किसी भी जानकारी के लिए आंकड़े महत्त्वपूर्ण होते हैं। लेकिन आंकड़े अलग अलग तरह के लोगों को उनकी अलग अलग व्याख्या का मौका भी उपलब्ध करवाते हैं। आंकड़ों की व्याख्या करने वाले का इरादा समझे बिना उस व्याख्या को सही तरह से समझना मुश्किल होता है। सरकारें आंकड़ों का मकड़जाल फैला कर जनता को भर्मित करने का काम करती रही हैं। इस मायने में प्रति व्यक्ति आय के आंकड़े भी सही परिपेक्ष्य में समझने जरूरी होते हैं। प्रति व्यक्ति आय के आंकड़ों से किसी देश की कुल गरीबी या अमीरी का अनुमान तो लग सकता है, परन्तु उससे आम लोगों के जीवन स्तर को समझना इतना आसान नही है। इसमें सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है उस देश में आय का बंटवारा किस तरह हुआ है। इसलिए प्रति व्यक्ति आय के आंकड़ों को असमानता के आंकड़ों के साथ मिलकर देखना जरूरी होता है। इसे एक छोटे से उदाहरण के द्वारा आसानी से समझा जा सकता है।
एक गांव में कुल 200 लोग रहते हैं। उसमे एक कारखाना है जिसका एक आदमी मालिक है और बाकि 199 लोग उसमे नौकरी करते हैं। नौकरी करने वालों को महीना 500 रूपये वेतन मिलता है। और कारखाने का मालिक 5 लाख रुपया सालाना कमाता है तो उस गांव के प्रति व्यक्ति आय के आंकड़े इस प्रकार होंगे। 199 व्यक्ति x 6000 = 1194000
एक व्यक्ति = 500000
कुल = 1694000
प्रति व्यक्ति आय = 1694000 / 200 = 8470 रूपये
इस तरह आंकड़ों में उस गांव की प्रति व्यक्ति आय 8470 रूपये होगी।
अब एक दूसरा उदाहरण लें। दूसरे गांव में भी 200 लोग रहते हैं। और वो सभी बाहर नौकरी करते हैं और उन्हें 700 रूपये महीना वेतन मिलता है। इस तरह उस गांव की प्रति व्यक्ति आय 12 x 700 = 8400 रूपये सालाना होगी। लेकिन उनकी प्रति व्यक्ति आय पहले गांव से 70 रूपये कम होने के बावजूद उनका रहन सहन पहले गांव से अच्छा होगा क्योंकि वहां आय का बंटवारा ज्यादा समान है।
ठीक इसी तरह हमारे देश के प्रति व्यक्ति आय के आंकड़ों को समझने की जरूरत है। कभी जबकि बिहार में चुनाव नजदीक है तो आंकड़ों का गोलमाल बहुत चल रहा है।
प्रति व्यक्ति आय 2015 -------
हमारे देश के 2014 -15 के आंकड़े जीडीपी पैर कैपिटा के अनुसार
1262 . 64 $ यानि 78284 रूपये है ---- ( 1 $ = 62 Rs .)
हमारे देश का प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से दुनिया में 145 वां नंबर है और एशिया में 34 वां नंबर है। पूरी दुनिया की औसत प्रति व्यक्ति आय 10880 $ है और इस हिसाब से हमारी प्रति व्यक्ति आय दुनिया की औसत आय से 6 . 7 गुना कम है। बाकि विकसित देशों का हिसाब तो छोड़ ही दीजिये।
लेकिन जब इसको आय वितरण के आंकड़ों के साथ मिलाकर देखा जाये तो स्थिति और भी ज्यादा भयावह हो जाती है। हमारे देश में आय और सम्पत्ति का बंटवारा बहुत ही असमान है। आंकड़ों के हिसाब से समझें तो हमारे देश में केवल 10 % लोग 74 % सम्पत्ति के मालिक हैं। अगर हम आय का वितरण भी इसी हिसाब से करें तो बाकि 90 % लोगों की प्रति व्यक्ति आय 24400 रूपये रह जाती है। अगर और 10 % ऊपर के लोग निकाल दिए जाएँ तो स्थिति हास्यास्पद हो जाती है। और जो पहले ये आंकड़े आये थे की भारत में 72 % लोग 20 रूपये रोज से कम पर गुजारा करते हैं तो स्थिति उसके आसपास ही बैठेगी।
