Tuesday, June 2, 2015

कोई मान क्यों नही रहा की अच्छे दिन आ गए

खबरी -- प्रधानमंत्री जी कह रहे हैं की अच्छे दिन आ चुके हैं। 


गप्पी -- इस देश में हमेशा से यही संकट है की लोग अच्छी बातों को भी मानने में आनाकानी करते हैं। अरे जब खुद प्रधानमंत्री कह रहे हैं की अच्छे दिन आ चुके हैं तो मान लेना चाहिए। लेकिन ये नाशुक्रा देश है इतनी आसानी से नही मानेगा। लेकिन सरकार भी कोई चीज होती है जनाब। प्रधानमंत्री ने कहा है की पूरे देश में 200 रैलियां करेंगे , सारे  मंत्रियों को रोज प्रैस कॉन्फ्रेंस करने को कहेंगे , टीवी चैनलों पर बाकि कार्यक्रम बंद करके केवल अच्छे दिनों का प्रचार करने को कहा गया फिर देखते हैं की लोग कैसे नही मानते। 

                लेकिन मेरे एक मित्र हंसकर कहते हैं की ये सारे काम तो दिल्ली चुनाव में भी किए गए थे लेकिन लोगों को नही मानना था सो नही माने, न केवल खुद नही माने बल्कि बीजेपी को भी मनवा दिया की इससे बुरे दिन कभी नही थे। 

                 लेकिन मुझे समझ नही आता की मान लेने में क्या हर्ज है। 

मेरे मित्र कह रहे हैं की प्रधानमंत्री खुद तो देश में रहते नही हैं और विदेशिओं के अच्छे दिनों को गलती से अपना मान बैठते हैं। चलो मान भी लेते हैं की प्रधानमंत्री विदेश में ज्यादा रहते हैं परन्तु सकारात्मक सोच भी कोई चीज होती है की नही। अब एक बेरोजगार को नौकरी का इन्तजार ही करना है तो वो ये काम खुश रहकर भी कर सकता है। उसके रोने धोने से तो उसके बाप की परेशानी कम होने वाली नही है। अब कोई किसान आत्महत्या कर ही चुका है तो उसके घरवाले उसका श्राद्ध रो रो कर करने की बजाए सकारात्मक सोच के साथ भी कर सकते हैं। 

                     यहां तो परेशानियों की कमी ही नही है।  लोग तो लोग सरकार के विभाग भी नही मान रहे हैं की अच्छे दिन आ चुके हैं। कल रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कह दिया की अच्छे दिन आना तो दूर लोगों इसकी ज्यादा उम्मीद भी नही करनी चाहिए। लोगों को रोना आ गया। और शेयर बाजार तो इतना रोया की 700 प्वायंट नीचे चला गया। अभी ये आंसू बंद भी नही हुए थे की मौसम विभाग ने कह दिया की बरसात सामान्य से बहुत नीचे रहने वाली है।  लोगों का कलेजा मुंह को आ गया। अब तो हालत ये हो गयी की उद्योग संगठनो के लोग भी ये कहने लगे की आँकड़ों की बात को जाने दें, जमीन पर कुछ बदला नही है। यार तुम भी।

                       अब इस हालत में तो कोई भी शरीफ इन्सान डगमगा सकता है। लेकिन हमारे प्रधानमंत्री जी तो लौह पुरुष हैं और उन्होंने देश को बताया की 21 जून को पूरी दुनिया योग दिवस मनाएगी। हमारे देश के लिए इससे ज्यादा गौरव की बात क्या  हो सकती है। हमे अपने छोटे मोटे दुखों को भूल जाना चाहिए और इस गौरव को महसूस कर कम से कम 5 साल तो निकाल ही देने चाहियें। हमने एक लम्बा समय इस बात पर गर्वित होते हुए निकाल  दिया की जर्मनी और जापान जैसे देशों में ये जो विज्ञान की प्रगति दिखाई दे रही है दरअसल वो इसलिए है की ये लोग हमारे वेदों को उठा ले गए और उनमे जो विज्ञान था वो सारा निकाल  लिया। दुनिया की सारी वैज्ञानिक तरक्की हमारे वेदों से चोरी की गयी है। केवल हम ही नही निकाल  पाये।

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