटी है गोल नही है और सूर्य उसके चारों तरफ चककर लगाता है। " मैंने कहा।

           " अब वो तो सबको दीखता है कोई माने या न माने। " उसने जवाब दिया।

         तभी उस लड़के का विज्ञानं का अध्यापक वहां से गुजरा। हमें और लड़के को देखकर रुक गया। बड़ी आत्मीयता से हमारे पास आया। थैले से निकाल कर प्रशाद हमे देता हुआ बोला," शहर के बड़े हनुमान मन्दिर गया था। बस किसी तरह स्कूल का रिजल्ट अच्छा आ जाए। "

           अब मुझे पूरा विश्वास हो गया की हमारे देश में विज्ञानं का भविष्य बहुत अच्छा है हनुमान जी की कृपा से। 

 

खबरी -- ऐसी शिक्षा का कोई मूल्य नही जो आपके विचारों को ऊपर नही उठा सके।

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.