इस तरह हमारे देश के 60 % से ज्यादा लोग भयंकर गरीबी की हालत में जी रहे हैं। उनके लिए ना तो कोई रोजगार उपलब्ध है, ना ही असरकारक भोजन की सुरक्षा उपलब्ध है, ना स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुंच है। और ये स्थिति निरंतर बिगड़ रही है। हर बार के आंकड़े सम्पत्ति के वितरण को और अमीरों के पक्ष में दिखाते हैं और ज्यादा से ज्यादा लोग भुखमरी के शिकार हो रहे हैं। इसलिए ये और भी जरूरी हो जाता है की गरीबों की मांगों का समर्थन किया जाये और उनके लिए सहायता के कार्यक्रमों को सही ढंग से लागु होने को सुनिश्चित किया जाये।
एक गांव में कुल 200 लोग रहते हैं। उसमे एक कारखाना है जिसका एक आदमी मालिक है और बाकि 199 लोग उसमे नौकरी करते हैं। नौकरी करने वालों को महीना 500 रूपये वेतन मिलता है। और कारखाने का मालिक 5 लाख रुपया सालाना कमाता है तो उस गांव के प्रति व्यक्ति आय के आंकड़े इस प्रकार होंगे। 199 व्यक्ति x 6000 = 1194000
एक व्यक्ति = 500000
कुल = 1694000
प्रति व्यक्ति आय = 1694000 / 200 = 8470 रूपये
इस तरह आंकड़ों में उस गांव की प्रति व्यक्ति आय 8470 रूपये होगी।
अब एक दूसरा उदाहरण लें। दूसरे गांव में भी 200 लोग रहते हैं। और वो सभी बाहर नौकरी करते हैं और उन्हें 700 रूपये महीना वेतन मिलता है। इस तरह उस गांव की प्रति व्यक्ति आय 12 x 700 = 8400 रूपये सालाना होगी। लेकिन उनकी प्रति व्यक्ति आय पहले गांव से 70 रूपये कम होने के बावजूद उनका रहन सहन पहले गांव से अच्छा होगा क्योंकि वहां आय का बंटवारा ज्यादा समान है।
ठीक इसी तरह हमारे देश के प्रति व्यक्ति आय के आंकड़ों को समझने की जरूरत है। कभी जबकि बिहार में चुनाव नजदीक है तो आंकड़ों का गोलमाल बहुत चल रहा है।
प्रति व्यक्ति आय 2015 -------
हमारे देश के 2014 -15 के आंकड़े जीडीपी पैर कैपिटा के अनुसार
1262 . 64 $ यानि 78284 रूपये है ---- ( 1 $ = 62 Rs .)
हमारे देश का प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से दुनिया में 145 वां नंबर है और एशिया में 34 वां नंबर है। पूरी दुनिया की औसत प्रति व्यक्ति आय 10880 $ है और इस हिसाब से हमारी प्रति व्यक्ति आय दुनिया की औसत आय से 6 . 7 गुना कम है। बाकि विकसित देशों का हिसाब तो छोड़ ही दीजिये।
लेकिन जब इसको आय वितरण के आंकड़ों के साथ मिलाकर देखा जाये तो स्थिति और भी ज्यादा भयावह हो जाती है। हमारे देश में आय और सम्पत्ति का बंटवारा बहुत ही असमान है। आंकड़ों के हिसाब से समझें तो हमारे देश में केवल 10 % लोग 74 % सम्पत्ति के मालिक हैं। अगर हम आय का वितरण भी इसी हिसाब से करें तो बाकि 90 % लोगों की प्रति व्यक्ति आय 24400 रूपये रह जाती है। अगर और 10 % ऊपर के लोग निकाल दिए जाएँ तो स्थिति हास्यास्पद हो जाती है। और जो पहले ये आंकड़े आये थे की भारत में 72 % लोग 20 रूपये रोज से कम पर गुजारा करते हैं तो स्थिति उसके आसपास ही बैठेगी।
इस तरह हमारे देश के 60 % से ज्यादा लोग भयंकर गरीबी की हालत में जी रहे हैं। उनके लिए ना तो कोई रोजगार उपलब्ध है, ना ही असरकारक भोजन की सुरक्षा उपलब्ध है, ना स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुंच है। और ये स्थिति निरंतर बिगड़ रही है। हर बार के आंकड़े सम्पत्ति के वितरण को और अमीरों के पक्ष में दिखाते हैं और ज्यादा से ज्यादा लोग भुखमरी के शिकार हो रहे हैं। इसलिए ये और भी जरूरी हो जाता है की गरीबों की मांगों का समर्थन किया जाये और उनके लिए सहायता के कार्यक्रमों को सही ढंग से लागु होने को सुनिश्चित किया जाये।
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